हिंसा प्रभावित मणिपुर में तनाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। गुरुवार रात एक बार फिर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच नए दौर की झड़पें हुईं। इम्फाल घाटी में सार्वजनिक आक्रोश जारी रहा क्योंकि लोगों ने प्रदर्शन किया और दो छात्रों की हत्या के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की। ये छात्र मैतेई समुदाय से थे। मणिपुर में दोनों छात्रों की मौत पर छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार से ही राज्य की राजधानी को हिलाकर रख दिया है।
इंफाल पूर्व के हिंगिंग इलाके में प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक घर की ओर मार्च करने के लिए एकत्र हुए। सुरक्षाकर्मियों ने नागरिकों को रोका, जिससे दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई।
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एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “इंफाल के हिंगांग इलाके में मुख्यमंत्री के पैतृक घर पर हमला करने का प्रयास किया गया था। सुरक्षा बलों ने भीड़ को घर से लगभग 100 मीटर दूर रोक दिया।”
यह घटना मंगलवार को इम्फाल में दो मणिपुरी छात्रों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आक्रोश के बाद हुआ है। दोनों छात्र 6 जुलाई से लापता बताए जा रहे थे।
दरअसल, बुधवार को गुस्साई भीड़ ने मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी के मंडल कार्यालय में भी आग लगा दी थी। उसी दिन, मणिपुर के कई छात्र संगठनों ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में बलों की अत्यधिक कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।
मणिपुर में छह छात्र संगठनों ने दो छात्रों के अपहरण, हत्या और फोर्सेज की अत्यधिक कार्रवाई के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने भारत-म्यांमार सड़क मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और राजमार्ग पर टायर जलाए। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और नकली बमों का सहारा लिया। बदले में प्रदर्शनकारियों ने गुलेल से जवाबी कार्रवाई की और फोर्सेज पर पत्थर फेंके।
प्रदर्शनकारी छात्रों को “हम दो छात्रों की क्रूर हत्या की निंदा करते हैं”, “हम न्याय चाहते हैं”, “मणिपुर लंबे समय तक जीवित रहें”, “केंद्रीय बलों, वापस जाओ”, “बलों की अत्यधिक कार्रवाई की निंदा करते हैं” और “एनआरसी लागू करें” जैसे नारे लगाते हुए सुना गया।”
भीड़ ने इंफाल पश्चिम जिले में डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में भी तोड़फोड़ की।
राज्य में संभावित प्रदर्शनों और हिंसा से निपटने के लिए मणिपुर पुलिस, सीआरपीएफ और आरएएफकर्मी इम्फाल घाटी में तैनात हैं। एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है। राज्य सरकार ने कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के मद्देनजर 27 और 29 सितंबर को सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। राज्य में झड़पों के बाद सरकार ने इंटरनेट मोबाइल सेवा पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया। यह बैन एक अक्टूबर तक जारी रहेगा। हालांकि, सरकार ने दवाइयों और जरूरी सामानों की खरीद को ध्यान में रखते हुए कर्फ्यू प्रतिबंधों में ढील दे दी है।
मंगलवार को इम्फाल में दो मैतेई छात्रों के शव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने के बाद बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आक्रोश शुरू हो गया। मणिपुर सरकार ने इंटरनेट सेवाओं को फिर से शुरू करने के दो दिन बाद ही राज्य में अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दे दिया। 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं। मेइतेई राज्य की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। नागा और कुकी सहित जनजातियाँ 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहती हैं।