केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पड़ोसी देश में कहा कि बंदूकें लेकर घूमने वाले स्वतंत्रता सेनानी नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने लंबे संघर्ष के बाद जब देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया, तो क्या वो 15-16 अगस्त को बंदूकें लेकर घूमते देखे गए थे।नहीं, ना।उनका हर तरफ स्वागत हो रहा था। लेकिन, पड़ोसी मुल्क में महिलाओं, बच्चों पर जुल्म ढाने वाले बंदूकधारियों को स्वतंत्रता सेनानी कहा जा रहा है। यह हम किस संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। बंदूक की संस्कृति को अपनाने वाले न नायक हुए हैं न कभी हो सकते हैं। यह बातें उन्होंने बतौर मुख्य अतिथि मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रीतम दास मेहता प्रेक्षागृह में इंडिया थिंक काउंसिल की ओर से राजनीति के बदलते स्वरूप और शासन की चुनौतियां विषयक परिचर्चा में कही।राज्यपाल श्री खान ने कहा कि महिलाएं समाज में बराबरी की हकदार हैं।
भारत की महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। लेकिन, जहां बंदूक के बल पर महिलाओं को घरों में बंद किया जा रहा है, वहां के सामाजिक खतरे को समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे लोग क्या करते हैं, उस पर मेरा नियंत्रण नहीं हो सकता, लेकिन खुद पर तो अपना नियंत्रण होना ही चाहिए। उन्होंने भारतीय संस्कृति विविधता और ज्ञान को दुनिया के लिए सदियों से अनुकरणीय बताया।