ज्ञानेन्द्र पाण्डेय: कोरोना महामारी का आतंक इस बार भी कितने भयानक स्तर पर आ गया है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि इसकी भयावहता को ध्यान में रख कर ही केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन ( CBSE) को इस साल दसवीं की परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी और बारहवीं बोर्ड की परीक्षाएं इस साल जून तक स्थगित करने का बड़ा फैसला लेना पड़ा है। कोरोना के बढ़ते संकट और बच्चों की परेशानियों को देखते हुए केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही सरकार देश की जनता और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े मनीषियों को इसके लिए देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का भी आभार मानना चाहिए। क्योंकि कोरोना मामलों की बढ़ती तादाद को देखते हुए मुख्य विपक्षी पार्टी के बड़े नेता पिछले कई दिनों से सरकार से यह मांग कर रहे थे, कि कोरोना से बचाव के लिए केंद्र सरकार को सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर देनी चाहिए। सरकार के इस फैसले का कांग्रेस पार्टी ने भी स्वागत किया है। इस फैसले के मुताबिक़ 10वीं बोर्ड की तो इस बार परीक्षा नहीं होगी लेकिन बारहवीं की परीक्षाएं 10 जून तक स्थगित कर दी गई हैं , उसके बाद जैसी परिस्थितियाँ होंगी उसके हिसाब से फैसला लिया जाएगा। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार 10वीं के छात्र – छात्राओं को साल भर के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अगली कक्षा में प्रोन्नत किया जाएगा। परिणाम को लेकर किसी तरह की आपत्ति अगर किसी छात्र / छात्रा की तरफ से आती है तो उसका फैसला बाण में स्थिति थोडा सामान्य होने पर लिया जाएगा। दसवें की परीक्षा रद्द करने का यह बड़ा फैसला देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में संपन्न केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय और सी बी एस ई के वरिष्ठ अधिकारियों की दिल्ली में संपन्न एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया। फैसले की जानकारी देते हुए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि 4 मई से 14 जून तक आयोजित होने वाली दसवीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। 10वीं क्लास के छात्रों को आतंरिक मूल्यांकन के आधार पर अगली क्लास में भेजा जाएगा. अगर कोई छात्र मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं है तो कोरोना से हालात सामान्य होने पर वह परीक्षा दे सकता है।
बोर्ड द्वारा तय मापदंड के हिसाब से आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर इन छात्रों के रिजल्ट्स जारी किए जाएंगे। अगर कोई छात्र इस रिजल्ट से असंतुष्ट रहता है तो उसे कोरोना माहामारी की स्थिति सामान्य होने के बाद परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, 12 वीं की परीक्षाओं का नया शेड्यूल 1 जून को देश में कोरोना की स्थिति को देखकर तैयार किया जाएगा और तय समय से 15 दिन पहले छात्रों को परीक्षा के बारे में सूचित कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले साल भी कोरोना के चलते सीबीएसई को बीच में ही परीक्षाएं रोकनी पड़ी थीं। कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए एक बार फिर वैसा ही निर्णय केंद्र सरकार और सीबीएसई को लेना पड़ा है। गौरतलब यह भी है कि सीबीएसई की परीक्षाओं को रद्द करने या आगे बढ़ाने को लेकर उठ रही मांगों के मद्देनजर पीएम मोदी ने बुधवार 14 अप्रैल 2021 को शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ की गई एक बैठक में यह फैसला लिया गया। इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित कई नेताओं ने कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते खतरों के मद्देनजर सीबीएसई परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की थी।
मालूम हो कि पिछले साल भी कोरोना की वजह से ही सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं अधबीच रोकनी पड़ी थीं। जिसकी वजह से 10वीं 12वीं के कई पेपर नहीं हो सके थे। सीबीएसई 10वीं कक्षा के कई पेपर बच गए थे लेकिन मुख्य विषयों की श्रेणी में नहीं आने के कारण ये पेपर नहीं कराए गए थे। 10वीं 12वीं के शेष बचे कुल 83 विषयों के पेपरों में से 29 मुख्य विषयों की ही परीक्षाएं ली गईं थीं। शेष 54 विषयों का ग्रेडिंग से मूल्यांकन किया गया था। सीबीएसई से पहले छत्तीसगढ़ , पंजाब और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के शिक्षा बोर्ड भी कोरोना के कारण अपनी परीक्षाएं स्थगित कर चुके हैं।
हैरानी की बात यह है कि जो सरकार बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर इतनी गंभीर दिखाई देती है वही सरकार धार्मिक मामलों में उतनी की निष्क्रिय नजर आती है। यही वजह है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान रखने के बाद भी केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के दौर में हरिद्वार के कुम्भ मेले का आयोजन न करवाने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। सरकार के साथ ही हिन्दू धार्मिक संगठन भी इस मामले में चुप्पी साधे रहे। बहुसंख्यक जमात के जो लोग पिछले साल इन्हीं दिनों तबलीगी जमात पर कोरोना फैलाने का आरोप लगा रहे थे , उनमें से किसी एक ने भी आगे बढ़ कर यह नहीं कहा कि कोरोना के संकट को देखते हुए इस बार कुम्भ के आयोजन को राष्ट्रहित और जनहित में स्थगित कर देना चाहिए। इसका नतीजा यह निकला कि हरिद्वार कुम्भ मेले में बुधवार 14 अप्रैल 2021 की दोपहर तक करीब डेढ़ हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके थे . जिन मुस्लिम अल्पसंख्यकों पिछले साल कोरोना के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा था उन्होंने इस बार रमजान के रोजे शुरू होने से तीन पहले से यह दिशा – निर्देश अपने नमाजियों को दे दिए थे कि वो हर हालत में कोविड से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी किये गए आदेशों का कड़ाई से पालन करें। आईएमपीआर ( इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स ) नामक एक संगठन की तरफ से जारी किये गए इन निर्देशों में घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनने , दो गज की दूरी बनाए रखने ,इफ्तार( रोजा खोलते समय ) के समय भीड़ जमा न करने , महामारी के खात्मे के लिए दुआओं का अहतराम करने , फिजूल खर्ची न करने , जरूरतमंदों की मदद करने और रोजधारियों को अपने आस के इलाकों को साफ़ रखने के साथ ही इस आशय के आदेश भी दिए गए हैं कि वो पात्रता रखने वाले सभी लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वेक्सीन अवश्य लगवाएं। ऐसे दिशा – निर्देश किसी हिन्दू धार्मिक संगठन ने जारी नहीं किए हैं।