महिला आरक्षण विधेयक को बृहस्पतिवार को राज्यसभा से भी पारित कर दिया गया। इस तरह महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है। बिल के पक्ष में 215 वोट पड़े जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला। उच्च सदन से पास होने के बाद अब विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। उसके बाद आधे से अधिक राज्यों के विधानसभा से इस बिल को स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून प्रभावी हो जाएगा। इसके बाद संसद-विधानसभा में आरक्षण के लिए परिसीमन के लिए इंतजार करना होगा।
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वोटिंग के बाद राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “यह महज एक संयोग है…हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। उन्होंने प्रधानमंत्री को बधाई दी।”
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बिल पर वोटिंग के दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी राज्यसभा में मौजूद रहे। पीएम मोदी ने कहा कि इस बिल पर दो दिनों से अहम चर्चा हो रही है। सभी साथियों ने सार्थक चर्चा की है। भविष्य में भी इस चर्चा का एक-एक शब्द हमारी यात्रा में काम आने वाला है। इस बिल का समर्थन करने के लिए सभी का आभार व्यक्त करता हूं। पीएम मोदी ने सभी से राज्यसभा में बिल का समर्थन करने का आह्वान करते हुए अपना संबोधन खत्म किया।
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एक दिन पहले ही संसद और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला यह बिल लोकसभा में पास हुआ था। विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े थे, जबकि इसके विरोध में असदुद्दीन ओवैसी 2 सांसदों ने वोट किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा से विधेयक पास होने के बाद पोस्ट किया था कि इस अभूतपूर्व समर्थन के साथ लोकसभा में बिल पारित होने पर खुशी हुई।
इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। महिला आरक्षण विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “यह आरक्षण ऊर्ध्वाधर के साथ-साथ क्षैतिज भी है। इसके तहत एससी-एसटी महिलाओं को भी आरक्षण मिलेगा। इसलिए जनगणना और परिसीमन महत्वपूर्ण हैं…जैसे ही विधेयक पारित होगा, जनगणना और परिसीमन होगा। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है। कौन-सी सीट महिलाओं को जाएगी, ये परिसीमन आयोग तय करेगा।”
मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस के समय लोकसभा में यह बिल इसलिए पास नहीं हो सका क्योंकि उनके पास न तो नीति थी और न नियति थी। लेकिन आज हमारे पास नीति, नियति और नेता सब हैं।
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राज्यसभा में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सबसे पहले महिला आरक्षण विधेयक पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “कल लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हुआ और मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि आज यहां पर भी ये बिल किसी भी बाधा के बगैर सर्वसम्मति से पास हो जाएगा। मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि जो आरक्षण का विषय काफी लंबे समय से चल रहा था उन्होंने उसको निर्णायक मोड़ पर लाने का प्रयास किया है।’
