अहमदाबाद पुलिस ने गुजरात विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों पर हमला करने के आरोप में अब तक कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान हितेश मेवाड़ा और भरत पटेल के रूप में हुई है। पुलिस ने कहा कि आरोपी पर गैर कानूनी जमावड़ा, हथियारों से लैस गैरकानूनी जमावड़ा, दंगा, जालसाजी, स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, जीवन को खतरे में डालना, आपराधिक अतिचार समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं।
शनिवार को पुरुषों के एक समूह ने कथित तौर पर विदेशी छात्रों को निशाना बनाया, जो परिसर के अंदर अपने छात्रावास में रात के समय रमज़ान की नमाज अदा कर रहे थे। उन्होंने छात्रों से परिसर में कहीं भी नमाज अदा नहीं करने को कहा। हमलावरों ने छात्रावास के कमरों में तोड़फोड़ की, नारेबाजी की और विदेशी छात्रों पर पथराव किया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि घटना शनिवार रात करीब 10:50 बजे हुई, जब करीब दो दर्जन लोग गुजरात विश्वविद्यालय के छात्रावास में घुस गए और विदेशी छात्रों के वहां नमाज पढ़ने पर आपत्ति जताई। करीब 20-25 लोग छात्रावास परिसर में घुसे और विदेशी छात्रों के वहां नमाज पढ़ने पर आपत्ति जताई और उन्हें मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए कहा। इसको लेकर उनके बीच बहस हो गई, छात्रों पर हमला व पथराव किया गया। उन्होंने उनके कमरों में भी तोड़फोड़ की।
डीसीपी (जोन 7) तरुण दुग्गल ने कहा, कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत दंगा, गैरकानूनी सभा, चोट पहुंचाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और आपराधिक अतिचार समेत विभिन्न आरोपों में 20-25 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस आयुक्त जी.एस. मलिक ने कहा कि घटना की जांच के लिए नौ टीम गठित की गई हैं। मलिक ने कहा कि गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें मामले में सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
मलिक ने कहा कि घटना के कई कथित वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें लोग पथराव कर रहे हैं और एक वीडियो में एक व्यक्ति विश्वविद्यालय के कर्मचारी को थप्पड़ मारता दिख रहा है। उन्होंने कहा, कि पुलिस इन वीडियो की सत्यता की जांच कर रही है। मलिक ने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय में अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, श्रीलंका और अफ्रीका के छात्रों समेत लगभग 300 विदेशी छात्र पढ़ते हैं।
शिकायत के मुताबिक, शुरुआत में तीन छात्र उन्हें रोकने आए, फिर अचानक 15 अन्य लोग आ गए और देखते ही देखते यह संख्या बढ़कर करीब 200 हो गई। पुलिस ने दंगे के आरोप में 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और आरोपियों का पता लगाने के लिए नौ जांच टीमें गठित की गई हैं।
पुलिस आयुक्त जीएस मलिक ने कहा कि गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें मामले में सख्त और न्यायिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अन्य लोगों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
घायल छात्रों – एक श्रीलंका से और दूसरा ताजिकिस्तान से – को अस्पताल में भर्ती कराया गया, और उनकी हालत स्थिर बताई गई है। विश्वविद्यालय की कुलपति, नीरजा अरुण गुप्ता ने कहा कि वे इस घटना को अत्यंत गंभीरता से देखते हैं और आश्वासन दिया कि विदेशी छात्रों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि “राज्य सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है”। इस बीच कांग्रेस की छात्र इकाई समेत विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर भाजपा शासित राज्य सरकार पर निशाना साधा और केंद्र सरकार से मामले में हस्तक्षेप करने का भी आग्रह किया।