प्रयागराज/शाहिद नक़वी: कोरोना महामारी ने एक बार फिर से धार्मिक आयोजनों पर ताला लगा दिया है।शिया समुदाय के लोगों ने बेहद सम्मझदारी का परिचय देते हुए अपने तमाम धार्मिक आयोजनों पर खुद से रोक लगा दी है।हर भीड़ वाला आयोजन समुदाय ने रोक दिया है।इस समय मस्जिदों में भी भीड़ नहीं हो रही है। पैगंमबरे इस्लाम मोहम्मदे मुस्तफा के दामाद और पहले इमाम हज़रत अली की शहादत पर 19,20 और21 रमज़ान के तीन दिवसीय शोक को कोरोना संक्रमण और सरकारी गाईड लाईन पर शत प्रतिशत अमल करने के लिए इस वर्ष भी कोई आयोजन नहीं होगा।
उम्मुल बनीन सोसोईटी के महासचिव सै०मो०अस्करी के मुताबिक़ पिछले कोरोना काल मे जिस प्रकार भीड़ वाले आयोजन नहीं हुए थे इसी प्रकार इस वर्ष भी हज़रत अली की शहादत पर तीन दिवसीय शोक के बड़े आयोजन नहीं होंगे।घरो या इमामबाड़ों मे ज़ूम,यूट्यूब या ऑनलाईन मजलिसें होंगी।उन्नीस रमज़ान रविवार को रानीमण्डी धोबी गली के मिर्ज़ा काज़िम अली के आवास से भोर मे उठने वाला जुलूस इस वर्ष नहीं निकाला जायगा।
काज़िम अली ने बताया की केवल ताबूत सजा कर रख दिया जाएगा जिसको दर्शन करना होगा वह सोशल डिस्टेन्सिग और मास्क लगा कर ज़ियारत को आ सकता है।वहीं इमामबाड़ा आज़म हुसैन रानीमण्डी से रमज़ान की २१ वीं पर निकलने वाला सबसे बड़ा जुलूस भी इस वर्ष नहीं निकाला जायगा।इसकी भी जानकारी कम्मू भाई ने साझा की।वहीं बख्शी बाज़ार की मस्जिद क़ाज़ी साहब से नमाज़ ए फजिर के बाद मोमबत्ती की रौशनी मे २१ रमज़ान को उठने वाला ऐतिहासिक जुलूस जो हाथा खुरशैद हुसैन तक जाता था वह भी इस वर्ष नहीं निकाला जाएगा।आयोजक मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन ने लोगों से अपील जारी करते हुए कहा की नमाज़ ए फजिर से लेकर नमाज़ ए ज़ोहर तक तक़रीबन ६ घन्टे तक लोगों की ज़ियारत को ताबूत मस्जिद के अन्दर रखा रहेगा।लोग इत्मिनान से पाँच पाँच की संख्या मे मस्जिद मे जा कर ज़ियारत व मन्नते व मुरादें मांग सकते हैं।उसके बाद ताबूत के फूलों को उतार कर चकिया करबला मे दफ्न कर दिया जायगा।करैली जे के आशियाना व दरियाबाद से हज़रत अली की यौमे शहादत पर उठने वाला कोई भी जुलूस नहीं निकाला जायगा।
संक्रमण के फैलाव के कारण मरहुमीन की मजलिसें भी हो रही ऑनलाईन
वैश्विक महामारी ने सभी धार्मिक आयोजनो पर ग्रहण लगा दिया है जिस प्रकार प्रतिदिन मौतें हो रही हैं उससे हर शख्स खौफज़दा है।मजलिसे सेयुम (तीजा),चालिसवाँ और और मजलिसे तरहीम भी ज़्यादातर ऑनलाईन आयोजित की जा रही हैं।मरहुम सै०रज़ा हुसैन की मजलिसे तरहीम भी ज़ूम पर आयोजित की गई।मौलाना फैज़ अब्बास ने यूट्यूब चैनल व ज़ूम पर मजलिसे तरहीम को सम्बोधित किया।हैदराबाद मे रहने वाले मरहुम सै० रज़ा हुसैन के बेटे ज़रान रज़ा ने ऑनलाइन मजलिस का आयोजन किया।लखनऊ से प्रसारित हो रही मजलिस को देश विदेश के साथ प्रयागराज से सैकड़ो लोगों ने देखा व चैनल के माध्यम से पुरसा पेश किया।मौलाना फैज़ अब्बास ने कोरोना काल का तज़केरा करते हुए कहा की इस दुनिया मे जो भी तकलीफें आती हैं उससे हमे आज़माईश से गुज़राना पड़ता है।कभी भूख से कभी माल और दौलत से तो कभी जान से।लेकिन यह सब खुदा की आज़माईश है ऐसे मे हमे अपने आमाल और किरदार को संवारने का मौक़ा मिलता है।जज़ा और वबा मे भी हमे सीरते मुस्तक़ीम पर क़ायम रहना चाहिये।कहा कफन पैग़म्बर का हो और आमाल बेहतर न हो तो अज़ाब के मुस्तहक तो होंगे ही।मरने के बाद अंधेरी क़ब्र मे जाने से पहले ही क़ब्र की रौशनी के लिए ऐसे अहकाम करो जिससे क़ब्र रौशन और मुनव्वर हो जाए।मजलिस मे मरहुम सै०रज़ा हुसैन की मग़फिरत को दुआ भी की गई।मजलिस से पहले सै०अली अदनान रिज़वी ने सलाम पढ़ा तो क़तर से सै०नाज़िर अब्बास ने पुरदर्द मर्सिया पढ़ा।बारिया रज़ा ने दुआ ए फरज से मजलिस का आग़ाज़ किया।