वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर हस्तशिल्प मेला एवं कला मेला 2021 के पांच दिवसीय कार्यक्रम के अवसर पर रविवार को चौथे दिवस में विश्वविद्यालय द्वारा रंगोली प्रतियोगिता तथा ललित कला विभाग के पुरातन छात्र सम्मेलन में कवि सम्मेलन और अन्य विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय द्वारा रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन मुख्य रूप से भारत माता मंदिर परिसर , मानविकी संकाय, केंद्रीय कार्यालय, समाज कार्य विभाग, तथा वाणिज्य संकाय सहित छात्र छात्राओं ने विश्वविद्यालय के परिसर में रंगोली बनाई।
इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार ललित कला विभाग के विश्व कुमार प्रजापति ज्योति वर्मा द्वितीय पुरस्कार इतिहास विभाग के चांदनी विश्वकर्मा कुमारी प्रीति ज्योति मौर्या तथा तृतीय पुरस्कार समाज कार्य विभाग के दीक्षा मिश्रा को तथा दो अन्य को सांत्वना पुरस्कार दी गई । इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ स्नेहलता कुशवाहा तथा डॉ शालिनी रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ ललित कला विभाग के छात्र सहित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेवा निर्मित प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर रविंद्र मिश्रा ने दीप प्रज्वलित करके किया।
इस अवसर पर ललित कला विभाग की अवकाश प्राप्त विभूतियों प्रोफेसर मंजुला चतुर्वेदी जी को भी सम्मानित किया गया। विभाग के प्रभारी डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा आदि वर्तमान शिक्षकों को भी पुरातन छात्र-छात्राओं ने सम्मानित किया । इस अवसर पर प्रो प्रेमचंद्र विश्वकर्मा ने अपने विचार व्यक्त कर पुरातन छात्र छात्राओं को आशीर्वाद दिया। छात्र छात्राओं ने भी अपने बीते हुए दिनों को याद करते हुए साथियों से मिलकर प्रसन्नता जाहिर की। पुरातन छात्र सम्मेलन में लगभग 105 अतिथियों ने प्रतिभाग किया।
पुरातन छात्र में सर्व श्री मनोज सिंह कानपुर, अर्जुन सिंह वाराणसी, मुंशी लाल गुप्ता कानपुर, मनोज सिंह मुजफ्फरनगर, इंदू सिंह सोनभद्र, विश्वनाथ विश्वात्मा जी धर्म शिक्षक, मधुलिका गाजीपुर, राजकुमार गाजीपुर, सूर्यवंशी गाजीपुर, आदि लोगों ने इस पुरातन विद्यार्थी कला कैंप में प्रतिभाग किया। पुरातन छात्र सम्मेलन में कला संगोष्ठी के साथ-साथ एक कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ इस सम्मिलित कार्यक्रम का उद्घाटन प्रसिद्ध चित्रकार प्रोफेसर एस प्रणाम सिंह ने एक सुंदर चित्र बनाकर किया। कवि सम्मेलन के आयोजन में रुबिया खान जो हाथरस से आई थी उन्होंने मां शारदा की सुंदर वंदना से अपने काव्य रचना का पाठ प्रारंभ किया। अपनी कविता के माध्यम से वैलेंटाइन डे के प्रसंग पर विद्यार्थियों को खूब लुभाया। – तुम्हारी चाहतों का एक गुलाबी फूल लाई हूं, तुम्हारे प्यार का दर्द फूल में समाई हूं। दूसरे कवि राज बनारसी ने अपनी कविता पाठ कहां मेरे जख्मों को जख्म दे गई, जून में हवा दे गई और दानिश इकबाल ने अपनी कविता से लोगों को खूब मस्त किया। उन्होंने कहा तेरा मिलना बिछड़ना जरूरी था आंखें भरना जरूरी था तूने मेरी कदर ही ना की, कि मेरा रास्ता बदलना जरूरी ही था। डंडा बनारसी ने भी वैलेंटाइन डे पर कविता पाठ किया। उन्होंने अपने कविता के माध्यम से खानदानी फरियादी को सुनाया। कुमार सागर ने पुलवामा कांड पर आधारित देश भक्ति की एक कविता सैनिकों को समर्पित की। इस अवसर पर जमजम राम नगरी ने भारत और पाकिस्तान के झगड़ों के ऊपर अपनी रचना प्रस्तुत की। इसी कड़ी में बद्री विशाल, मोनिका आदि कवियों ने भी कविता के माध्यम से लोगों को हंसाते हुए सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया। कार्यक्रम का संचालन दमदार बनारसी ने किया। इसके बाद विद्यार्थियों के द्वारा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी प्रदर्शन किया गया। आज ललित कला के वर्तमान विद्यार्थियों को समर्पित करते हुए कार्यक्रम किया गया।
इस अवसर पर श्री नजीमुद्दीन अंसारी शशि शर्मा डॉ ऊर्जस्विता डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा दिव्यांश गुप्ता डॉक्टर शत्रुघ्न प्रसाद श्री ओम प्रकाश गुप्ता प्रतिमा गुप्ता इत्यादि लोग उपस्थित थे।