उन्होंने कहा, “कुछ इस तरह की चर्चा हो रही है कि इस बिल को अभी से लागू कर दिया जाए। मैं इसे स्पष्ट करना चाहता हूं कि कुछ संवैधानिक व्यवस्थाएं होती हैं, कुछ संवैधानिक कार्य करने का तरीका होता है हमें महिलाओं को आरक्षण देना है लेकिन किस सीट पर आरक्षण दिया जाए, किस पर न दिया जाए इसका फैसला सरकार नहीं कर सकती है बल्कि अर्ध न्यायिक निकाय करती है। इसके लिए दो चीज महत्वपूर्ण है -जनगणना और परिसीमन। इसके बाद सार्वजनिक सुनवाई हो फिर सीट और नंबर निकाला जाए फिर आगे बढ़ाया जाए। अगर आप आज ये बिल पास करते हैं तो 2029 में हमारी महिला आरक्षित महिलाएं MP बन करके आए जाएंगी।”
नड्डा ने आगे कहा आजाद भारत में 12 महिलाएं 12 मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। कई देशों में महिलाओं ने वोटिंग राइट्स के लिए लंबा संघर्ष किया। हमारे यहां पहले आम चुनाव में ये महिलाओं को ये अधिकार मिला। उन्होंने सरोजनी नायडू की ब्रिटिश पीएम को चिट्ठी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारा नजरिया अबला, बेचारी का कभी नहीं रहा। हमने आगे बढ़ाने का काम किया। हमारे देश को कई दूसरे देशों के मुकाबले पहले महिला पीएम मिली।
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उन्होंने कहा, कहा,’बीजेपी का काम इससे पॉलिटिकल एडवांटेज लेना नहीं है। मोदीजी जो काम करते हैं वह पक्का काम करते हैं। कच्चा काम नहीं करते। बीजेपी महिलाओं का उत्थान करने में हमेशा आगे रही है। भाजपा पहली और अकेली पार्टी है, जो महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण सब जगह देती है। मोदीजी के नेतृत्व में पहली विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहले वित्त मंत्रीऔर निर्मला सीतारमण पहली रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण बनाई गईं।
राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली। दरअसल बिल पेश किए जाने के बाद सत्ता पक्ष की ओर से नड्डा ने जैसे ही बोलना शुरू किया कि बीच में ही मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें टोक दिया। इस बिल पर दोनों नेताओं के बीच तीखी चर्चा और नोंक-झोंक देखने को मिली। खरगे ने इस दौरान जेपी नड्डा से सवाल किया कि सरकार महिलाओं को तत्काल आरक्षण नहीं दे रही बल्कि महिलाओं को आरक्षण का झुनझुना थमा रही है।
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महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पहली बार महिला आरक्षण पर बात हो रही ऐसा नहीं। इसकी शुरुआत 11 वीं लोकसभा से हुई लेकिन यह बिल कभी पास नहीं हुआ। निर्मला सीतारमण ने विपक्षी सदस्यों के उस सवाल का जवाब दिया कि यह बिल पेंडिंग था। उन्होंने कहा कि लोकसभा भंग होने के बाद ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि बीजेपी की ओर से लगातार महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। पार्टी के भीतर भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। उन्होंने इस मौके पर बोलते हुए खास तौर पर अरुण जेटली और सुषमा स्वराज को याद किया।
सीतारमण ने महिला आरक्षण विधेयक को “ऐतिहासिक” बताया। उन्होंने राज्यसभा को बताया कि महिला कोटा बिल का प्रस्ताव पहली बार नहीं किया जा रहा है। इस विधेयक को पारित कराने के लिए अतीत में ऐसे चार गंभीर प्रयास किए जा चुके हैं। सबसे पहले 1996 में, फिर 1998 में, फिर 1999 में और हाल ही में 2008 में इस विधेयक को पारित करने का प्रयास किया गया।”
सीतारमण ने कहा कि मैं पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार को उस समय पंचायत राज में 33 प्रतिशत आरक्षण लाने का श्रेय देना चाहती हूं। परिणामस्वरूप, हमने पंचायत स्तर पर विकास देखा, जहां आज कई राज्यों द्वारा 33% आरक्षण को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। पंचायत स्तर पर महिलाओं के योगदान को दर्शाता है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि महिलाओं से संबंधित मामलों में हम कोई राजनीति नहीं करते। यह प्रधानमंत्री के लिए विश्वास का विषय है इसलिए हम वो सब कुछ करते हैं जो हमने किया है। चाहे वह अनुच्छेद 370 हो, तीन तलाक हो या अब महिला आरक्षण विधेयक।
महिला कोटा बिल को पारित करने के पिछले प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, निर्मला सीतारमण ने कहा कि “कोई भी बिल प्रतीक्षा में नहीं है”। उन्होंने कहा कि जो विधेयक 2010 में राज्यसभा में पारित हुआ था, वह बाद में समाप्त हो गया। सीतारमण ने कहा, “कोई भी विधेयक प्रतीक्षा में नहीं है। लोकसभा के विघटन के साथ, वह विधेयक जो राज्यसभा में पारित हो गया था और 2010 में स्वाभाविक रूप से लोकसभा में प्रेषित किया गया था, वह भी समाप्त हो गया।”
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जन खरगे ने कहा कि मैं दिल से इस बिल को पूर्ण समर्थन देता हूं। इंडिया गठबंधन के दल भी इसे सपोर्ट करते हैं। खरगे ने कविता सुनाते हुए कहा कि कोमल है तू कमजोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है। जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है। सतियों के नाम पर तुझे जलाया गया, सीता जैसी अग्निपरीक्षा भी हुई। बहुत हो चुका अब मत सहना, तुझे इतिहास बदलना है। कोमल है तू कमजोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है। उन्होंने कहा कि हम इस शक्ति को बढ़ावा दे रहे हैं, हम समर्थन कर रहे हैं, लेकिन ये जुमला नहीं हो। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल को अभी लागू किया जाना चाहिए।
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खड़गे ने कहा कि ये बिल विशेष है, महिलाओं के लिए हैं। स्त्री शक्ति के लिए है। इस बिल को हम खराब करना नहीं चाहते लेकिन इस पर मेरी आपत्ति है। इस बिल का क्लोज 5 कहता है कि आरक्षण तभी लागू होगा, जब परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होगी। परिसीमन की प्रक्रिया जनगणना पूरी होने के बाद कराई जाएगी। इस तरह से महिला आरक्षण से पहले दो अनिवार्य शर्त रखी गई है- पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन। हम बिना कोई शर्त समर्थन दे रहे हैं। इसमें परिसीमन और जनगणना की कोई जरूरत नहीं है। कृषि बिल भी तो पास किया गया था, नोटबंदी की थी, तो इसी भी कर सकते हैं।
संसद में आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा,’पीएम ने सेंट्रल हॉल में कहा था कि जितना बड़ा कैनवास होगा, तस्वीर उतनी ही बड़ी होगी। कैनवास बड़ा है, लेकिन तस्वीर छोटी है। महिला आरक्षण के भीतर ही आरक्षण के कोटे की व्यवस्था हो। एससी-एसटी के लिए सीटें पहले से ही कम हैं, उनमें 33 फीसदी आरक्षण से सीटें और कम हो जाएंगी। 180 सीटों में ही इनके लिए आरक्षण की व्यवस्था हो। भगवतिया देवी, फूलन देवी क्या फिर संसद में आ पाईं? एससी-एसटी के साथ ओबीसी को भी शामिल किया जाए। आज भी मौका है, इसे सलेक्ट कमेटी को भेजकर इसमें शामिल किया जाए। ये नहीं होगा कि बाबा साहब को माला भी पहनाएं और उनकी बात का अनुसरण न करें। ये 33 फीसदी ही क्यों, 50 या 55 फीसदी क्यों नहीं? क्या आप नहीं चाहते कि समाज का वर्ग चरित्र बदले? इसमें सबका प्रतिनिधित्व हो।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा,’आप (मोदी सरकार) पिछले 9 सालों से सरकार में हैं। फिर आपको महिला आरक्षण बिल लाने में इतन समय क्यों लग गया? 2014 से लेकर आज 2023 तक 9 साल पूरो हो चुके हैं। क्या सरकार बिल लाने के लिए संसद की नई बिल्डिंग का इंतजार कर रही थी? क्या पुरानी संसद में वास्तु दोष था?
