आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने अनिश्चितकालीन निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने अपने निलंबन को सदन के एक सत्र से आगे बढ़ाने का मुद्दा उठाते हुए शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है। अपने निलंबन को मनमाना और अवैध बताते हुए उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने कोई कार्रवाई नहीं की और इस मुद्दे को अनिश्चित काल तक विलंबित किया जा रहा है।
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चड्ढा पर पांच राज्यसभा सांसदों का नाम चयन समिति में शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने का आरोप लगाया गया था। सांसद को तब तक राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती।
राघव चड्ढा को दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव पर पांच सांसदों – भाजपा के एस फांगनोन कोन्याक, नरहरि अमीन और सुधांशु त्रिवेदी, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई और बीजद के सस्मित पात्रा – के कथित रूप से जाली हस्ताक्षर करने के लिए अगस्त में राज्य सभा से निलंबित कर दिया गया था।
निलंबन का प्रस्ताव भाजपा के पीयूष गोयल ने पेश किया था। उन्होंने राघव चड्ढा की कार्रवाई को अनैतिक बताया था।
अपने निलंबन के बाद चड्ढा ने आरोप लगाया था कि यह कदम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का उन सभी लोगों को चुप कराने का प्रयास है जो उन पर सवाल उठाते हैं।
इस बीच, आप ने भाजपा पर चड्ढा को ‘जानबूझकर फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। पार्टी ने आगे कहा कि राघव चड्ढा के खिलाफ ‘फर्जी हस्ताक्षर’ के आरोप ”झूठे और राजनीति से प्रेरित” हैं।