वर्ष 2001 भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला हुआ जिसमें जैश- ए -मोहम्मद और लश्कर- ए- तैयबा के शामिल होने और उसके मास्टरमाइंड के तौर पर अफ़ज़ल गुरु का नाम सामने आया , इस घटना में एक महिला कांस्टेबल समेत 7 सुरक्षा जवान मारे गये थे।
ऐसा करना सिस्टम में बैठे लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं होती क्योंकि उनकी महत्वकांक्षाएं और पहुंच ऊंची होती है। लेकिन इसके बदले मरते हैं हमारे देश के जवान और उनका परिवार जो सरकार पर भरोसा करते है कि उनके जिगर के टुकड़ों की रक्षा सरकार करेगी और उनका लाल देश की सरहद पर देश की माटी की रक्षा अपने खून से करेंगे। पर जब सिस्टम में घुन हो और देश को ताक पर रखने वाले लोग शामिल हो जिनके लिए ईमान सिर्फ पैसा और राष्ट्र की मिट्टी से गद्दारी हो तो फिर बाहर के दुश्मनों की जरूरत नहीं पड़ती देश को बेचने के लिए।
आपको सही जानकारी पहुंचाना हमारा मकसद है, आपके लिए जानना जरूरी है कि आखिर कैसे लोग अपने देश को खतरे में डालकर बेख़ौफ़ सरकार की अनुकम्पा पर ओहदे और रसूख का इस्तेमाल करते हुये रोज़ अपराध और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है, इसके बदले में उनको देश के उच्च शिक्षण संस्थानों और सरकारी प्रतिष्ठानों में नियुक्ति मिल रही है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मौजूदा कुलपति त्रिलोकी नाथ सिंह की नियुक्ति का पैमाना भी कुछ ऐसा ही रहा है, वो भी वाराणसी प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में, प्रधानमंत्री के उस प्रयास के तहत ये जानकारी तक्षकपोस्ट लेकर आया है जिसमें देश ना बिकने की बात उनके सर्वोच्च प्राथमिकता में है, ऐसे में ये जानकारी उनतक भी पहुंचनी जरूरी है कि खुद उनके संसदीय क्षेत्र में किस तरह का भ्रष्टाचार फैला है जहाँ खतरनाक इरादों से काम करने वाले व्यक्ति के हांथो में देकर शिक्षण संस्थान और आनी वाली पीढ़ी का भविष्य दांव पर लगा दिया गया है।
“तक्षकपोस्ट” के पास दस्तावेज उपलब्ध है जिससे ये साबित होता है कि त्रिलोकी नाथ सिंह देश की सुरक्षा को, सेना के रसूख को दांव पर लगाने की आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। उनकी संगलिप्ता को साबित करते दस्तावेज हमारे हाँथ में है। हमारे पास उपलब्ध साक्ष्य संवेदनशील है।
सवाल भी बड़ा है ! देश की सुरक्षा के साथ इतना बड़ा धोखा करके के बाद भी आखिर कैसे ? और किसकी शह पर त्रिलोकीनाथ सिंह को बचाया गया ! आखिर बिना कलीनचिट मिले कैसे उनको IIT कानपुर की गवर्निंग बॉडी में डाला गया, और अभी हालिया बनारस हिंदू विश्विद्यालय जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में शॉर्टलिस्टेड किया गया नये कुलपति की चयन प्रक्रिया में।
ये सवाल सिस्टम पर है ! और इस तरह के अपराध को बचाने वाले पर है!
क्या देश की सुरक्षा को बेच देना एक मामूली सी अपराध की लिस्ट में आता है?
जो बार बार इस बात की तरफ इशारा करते है कि आप सत्ता के गलियारे में कुछ भी करके बच सकते है, इसलिए शायद लखनऊ राजभवन से लेकर MHRD और नागपुर के लोगों का हाथ होने के कारण ये बड़ा अपराध करके भी खुलेआम घूम रहे है। और एक आम आदमी को एक गलत सूचना सरकारी दस्तावेजों में गलत पाये जाने पर जेल की हवा खानी पड़ जाती है।
इस मामले को समझने के लिए थोड़ा पीछे की घटना को समझना जरूरी है-
वर्ष 2019 में इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) का 7900 करोड़ का बीईएल (BEL) का घोटाला बाहर निकलता है जिसे कुछ न्यूज़ वेबसाइट अपने यहाँ प्रमुखता से लिखते है, इसी खबर का संज्ञान लेकर (CVO) इस मामले की जांच में पाते है कि इसमें विदेशी कंपनियों और भारतीय (शैल) बोगस कंपनी भी शामिल है, जिसनें आपराधिक मंशा के तहत गलत जानकारी और कागज़ात इस प्रोजेक्ट को लेने के लिए उपलब्ध करवाये। ये प्रोजेक्ट सरकार का भारतीय वायुसेना को लेकर एक गोपनीय प्रोजेक्ट था , जिसमें पूरे देश मे सेना और उच्च अधिकारियों की सुरक्षा के लिए अंडरग्राउंड बंकर पूरे देश के 10 स्थानों पर बनाये जाने थे, सुरक्षा की दृष्टि से स्थानों का खुलासा नहीं कर सकते। लेकिन आगे चल कर इस प्रोजेक्ट में घोटालें की लंबी सूची और भारी भ्रष्टाचार निकलकर सामने आया। मामला 2019 में मीडिया में आने के बाद बेल के सतर्कता अधिकारी की जांच में 8 अधिकारियों के साथ शामिल होने के साथ ये पाया गया कि जिस कंपनी ने IACCS के प्रोजेक्ट बंकर की डिज़ाइन पर काम किया था उसमें भी नियमों का उलंघन किया गया। CVO में उस कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने की सिफारिश की गई और इस डिज़ाइन पर काम करने वालों के साथ इस प्रोजेक्ट में संगलिप्ता वाले लोगों के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश।
इस मामले में एक सूत्र जो अनदेखा रह गया था , या कहे कि जानबूझ कर दबा दिया गया, आखिर उस बोगस कंपनी से त्रिलोकीनाथ सिंह का क्या नाता है और कैसे इस अपराध में वो शामिल है। उसके बाद क्या हुआ जानने के लिए
अगली कड़ी का इंतजार कीजिये….
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