ऊत्तरप्रदेश में कोरोना के घमासान में अचानक कुछ दिनों IT सेल एक्टिव होकर मुख्यमंत्री की तारीफों में कसीदे कहने में लग जाता है, कोशिश होती है की सरकार की फटी हुई इज्जत कैसे सिलाई करके बचाई जाएं 2022 के चुनाव में उतरने के लिए। इसी दौरान जब हर तरफ से मौत की हाहाकार और लाशों की तस्वीरें आनी शुरू हुई तो बहुत सारे लोगों की तरह योगी आदित्यनाथ की टीम संभालने वाले बच्चों में भी बदलाव आया होगा ये इनकार नहीं किया जा सकता। हो सकता है बेमन से वो सरकार के साथ खड़े हो पर इंसानी दिल की एक फितरत होती है कि वो भोला होता है ज्यादा झूठ सहन नहीं कर पाता अगर परवरिश अच्छी हो तो, झूठ के खिलाफ बगावत कर ही देता है। शायद यही बात पार्थ के लिए लागू होती है !!!
पार्थ श्रीवास्तव मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की सोशल मीडिया टीम के लिए काम करता था, उसके ट्वीट देखने से पता चलता है उसे भी मुख्यमंत्री की इमेज ब्रांडिंग में लगाया गया था, इसी बीच वो वहां की आंतरिक राजनीति का शिकार हो गया , इसकी लगातार वो अपने सीनियर IAS शिशिर सिंह से शिकायत भी कर रहा था, शिशिर सिंह ऊत्तरप्रदेश सरकार में सूचना निर्देशक और पब्लिक रिलेशन के साथ संस्कृति का प्रभार भी देखते है। पार्थ को सहयोग ना मिलने के कारण वो काफी परेशान था, उसने अपना सुसाइड नोट लिखा और लिखने के बाद ट्विटर के माध्यम से शिशिर सिंह को टैग किया लेकिन वो पोस्ट पार्थ के मरने के बाद डिलीट कर हो गई। संदेह यही से शुरू होता है, आखिर किसने पार्थ के मरने के बाद पोस्ट डिलीट किया, जिसमें शिशिर सिंह को टैग किया गया था।
सोशल मीडिया पर आई एक खबर इन दावों की पुष्टि करती हैं, योगी की सोशल मीडिया टीम के लिए काम करने वाले पार्थ श्रीवास्तव की आत्महत्या में गहरे राज छुपे है।
पार्थ ने बुधवार की सुबह अपने घर पर रस्सी से फंदा बनाकर अपनी जान दे दी। घर में लटके बेटे के शव को लेकर पार्थ के पिता रविंद्र नाथ श्रीवास्तव राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल पहुंचे। जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पार्थ के दोस्तों के माध्यम से सोशल मीडिया में ये मामला उठाये जाने के बाद लोगों की नजर में आया। पार्थ के दोस्त उसके लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
पार्थ श्रीवास्तव ने सुसाइड नोट में लिखा है ‘मेरी आत्महत्या एक कत्ल है और इसके जिम्मेदार शैलजा और पुष्पेंद्र सिंह है। नोट में प्रणय, महेंद्र और अभय का भी जिक्र है। पुष्पेंद्र सिंह पर उत्पीड़न का आरोप है। सूचना विभाग की नयी बिल्डिंग पंडित दीनदयाल उपाध्याय सूचना परिसर के पाँचवें तल पर बने ऑफ़िस में बैठता था पार्थ और उसका सीनियर पुष्पेंद्र।
