बेंगलुरु:मनोरमा सिंह। किसान अंदोलन में शामिल आम लोगों को मंच से बोलते तमाम वीडियो और बाइट्स में सुनिए, वो आम लोग जो दिल्ली के बाहर से आएं हैं जिनमें पुरुष,महिलाएं युवा और टीनएजर लड़के लड़कियां सभी शामिल हैं एक स्वर में “गोदी मीडिया ” की मजम्मत कर रहे हैं, बल्कि एक महिला ने महिला एंकरों को गोदी मीडिया टीवी की अप्सराएं तक कह दिया जो केवल दरबार की आज्ञा अनुसार काम करती हैं।
मुख्यधारा की मीडिया को लेकर ऐसा अविश्वास और ऐसी नाराजगी आने वाले समय के लिए बहुत भयावह संकेत हैं, लोगों की ये भीड़ हमेशा अनुशासित और संयमित नहीं रहेगी और ये सरकार आखिर कितनों को सुधीर चौधरी जैसी सुरक्षा देगी, गोदी मीडिया के इन पत्रकारों को वैसे भी पत्रकारिता पीएमओ और पार्टी ऑफिस के मुख्यालय से दिए गए निर्देशों के मुताबिक करनी है लेकिन अब तो ये मनबहलाव को भी ऐसे किसी सार्वजनिक घटना या आंदोलन की ग्राउंड रिपोर्टिंग को जाने को सोच नहीं सकते। ये भी सुचना है कि कुछ चैनलों ने इसलिए 26 जनवरी के बाद नए या अनजाने चेहरों को रिपोर्टिंग के लिए ग्राउंड में भेजा।
दूसरी ओर जिस सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर मोदी ने मोदी और गोदी मीडिया बनाया, आईटी सेल चलाया अब वही उसके खिलाफ भी सबसे ताकतवर माध्यम बनकर उभरी है , इसलिए सरकार में ऊपर से नीचे तक इसको लेकर डर बढ़ता जा रहा है, बिहार चुनाव के बाद अब किसान आंदोलन में सोशल मीडिया और स्वतंत्र डिज़िटल मीडिया का इस कदर योगदान रहा है कि राकेश टिकैत ने महापंचायत के मंच से सोशल मीडिया का धन्यवाद किया, मोदी और उनकी भाजपा जो इसी सोशल मीडिया को हथियार बना झूठे नैरेटिव से सत्ता में पहुचें हैं इसका मतलब इसके खतरे जानते हैं , नीतीश कुमार भी जानते हैं इसलिए अब सबके निशाने में सोशल मीडिया में लिखने वाले और डिज़िटल माध्यम में स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले लोग हैं।
बिहार से लेकर केंद्र सरकार इसे कंट्रोल करने की दिशा में ठोस कदम उठा चुकी हैं लेकिन ये क्या त्रासदी है, हालात ये बन रहे हैं कि गोदी मीडिया वालों में लोगों के बीच जाने की हिम्मत नहीं और सोशल मीडिया व डिज़िटल मीडिया वालों को सरकार ग्राउंड पर रहने नहीं देगी !