किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की केंद्र सरकार की नई योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह उनके हित में नहीं है। सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे 21 फरवरी की सुबह 11 बजे अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर से शुरू करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्ताव में स्पष्टता नहीं है और वे सिर्फ दालों, मक्का और कपास की फसलों पर ही नहीं बल्कि सभी 23 फसलों पर एमएसपी चाहते हैं।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ”दोनों मंचों की चर्चा के बाद ये तय हुआ है कि विश्लेषण करें तो सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है। ये किसानों के पक्ष में नहीं है। हम इसे खारिज करते हैं।”
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डल्लेवाल ने कहा कि हमने चर्चा के बाद फैसला लिया है कि सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, अगर उसमें नाप-तोल किया जाए तो कुछ नजर नहीं आ रहा। मंत्री जी बता रहे थे कि सरकार दालों पर MSP की गारंटी देती है तो डेढ़ लाख करोड़ खर्च होगा। अगर सभी फसलों पर MSP दी जाएगी तो 1.75 लाख करोड़ रुपए खर्च आएगा इसलिए बाकी फसलों को छोड़ना उचित नहीं होगा। डल्लेवाल ने कहा कि सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपए में पाम ऑयल मंगाती है, अगर ये पैसा सरकार MSP पर दे तो अच्छा होगा। सरकार ने कहा दाल और बाकी फसलों पर खरीदी गारंटी देंगे, जो डाइवर्सिफिकेशन करेंगे, यानी जो धान छोड़कर मूंग लगाएंगे उन्हीं को मिलेगा। इस प्रस्ताव में कुछ नजर नहीं आ रहा है।
डल्लेवाल ने कहा कि ये प्रस्ताव किसानों के पक्ष में नहीं है। हम प्रस्ताव को रिजेक्ट करते हैं। भगवंत मान को इस मीटिंग में बैठाया गया कि हमारा सीएम हमारी परेशानी सुनेगा कि उसकी जमीन पर इंटरनेट नहीं चल रहा है। उसकी राज्य की जमीन पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहें हैं। हरियाणा के डीजीपी भी कह रहे कि आंसू गैस के गोले नहीं छोड़े हैं। अगर ऐसा है तो क्या यहां उनकी जानकारी के बिना 400 लोगों को घायल कर दिया गया?
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि हमने प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। अगर कोई पहले दालों को नहीं उगा रहा वो उस प्रस्ताव में नहीं आएगा। मीटिंग में सरकार ने चाल चलने का काम किया है। सरकार की नीयत में खोट है। नियत साफ होती तो ऐसा न करते. सरकार MSP गारंटी कानून 23 फसलों पर बनाकर दें और जो फसले बचेगी उस पर स्टडी करके उस पर भी दे। हमने विचार विमर्श करके बता दिया कि इस प्रस्ताव को रिजेक्ट करते हैं। C2+50 का फॉर्मूला पर सरकार क्या कर रही है? कर्ज माफी पर? मनरेगा मजदूरी पर? सरकार के मंत्रियों से पूछा तो कहा कि पहले इस प्रस्ताव पर बात करिए।
उन्होंने आगे कहा कि हम 21 फरवरी को दिल्ली कूच करने जा रहे हैं। सरकार से आगे फिलहाल कोई मीटिंग नहीं होगी। लेकिन हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।
केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार को चौथे दौर की बातचीत हुई थी जहां केंद्र ने सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद से जुड़ी पांच साल की योजना पेश की थी। वार्ता के बाद, किसान नेताओं ने घोषणा की थी कि वे प्रस्ताव का अध्ययन करते हुए दिल्ली मार्च दो दिनों तक रोकेंगे।
किसान नेताओं ने कहा कि फिलहाल सरकार के साथ कोई बैठक की योजना नहीं है लेकिन वे बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।
डल्लेवाल ने सरकार से अपील की कि या तो किसानों द्वारा उठाई गई मांगों को पूरा किया जाए या उन्हें दिल्ली में शांतिपूर्वक विरोध करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने सभी प्रदर्शनकारी किसानों से हिंसा न करने का भी आग्रह किया।
किसान नेताओं ने यह भी कहा कि पंजाब-हरियाणा सीमा पार करने की कोशिश के दौरान उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई में 400 किसान घायल हो गए। डल्लेवाल ने कहा कि हरियाणा के डीजीपी का यह दावा कि पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया गया, गलत है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को किसानों को लगी चोटों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।
किसानों ने 20 फरवरी की आधी रात तक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए पंजाब सरकार की भी आलोचना की और पूछा कि क्या यह केंद्र सरकार के आदेश पर किया गया है। उन्होंने इस बात पर स्पष्टीकरण की मांग की कि पंजाब सरकार ने ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं को प्रतिबंध लगाने के लिए लिखित आदेश क्यों जारी किए?
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, ”पंजाब के 7 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पंजाब सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने भी अनुमति दी थी, क्या वे भी चाहते हैं? क्या आपका ऑपरेशन हरियाणा के साथ मिलकर चल रहा है? पंजाब में इंटरनेट बंद नहीं किया जाना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि केंद्र के पास राज्य सरकार से पूछे बिना इंटरनेट बंद करने का कोई अधिकार है।”