प्रयागराज: तीसरी लहर के बढ़ते मामलों और अधिक जानलेवा हो चुके करोना के संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रतियोगी छात्रों को बड़े मुसीबत में झोंक दिया है । पारदर्शिता के नाम पर राजकीय इंटर कॉलेज प्रवक्ता परीक्षा का प्रथम चरण जो आगामी 19 सितम्बर को आयोजित होना है। उसका सेंटर लोक सेवा आयोग ने 900 किलोमीटर दूर तक भेज दिया है ।
अगर प्रतियोगियों की माने तो बायोलॉजी विषय का सेंटर मेरठ जिले को बनाया गया है अर्थात चंदौली जिले का। बायोलॉजी प्रतियोगी 1000 किलोमीटर दूर सफर करेगा वो भी सार्वजनिक साधन अथवा ट्रेन से । ऐसे में परिवहन खर्च लगभग 2000 रुपए आएगा जो कि एक बेरोजगार प्रतियोगी के साथ ज्यादती है । यदि कहीं सफर में वो संक्रमित हुआ तो लोक सेवा आयोग पल्ला झाड़ लेगा ।
व्यापक स्तर पर परीक्षाओं में होने वाली धाधली से लोक सेवा आयोग भी अछूता नहीं फिर इस प्रकार दूर सेंटर भेज कर ना सिर्फ परिवहन राजस्व बटोरने का इरादा है बल्कि आयोग संभवतः यह भूल गया है कि छात्र जीवन में समय का बहुत महत्व होता है और जो छात्र एक हजार किलोमीटर सफर करेगा वो घर से एक या दो दिन पहले निकलेगा ऐसे में उसकी परीक्षा तैयारी प्रभावित होगी। सफर अत्यधिक तनाव पूर्ण होता है अतः प्रतियोगी छात्रों का मनोदशा और शारीरिक थकान भी उनके सफलता में बाधक बनेगी।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की मनमानी का आलम यह है कि सेंटर निर्धारण में किसी नियम और सुविधा का अनुपालन नहीं किया गया है। करोना के भीषण संक्रमण काल में यदि कोई छात्र दूर सफर के दौरान संक्रमित होता है तो क्या उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ये जिम्मेदारी लेगा की वो उसके इलाज का खर्च उठा सकें अथवा स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवा सके यदि नहीं तो फिर तत्काल सेंटर निर्धारण के मुद्दे पर अहम बैठक बुलाकर छात्र हित में फैसला लिया जाना चाहिए।