सत्रहवीं लोकसभा के तीसरे साल के पहले मानसून सत्र का पहला सप्ताह कामकाज के लिहाज से सूखा ही कहा जाएगा
इसे एक दैवीय संयोग तो अवश्य कहा जाना चाहिए की जिस दिन संसद के इस मानसून सत्र का आगाज हुआ था उस दिन बादल गरज के साथ बरसे भी जरूर थे। मतलब असली मानसून की रौनक इस मानसून सत्र के पहले दिन देखने को भी मिली थी।
इसके साथ ही एक दूसरा संयोग यह भी था की जिस दिन यह सत्र शुरू हुआ उस दिन सावन का सोमवार भी था। सावन का महीना तो वैसे भी बारिश के साथ सुहावने मौसम के लिए ही जाना जाता है। एक तीसरा संयोग इस रूप में भी देखा जा सकता है कि जिस दिन संसद के इस मानसून सत्र की शुरुआत हुई थी उस दिन जुलाई के महीने की 19 तारीख थी और शास्त्रों में किसी काम की शुरुआत के लिए उन्नीस का अंक अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही इस सत्र के सम्बन्ध में एक अंतिम संयोग इस रूप में भी देखा जा सकता है कि मानसून सत्र के लिए संसद के दोनों सदनों के सचिवालयों ने सरकार के साथ मिल कर जो अवधि ( 19.जुलाई से 13 अगस्त ) निर्धारित की है उसमें 19 कार्य दिवसों ( बैठकों )में ही इस सत्र के कामकाज का संचालन सुनिश्चित किया गया था। इतने सारे संयोगों के एक साथ मिलने के बाद होना तो यह चाहिए था की संसद के दोनों सदनों की कार्रवाई बहुत ही उल्लास मगर शांति के साथ संपन्न होती और सरकार विपक्ष को भरोसे में लेकर संसद में ज्यादा से ज्यादा कामकाज निपटाने की कोशिश करती।
दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका और संसद सत्र की शुरुआत से पहले ही सरकार की तरफ से की गई पेगासस जासूसी करतूत की एक कहानी बाहर आ गयी जिससे विपक्ष का नाराज होना स्वाभाविक था। लिहाजा संसद के मौजूदा मानसून सत्र के पहले सप्ताह की कार्रवाई में कोई कामकाज नहीं हो सका। विपक्ष किसी तरह काबू में आ पाता इससे पहले ही देश के नव नियुक्त स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने राज्यसभा में पूछे गए गए एक सवाल का यह जवाब देकर मजा किरकिरा कर दिया की कोरोना काल में आक्सीजन की कमी से होने वाली मौत की कोई जानकारी राज्यों से नहीं मिली है। कहने का मतलब यह है की स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने संसद में कह दिया कि देश में आक्सीजन की कमी की वजह से किसी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई है।
ये किसी सरकार के मंत्री का जवाब नहीं था बल्कि जन स्वास्थ्य के मामलों में एक अनपढ़ व्यक्ति का क्रूर मजाक था। संसद के मानसून सत्र के प्रथम सप्ताह के दौरान पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार 19 जुलाई से शुक्रवार 23 जुलाई तक पांच दिन की बैठकें तय थीं लेकिन बीच में एक दिन ईद – उल – अजहा पर्व की वजह से संसद की बैठक का आयोजन रद्द कर दिया गया था। इस तरह पहले सप्ताह कुल चार दिन ही संसद की बैठकें हो सकीं थीं। आम तौर पर संसद की बैठक सोमवार से शुक्रवार सुबह 11 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक होती है। इसी हिसाब से सत्र की अवधि को ध्यान में रख कर ही हर दिन के लिए सदन के कामकाज की व्यवस्था अलग – अलग सुनिश्चित की जाती है।
इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए ही केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय ने 19 दिन की अवधि वाले संसद के मौजूदा मानसून सत्र के लिए लोकसभा और राज्यसभा का दैनिक कामकाज सुनिश्चित किया था। इसी आधार पर सरकार ने सत्र की औपचारिक शुरुआत से पहले यह घोषणा की थी कि सरकार संसद सत्र के दौरान विपक्ष द्ववारा उठाये गए किसी भी मुद्दे पर विचार के लिए तैयार है। अजीब बात है की जब संसद का सत्र शुरू हुआ तो सरकार अपने ही वायदे से मुकर गई इससे विपक्ष का नाराज होना स्वाभाविक था, और पहले सप्ताह की पूरी कार्रवाई हंगामे, शोर शराबे और सांसद के बार – बार स्थगित होने में ही बदल कर रह गई। नतीजा यह निकला की सरकार ने इस सत्र में करने के लिए जो कामकाज रखा था उस पर काम ही नहीं हो सका। सरकार ने संसद के सदनों को चलाने के लिए विपक्ष से सहयोग करने की अपील तो की लेकिन अपनी तरफ से सरकार ने विपक्ष को विश्वास और भरोसे में लेने की कोई गंभीर पहल और कोशिश बिलकुल नहीं की नतीजा सामने है।
