एकनाथ शिंदे शिवसेना को महाराष्ट्र में एक बड़ी जीत मिली है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाया। नार्वेकर ने फैसला सुनाया कि उनके (शिंदे) नेतृत्व वाला शिवसेना गुट वैध था क्योंकि उन्हें पार्टी के बहुमत विधायकों का समर्थन प्राप्त था। उन्होंने यह भी फैसला सुनाया कि शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि तत्कालीन शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु के पास विधानमंडल की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं था। स्पीकर प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुटों – कुल 34 – की अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय ले रहे थे।
अपना आदेश सुनाते हुए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के 1999 के संविधान पर विचार करना होगा क्योंकि 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के समक्ष नहीं रखा गया था। 1999 में शिव सेना के संविधान ने पार्टी प्रमुख के हाथ से सत्ता का संकेंद्रण हटा दिया। हालाँकि, 2018 में संशोधित संविधान ने सत्ता वापस पार्टी प्रमुख के हाथों में दे दी।
इसके आधार पर स्पीकर ने कहा कि शिवसेना प्रमुख (अध्यक्ष) होने के नाते उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने की शक्ति नहीं है।
फैसला सुनाते हुए नार्वेकर ने कहा, “दोनों पार्टियों (शिवसेना के दो गुट) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है। दोनों दलों के नेतृत्व संरचना पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा।”
उन्होनें कहा, कहा, “शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। रिकॉर्ड के अनुसार, मैंने वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है। 21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट बना तब शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था।”
नार्वेकर ने कहा, “विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं।शिवसेना के किसी भी गुट का कोई भी विधायक अयोग्य नहीं।”
उद्धव ठाकरे गुट ने शिंदे गुट के विधायकों को इस आधार पर अयोग्य ठहराने की मांग की थी कि वे 21 जून को तत्कालीन मुख्य सचेतक सुनील प्रभु द्वारा बुलाए गए विधायक दल में शामिल नहीं हुए थे। हालांकि, शिंदे गुट ने भरतशेत गोगावले को मुख्य सचेतक नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया था।
इस पर स्पीकर ने कहा कि सुनील प्रभु के पास विधायक दल की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं है और उद्धव गुट की इस दलील को खारिज करना होगा कि प्रतिद्वंद्वी विधायक बैठक में नहीं आए।
नार्वेकर ने कहा, “इस आधार पर, मेरा मानना है कि शिंदे गुट को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह असली पार्टी है और इस गुट के उभरने के बाद से सुनील प्रभु सचेतक नहीं रहे।”
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शिंदे गुट को “असली” शिव सेना राजनीतिक दल बताए जाने पर महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना (शिंदे गुट) नेता दीपक केसरकर ने कहा, “इस फैसले से लोकतंत्र मजबूत होगा। इस फैसले की सच्चाई यह है कि पार्टी में भी लोकतंत्र होना चाहिए। यह निर्णय बिल्कुल सही निर्णय है।”
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, “इस फैसले के बाद अब उद्धव को सुप्रीम कोर्ट जाना होगा। उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्याय मिलने की उम्मीद है। अंबादास दानवे ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और इस फैसले को चुनौती देंगे।”
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम जनता के बीच रहे हैं, जनता के बीच रहेंगे और जनता को साथ लेकर हम लड़ेंगे।”
उन्होनें कहा, “आज जो स्पीकर का आदेश आया है वह लोकतंत्र की हत्या है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी अपमान है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि राज्यपाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और गलत फैसला लिया है। हम ये लड़ाई आगे लड़ेंगे और हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है।”
शिवसेना(UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, “ये फैसला कोई न्याय नहीं है ये एक षड्यंत्र है, हम सुप्रीम कोर्ट जरूर जाएंगे। हमारी लड़ाई न्यायालय में जारी रहेगी।”
वहीं शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा, “मैं बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हूं। हमने सुना था ‘वही होता है जो मंजूर-ए-खुदा’ होता है’। 2014 के बाद एक नई परंपरा शुरू हुई है ‘वही होता है जो मंजूर-ए-नरेंद्र मोदी और अमित शाह होता है’। यही हम महाराष्ट्र में होते हुए देख रहे हैं। जिस चीज़ को सुप्रीम कोर्ट ने ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ कहा था, उसे वैध करने का काम हो रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे जीत बताते हुए कहा, “यह सत्यमेव जयते है। सत्य की जीत हुई है। लोकशाही की जीत हुई है। लोकशाही में बहुमत का बहुत महत्व होता है और इसलिए आज स्पीकर ने जो फैसला सुनाया है वो लोकतंत्र की जीत है।”
वहीं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, ” महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने जो फैसला दिया है ये फैसला नियम और कानून के मुताबिक है। 2/3 बहुमत के माध्यम से एकनाथ शिंदे के पास 37 MLA हैं इसलिए चुनाव आयोग ने भी शिंदे की शिवसेना को असली गुट माना। उद्धव ठाकरे को बहुत बड़ा झटका लगा है।”
मालूम हो कि यह फैसला उस घटनाक्रम के 18 महीने बाद आया है जब एकनाथ शिंदे ने 40 से अधिक शिवसेना विधायकों के साथ, तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया था और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिरा दिया था, जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस भी शामिल थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा से हाथ मिला लिया और नए मुख्यमंत्री बने, जबकि देवेन्द्र फड़णवीस उप मुख्यमंत्री बने।
दलबदल विरोधी कानूनों के तहत एक-दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष क्रॉस-याचिकाएं दायर की गईं। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में स्पीकर राहुल नार्वेकर को याचिकाओं पर शीघ्रता से निर्णय लेने का निर्देश दिया।
चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष और तीर’ प्रतीक दिया था, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को धधकती मशाल के साथ शिवसेना (यूबीटी) कहा गया था।
पिछले साल जुलाई में एनसीपी का अजित पवार गुट भी शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गया था। अजित पवार, देवेन्द्र फड़णवीस के साथ डिप्टी सीएम बने। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 की दूसरी छमाही में होने हैं।