राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से संबंधित दिखाने वाला एक प्रमाण पत्र वायरल हो गया है। यह घटनाक्रम महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की चल रही मांग के बीच आया है। हालांकि, एनसीपी नेता और पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने सर्टिफिकेट में किए गए दावों का खंडन किया है और इसे फर्जी बताया है। उन्होंने कहा, “यह किसी का बचपना है। जब शरद पवार 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, तो क्या अंग्रेजी माध्यम के स्कूल थे? लोगों को इसके बारे में सोचना चाहिए।”
वायरल सर्टिफिकेट में पवार की पूरी जानकारी अंग्रेजी में दी गई है। पवार के समर्थक विकास पासलकर ने भी इन दावों को खारिज कर दिया कि ncp सुप्रीमो ओबीसी श्रेणी के हैं। उन्होंने एक स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र पेश किया, जिसमें पवार की जाति ‘मराठा’ बताई गई है।
पासलकर ने कहा, ”इस तरह के फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर शरद पवार जैसे बड़े नेता को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। एनसीपी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।”
पासलकर द्वारा साझा किया गया प्रमाणपत्र पुणे के बारामती जिले के एक स्कूल का है। इसमें कहा गया है कि शरद पवार ने मार्च, 1958 में एसएससी परीक्षा पास की थी।
मराठों के लिए आरक्षण की मांग के कारण हाल ही में पूरे महाराष्ट्र में हिंसा भड़क उठी थी। मराठा समुदाय के सदस्यों ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर राज्य भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया।
2 नवंबर को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे अपना अनिश्चितकालीन उपवास समाप्त करने पर सहमत हुए। उन्होंने राज्य सरकार से मराठों को आरक्षण आवंटित होने तक भर्ती नहीं करने की अपील की।