संसद के मानसून सत्र के पहले सप्ताह संसद के किसी सदन में कोई कामकाज नहीं हुआ जबकि निर्धारित कार्यक्रम और एजेंडे के मुताबिक़ संसद के मानसून सत्र के पहले सप्ताह की कार्रवाई में कमसे कम एक दर्जन विधेयक पारित हो जाने चाहिए थे। प्रसंगवश यह जानकारी भी महत्वपूर्ण है की संसद के इस सत्र वित्त मंत्रालय संबंधी विनियोग के कुछ मामलों के साथ ही सरकार ने तीन दर्जन विधेयक इस सत्र में पारित करवाने के लिए सूचीबद्ध किए हैं।
सरकारी जानकारी के मुताबिक़ संसद के मानसून सत्र की बैठकों के दौरान 29 विधेयक और दो वित्तीय विषयों की अनुपूरक मांगों के साथ कुल 31 सरकारी कामकाज पर संसद में चर्चा होना तय हुआ था। इसके अलावा आधा दर्जन अध्यादेशों को भी विधेयकों के रूप में संसद से पारित करा कर क़ानून बनाने की योजना भी सरकार की थी लेकिन इनमें कोई भी काम शुरू तक नहीं हो सका। सरकार ने अध्यादेश की जगह लेने के लिए अधिकरण सुधार (सेवा का युक्तिकरण और शर्तें) विधेयक, 2021 , दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग विधेयक, 2021 आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 ,भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2021 और होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2021 को मानसून सत्र के कामकाज के लिए सूचीबद्ध किया है। इन विधेयको का संसद से पारित होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर अध्यादेश जारी होने की अवधि से 6 के अन्दर ये संसद से पारित नहीं हुए तो अध्यादेश स्वतः रद्द हो जाएंगे। इसके अलावा 31 विधेयक और भी हैं जिन संसद के इस सत्पर में चर्चा के बाद उन्हें पारित करवाना है। इस लिहाज से देखें तो मानसून सत्र में सरकार के पास काम तो बहुत हैं लेकिन दिन बहुत कम। अगर समय से सरकार का संसदीय काम नहीं संपन्न हुआ तो संसद को अतिरिक्त समय में बैठ कर कामकाज पूरा करना होगा। संसद के इस सत्र का 13 अगस्त तक कामकाज पूरा होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसके बाद सवतंत्र दिवस की तैयारियों के चलते इन कार्यों के लिए समय निकाल पाना संभव नहीं हो पाएगा।
डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019
फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020
सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) विधेयक, 2020
अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक देख रेख एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019, जैसाकि राज्य सभा द्वारा पारित किया गया
नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक, 2021, जैसाकि लोकसभा द्वारा पारित किया गया।
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021, जैसा कि लोकसभा द्वारा पारित किया गया
सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019
कोयला क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) संशोधन विधेयक, 2021
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स अकाउंटेंट्स तथा कंपनी सेक्रेटरीज (संशोधन) विधेयक, 2021
सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021
कैंटोनमेंट विधेयक, 2021
भारतीय अंटार्कटिका विधेयक, 2021
केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021
भारतीय वन प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2021
पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021
जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) विधेयक, 2021
भारतीय समुद्री मात्स्यिकी विधेयक, 2021
पेट्रोलियम और खनिज पाइपलाइन (संशोधन) विधेयक, 2021
अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021
विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2021
मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2021
नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021