कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को महिला आरक्षण विधेयक की प्रशंसा की, लेकिन इसे “जाति जनगणना की मांग से ध्यान भटकाने की रणनीति” बताया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि महिला आरक्षण अच्छी बात है, लेकिन हमें दो फुटनोट मिले- एक ये कि बिल लागू होने से पहले जनगणना करानी होगी और दूसरा परिसीमन। राहुल गांधी ने बिल के कार्यान्वयन की समयसीमा पर सवाल उठाते हुए कहा, “कोई नहीं जानता कि यह लागू भी होगा या नहीं। यह ओबीसी जनगणना से ध्यान भटकाने वाली रणनीति है।
राहुल गांधी ने कहा, ”महिला आरक्षण बिल बढ़िया है लेकिन हमें दो फुटनोट मिले कि जनगणना और परिसीमन उससे पहले करने की जरूरत है। इन दोनों में कई साल लगेंगे। सच तो यह है कि आरक्षण आज ही लागू हो सकता है…यह है कोई जटिल मामला नहीं है लेकिन सरकार ऐसा नहीं करना चाहती है। सरकार ने इसे देश के सामने पेश किया है लेकिन इसे अब से 10 साल बाद लागू किया जाएगा। कोई नहीं जानता कि यह लागू भी होगा या नहीं। यह एक ध्यान भटकाने वाली रणनीति है, ध्यान भटकाने वाली रणनीति है।”
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राहुल ने आगे कहा, “आपका ध्यान किस चीज़ से भटक रहा है? ओबीसी जनगणना से। मैंने संसद में एक संस्था के बारे में बात की, जो भारत सरकार चलाती है – कैबिनेट सचिव और सचिव…मैंने पूछा कि 90 में से केवल तीन ही लोग क्यों ओबीसी समुदाय से हैं? मुझे समझ नहीं आता कि पीएम मोदी हर दिन ओबीसी की बात करते हैं लेकिन उन्होंने उनके लिए क्या किया?”
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यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस बात का अफसोस है कि 2010 में यूपीए द्वारा लाए गए महिला आरक्षण के तहत ओबीसी कोटा प्रदान नहीं किया गया था, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “100% अफसोस है। यह तभी किया जाना चाहिए था। हम इसे पूरा करेंगे।”
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ओबीसी का मुद्दा उठाते हुए राहुल ने कहा, ‘जो बजट को ऑफिसर कंट्रोल करते हैं, उसमें केवल 5 फीसदी ओबीसी ही बजट को कंट्रोल कर रहे हैं। एक बार मैं मन बना लेता हूं तो फिर छोड़ता नहीं हूं। मुझे यह पता लगाना है कि हिंदुस्तान में कितने फीसदी ओबीसी हैं, क्या पांच फीसदी ही हैं, अगर हैं तो ठीक है वरना सरकार बताए कितने हैं?’
मालूम हो कि राज्यसभा में मौजूद 214 सांसदों द्वारा इसके पक्ष में मतदान करने के बाद गुरुवार को संसद ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कर दिया। विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून का समर्थन करने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया।
128वां संविधान संशोधन विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को अब अधिकांश राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन अभ्यास के बाद लागू किया जाएगा, जिसके बारे में सरकार ने कहा है कि इसे अगले साल शुरू किया जाएगा।