कुछ महीनों से सोशल मीडिया हब में चल रही आंतरिक राजनीति का हुआ शिकार हुआ था पार्थ, अपने सीनियर पुष्पेंद्र द्वारा लगातार की जा रही प्रताड़ना की शिकायत की थी, उसने शिशिर सिंह से, कार्यवाही ना होने पर आत्महत्या को मजबूर हुआ। सूत्र बताते है, कई बार पुष्पेंद्र ने कार्यालय में ही की थी सार्वजनिक बेइज्जती! पुष्पेंद्र सिंह नौकरी से निकलवाने की देता था धमकी। दोनों के बीच की whatsapp चैट और फ़ोन पर हुई बातचीत से खुल सकते हैं राज। पार्थ के फ़ोन में दफ़न हैं राज और सबूत। CM सोशल मीडिया हब का ये पुष्पेंद्र सिंह सूचना निदेशक शिशिर सिंह के काफ़ी करीब माना जाता है। उसके ऊपर कई और संगीन आरोप है।

पार्थ के दोस्त आशीष पांडे के सोशल मीडिया पोस्ट से पार्थ के द्वारा किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट फेसबुक का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए justice for Parth कैंपेन चलाया जा रहा है। सवाल यह है कि पार्थ के ट्विटर हैंडल से उसके द्वारा पोस्ट किए गए 2 पेज के सुसाइड नोट को आखिर किसने डिलीट किया। अपराध के सबूत को मिटाया गया। पार्थ श्रीवास्तव का ट्वीट मरने के बाद डिलीट क्यों किया गया।
पार्थ ने अपने सुसाइड नोट में क्या लिखा है
प्रणय भैया ने मुझसे कहा था कि, मुझसे बात करेंगे पर उन्होंने पुष्पेंद्र भैया से रात 12:40 पर क्रॉस कॉल करके उनसे अपनी सफाई दिलवाई। पुष्पेंद्र भैया ने जानबूझकर व्हाट्सएप कॉल करी ताकि उनकी बातें रिकॉर्ड ना हो सके। कॉल करके भी उन्होंने सारा दोष संतोष भैया पर डाला और इस बात का यकीन दिलाया कि वह मेरे शुभचिंतक ही रहे हैं। जबकि सत्य तो यह है कि वह सिर्फ और सिर्फ शैलजा जी के शुभचिंतक रहे हैं। हमेशा से पुष्पेंद्र भैया शैलजा जी के अलावा कभी और किसी की चिंता नहीं रहे। बाकियों की छोटी से छोटी गलती पर पुष्पेंद्र भैया हमेशा नाराज होते रहे। शैलजा जी और महेंद्र भैया के सिर्फ उनका गुणगान करते रहें।
मुझे आश्चर्य प्रणय भैया पर होता है कि वह यह सब देखने समझने के बावजूद पुष्पेंद्र भैया का साथ कैसे व क्यों देते रहे। मैंने जब से यह कार्य शुरू किया तब से सबसे ज्यादा इज्जत प्रणय भैया को ही दी। मैंने उनसे या अभी सीखा कि सिर्फ काम बोलता है और इंसान को उसका काम ही उसकी पहचान बना बनता है। एक तरफ पुष्पेंद्र भैया जो सिर्फ दूसरों की कमियां निकालते दिखे तो दूसरी तरफ प्रणय भैया दिखे जो अपनी कार्य से अपना नाम बताते दिखे।
मैंने प्रणय भैया को अपना आदर्श माना और सिर्फ काम के द्वारा अपना नाम बनाना चाहा, मुझसे गलतियां भी हुई पर वह गलतियां न दोहराने की पूरी कोशिश करी। परंतु शैलजा जी जो सिर्फ चाटुकारिता कर अपनी जगह पर थी उन्होंने मेरी छोटी से छोटी गलती को सबके सामने उजागर कर मुझसे नकारा साबित कर ही दिया। शैलजा जी को बहुत-बहुत बधाई। मेरी आत्महत्या एक कत्ल है जिसके जिम्मेदार और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा और उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं।
अभय भैया और महेंद्र भैया को इस बात का हल्का सा ज्ञान भी नहीं कि, लखनऊ वाले कार्यालय में क्या चल रहा था। मैं आज भी मरते दम तक महेंद्र भैया और अभय भैया की अपनी माता-पिता जितनी इज्जत करता हूं।