दिल्ली: देश के लिए बलिदान होने वाले शहीदों की याद में उनके सम्मान में पिछले 50 सालों से राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर लो जल रही है। आज इस लौ को बुझा दिया जायेगा। सरकार के नये फरमान के तहत अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी अमर जवान ज्योति।
इंडिया गेट पर नहीं अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी अमर जवान ज्योति
इंडिया गेट (India Gate) पर जल रही ‘अमर जवान ज्योति’ (Amar Jawan Jyoti) का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में विलय होगा। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, शुक्रवार दोपहर अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा नेशनल वॉर मेमोरियल ले जाया जाएगा। 3.30 बजे दोनों लौ का विलय समारोह होगा। दोनों स्मारकों के बीच की दूरी बमुश्किल आधा किलोमीटर है। करीब तीन साल पहले, 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।
क्या है अमर जवान ज्योति का इतिहास, इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति कब और क्यों जलाई गई, और उसका नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय क्यों हो रहा है-
इंडिया गेट की नींव प्रथम विश्वयुद्ध के और (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में युद्ध स्मारक के रूप में बनाया गया था। इंडिया गेट पर भी सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं। 42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट ब्रिटिश राज के दौरान बना था।
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का निर्माण 1972 में इंडिया गेट के नीचे 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों की याद में किया गया था।
अमर जवान ज्योति स्मारक के ऊपर एक उल्टी बंदूक और सैनिक का हेलमेट बना हुआ है जिसके बगल में एक शाश्वत ज्योति (कभी नहीं बुझने वाली आग की लौ) जल रही है। 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, तो यह निर्णय लिया गया था कि अमर जवान ज्योति की मूल लौ यहीं जलाई जाएगी।
अमर जवान ज्योति एक काले मार्बल का फलक है जिसके चारों तरफ स्वर्णाक्षरों में ‘अमर जवान‘ लिखा हुआ। इसके ऊपर एक L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल रखी है और उसपर एक सैनिक का हेलमेट किसी मुकुट की तरह रखा गया है।
इस फलक के चारों तरफ कलश रखे हुए हैं, जिनमें से एक में ज्योति 1971 से जली आ रही है। यूं तो चारों कलशों में ज्योति जलती है मगर पूरे साल भर चार में से एक ही ज्योति चलती रहती है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर चारों कलशों की ज्योति जलाई जाती है। अमर जवान ज्योति पर सेना, वायुसेना और नौसेना के सैनिक तैनात रहते हैं।
यहां शहीदों के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। 1971 में निर्माण के बाद से हर साल गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य गणमान्य हस्तियां अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण करती हैं। हर साल उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने भारत की रक्षा में जान कुर्बान कर दी।
भारत ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर अब इस अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शिफ्ट करने का फैसला किया गया है। इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के रूप में जलने वाली आग की लौ का गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलने वाली लौ में विलय कर दिया जाएगा।
कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने इस पर बिना किसी का नाम लिए ट्वीट किया है, जिसमें कहा गया है कि देश प्रेम और बलिदान को समझना सबके बस की बात नहीं
बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।
कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…
हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 21, 2022
राजधानी दिल्ली में अभी तक अमर जवान ज्योति इंडिया गेट की पहचान हुआ करती थी लेकिन अब यह इंडिया गेट की जगह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी।