1300 एकड़ में फैला विशाल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर, जिसका एक हिस्सा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बीएचयू के साथ साझा किया जाता है, एक शिकारगाह में तब्दील होता जा रहा है जहां महिलाएं शिकार बन रही हैं। खगोल वैज्ञानिक जयंत विष्णु नार्लिकर, वैज्ञानिक सीएनआर राव, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला और अकादमिक और नारीवादी वीना मजूमदार जैसे प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों वाला ऐतिहासिक परिसर अब तेजी से एक नया टैग हासिल कर रहा है – ‘महिलाओं के लिए असुरक्षित’।
जनवरी से अब तक बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू की आठ महिलाओं ने पुरुषों द्वारा उत्पीड़न, छेड़छाड़ और अपमानित होने की सूचना दी है।
इसने बीएचयू के छात्रों को उनके आईआईटी समकक्षों के खिलाफ खड़ा कर दिया है। दरअसल, बीते 2 नवंबर को आईआईटी बीएचयू में एक छात्रा के साथ तीन मनचलों ने छेड़छाड़ किया था। इस घटना के बाद बीएचयू प्रशासन द्वारा निर्णय लिया गया कि आईआईटी बीएचयू और बीएचयू कैंपस के बीच में बाउंड्री बनाई जाएगी। बीएचयू प्रशासन द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद छात्र संगठन काफी नाराज हैं। घटना को बीते एक सप्ताह हो गया है और संदिग्ध अभी भी फरार है।
इसी के विरोध में AISA और BSM द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। छात्रों को प्रॉक्टोरियल बोर्ड और पुलिस फोर्स द्वारा रोका गया लेकिन वह नारेबाजी करते रहे। इसी दौरान एबीवीपी छात्र संगठन से जुड़े छात्र भी वहां पहुंच गए। उसके बाद एबीवीपी और आइसा व भगत सिंह छात्र मोर्चा के छात्रों के बीच कहासुनी होने लगी। देखते ही देखते दोनों में गाली गलौज और तीखी नोक झोंक शुरू हो गई। छात्र संगठनों के बीच झड़प होने की सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची और किसी तरह स्थिति को नियंत्रण में किया।
छात्रों ने सीसीटीवी निगरानी जैसे बुनियादी सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए वाराणसी पुलिस और प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इस घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय में राजनीतिक और सामाजिक छात्र सक्रियता को बढ़ा दिया है जहां 2014 से चुनावों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अब तनाव बीएचयू की दीवारों के बाहर फैल गया है।
बुधवार को आईआईटी-बीएचयू के छात्रों ने यौन उत्पीड़न मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू किया। 8 नवंबर को सैकड़ों छात्रों ने नारे लगाते हुए मार्च निकाला।
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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा स्थिति पर जवाब मांगा है, जबकि एबीवीपी ने यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय पर “घटिया राजनीति” के साथ प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों को बदनाम करने का आरोप लगाया है।
विश्वविद्यालय में होने वाली सारी बातचीत अब विरोध की गर्म भावनाओं में फंस गई है और महिलाओं की सुरक्षा पिछड़ गई है। दर्ज किए गए आठ मामलों में से पुलिस ने सात एफआईआर दर्ज की हैं और 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी जमानत पर बाहर हैं।
विश्वविद्यालय की युवा नाराज महिलाओं का कहना है कि बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू दोनों सुरक्षा कड़ी करने और परिसर में अधिक सीसीटीवी लगाने के लिए कई उपायों की योजना बना रहे हैं, लेकिन ये सिर्फ सतही बदलाव हैं। यौन उत्पीड़न के खिलाफ लिंग संवेदीकरण समिति (जीएसकैश) की अनुपस्थिति में, बातचीत पीड़ित को दोष देने और राजनीतिक कीचड़ उछालने में बदल जाती है।
इस बीच कॉलेज के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी निगरानी बढ़ाने, परिसर के चारों ओर बेहतर रोशनी करने और अन्य उपायों के बीच सुरक्षा जांच चौकियां शुरू करने का फैसला किया है।
इस घटना के मद्देनजर कैंपस में छात्र सुरक्षा पर चर्चा के लिए आईआईटी-बीएचयू और बीएचयू प्रशासन के बीच एक संयुक्त बैठक हुई। प्रशासन इस बात पर सहमत था कि दोनों संस्थानों के बीच एक सीमा दीवार का निर्माण सुरक्षा चिंताओं का समाधान नहीं करेगा और अस्पतालों, सीवेज सिस्टम, बिजली, जल आपूर्ति, डाकघर और परिसर की सड़कों जैसी साझा सुविधाओं के कारण यह संभव नहीं था।
जिन उपायों पर सहमति बनी उनमें वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड की मदद से सीसीटीवी निगरानी को तेज करना, परिसर के मार्गों पर बेहतर प्रकाश व्यवस्था और असामाजिक तत्वों के प्रवेश को रोकने के लिए रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक परिसर के सभी सात द्वारों पर कड़ी निगरानी और सुरक्षा शामिल थी।
दोनों संस्थान अपने-अपने महिला शिकायत निवारण कक्षों को मजबूत करने और छात्रों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। छात्रों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयासों के समन्वय के लिए दोनों संस्थानों के संकाय सदस्यों की एक संयुक्त समिति का गठन किया गया है।
प्रशासन ने सभी छात्रों और पूरे बीएचयू समुदाय से इन उपायों के कार्यान्वयन में सहयोग करने और सभी नियमों और प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की।