खुर्सीद आलम : आजकल आये दिन बनारस खबरों में है कभी गंगा में बहती लाशों को लेकर कभी काशी कॉरिडोर को लेकर , पर अभी खबर है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। वाराणसी क्योटो तो नहीं बनी हा शमशान जरूर बनती जा रही है।
चेतगंज के काली महाल तिराहे पर एक गरीब और मेहनतकश महिला को वाराणसी नगरनिगम की गाड़ी कुचलते हुये निकल गई, घटना में महिला गंभीर रूप से घायल हुए है। डॉक्टरों ने बताया महिला की हालत नाजुक है और उसके घायल हाँथ को काटकर निकालना पड़ेगा। इस घटना की रिकॉर्डिंग cctv में मौजूद है आये दिन बनारस में नगरनिगम की गुंडागर्दी और एक मंत्री की सह पर अवैध वसूली देखने को मिलती रहती है। पर कार्रवाई नहीं होती।
घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने ड्राइवर को दबोच लिया,और महिला को मंडलीय अस्पताल भेजा जहाँ उसकी हालत गम्भीर बनी हुई है।
सवाल ये है कौन लेगा इस गरीब महिला के परिवार की जिम्मेदारी और इस तरह की घटना पर लगाम कैसे लगे। गरीब कभी लॉकडाउन से मर रहे हैं तो कभी भुखमरी से, बारिश में भी गरीब मरते हैं गर्मी में भी गरीब मरते है। अब सरकारी गाड़ियों से भी गरीब को कुचला जाएगा यह है मोदी की सरकार जो बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा करती चली आ रही है ,और दूसरी तरफ हर तरह से गरीब की मौतें लगातार सामने देखने को मिलती है जैसे कि आप हमारी इस खबर में देख सकते हैं की एक पत्ता बेचने वाली गरीब महिला को कितनी बेदर्दी से नगर निगम की गाड़ी से कुचल दिया गया है क्या अब उसके परिवार को सरकार मुआवजा देगी या उसका खोया हुआ हाथ देगी जो कि डॉक्टरों के मुताबिक निकलना पड़ेगा। जबकि उस गरीब का अपने हाथ से अपना पेट चलाती थी अब जब हाथ नहीं रहेगा तो उसका पेट कैसे चलेगा मतलब फिर गरीब मरेगा क्या यह हमारी सरकार है जो वादे बड़े-बड़े करती है लेकिन फिर सारे वादे बिल्कुल खोखले नजर आ रहे हैं अब तो देखने वाली बात होगी कि नगर निगम के ऊपर किस तरह से कारवाई की जाती है।