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने महिला आरक्षण बिल से धारा 334ए को हटाने की मांग की। धारा कहती है कि आरक्षण पहली जनगणना के बाद लागू होगा।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इसमें बीजेपी की नीयत साफ नहीं है। अगर नीयत महिला सशक्तिकरण की थी तो इसे तुरंत लागू करना चाहिए था। इससे पहले भी जब 2010 या 1979 में ये बिल आया था तो बीजेपी ने इसका विरोध किया था। आज हम इसे राज्यसभा में आम सहमति से पास कराने की कोशिश कर रहे हैं।
महिला आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने राज्यसभा में अपनी चिरपरिचित शैली में भाषण दिया। उन्होंने तुकबंदी कर महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में खूब कसीदे पढ़ें। मैं बहुत बार गया हूं रूस लेकिन महिला बिल के कारण मैं बहुत ही हूं खुश अब मजबूत हो जाएगी नारी शक्ति, सभी महिलाओं को अब मिल जाएगी मुक्ति…महिलाओं की गाड़ी अब कहीं भी नहीं रुकेगी, महिलाएं अब किसी के सामने नहीं झुकेंगी….सशक्त हो गई है नारी, वो पड़ जाएगी हम सभी को भारी…..लोकसभा, विधानसभा में महिलाएं अच्छी खेलेंगी पारी….और मोदी जी के साथ आएंगी ये महिलाएं सारी….बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ लेकिन समाज को आपस में मत लड़ाओ….महिलाओं को उनके काम में मत अड़ाओ, महिलाओं से अन्याय करने वालों पर गाड़ी चढ़ाओ…..मोदी है तो मुमकिन है, मोदी नहीं तो मुमकिन नहीं है….मोदी है तो विकास है, मोदी है तो विकास नहीं…मोदी है तो नया संसद भवन है, मोदी नहीं तो नया संसद भवन नहीं है….मोदी है तो जी 20 की अध्यक्षता है लेकिन मोदी नहीं तो अध्यक्षता नहीं है…मोदी है तो सामाजिक न्याय है, मोदी नहीं तो सामाजिक न्याय नहीं है…महिला बिल के समर्थन में मैं यहां खड़ा हूं, क्योंकि मैं कई साल महिलाओं के लिए लड़ा हूं….मोदीजी का ये निर्णय बहुत बड़ा है, इसलिए मैं समर्थन में यहां खड़ा हूं।
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लोकसभा में गुरुवार को पीएम मोदी ने इसके लिए सभी सांसदों को धन्यवाद दिया, तो वहीं राजनाथ सिंह ने भी विपक्ष के सहयोग की तारीफ की। हालांकि, इस बीच एक मौका ऐसा भी आया, जब आमतौर पर शांत रहने वाले राजनाथ सिंह अचानक ही अपने वक्तव्य को छोड़कर कांग्रेस को जवाब देने लगे। यह मामला था चीन से जुड़े एक सवाल का, जिस पर कांग्रेस ने बार-बार रक्षा मंत्री के भाषण को बाधित करने की कोशिश की। इसके बाद राजनाथ ने अपने जवाब से विपक्ष की बोलती बंद कर दी।
पीएम मोदी ने लोकसभा में सभी सांसदों का धन्यवाद देते हुए कहा, “कल भारत की संसदीय यात्रा का स्वर्णिम पल था। इस सदन के सभी सदस्य उस स्वर्णिम पल के हकदार हैं…कल का निर्णय और आज जब हम राज्यसभा (बिल पारित होने) के बाद आखिरी पड़ाव पार कर लेंगे, तो देश की मातृशक्ति का जो मिजाज बदलेगा और जो विश्वास पैदा होगा वो देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली अकल्पनीय शक्ति बनकर उभरेगा। ये मैं अनुभव करता हूं।”
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लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “चंद्रयान-3 की सफलता हमारे लिए निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि एक तरफ दुनिया के अधिकांश विकसित देश हैं, जो हमसे कहीं अधिक संसाधन-संपन्न होते हुए भी चांद पर पहुंचने के लिए अब भी प्रयासरत हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम बेहद सीमित संसाधनों से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले देश बन गए हैं। मैं सबसे पहले ISRO के वैज्ञानिक और व्यापक भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को इस सफलता के लिए हार्दिक बधाई देता हूं।आज केवल मुझे ही नहीं, सरकार को ही नहीं, इस सदन को ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र को अपने इन वैज्ञानिकों पर गर्व है।”
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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा कि देश को अब कुछ ही घंटों में प्रज्ञान और विक्रम के नींद से जागने का इंतजार है, ऐसा होते ही यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा। चंदमा पर 14 दिन की रात समाप्त होने वाली है और हमें बेसब्री से वहां सूर्योदय होने और उसके साथ ही ‘विक्रम’ व ‘प्रज्ञान’ के सक्रिय होने का इंतजार है।
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कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “2014 में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में यह सुनिश्चित किया था कि वे महिला आरक्षण बिल लाएंगे लेकिन इसमें 10 साल लग गए… यह सिर्फ चुनावी जुमला है क्योंकि सरकार को बखूबी पता है कि यह अभी लागू नहीं होगा, यह जनगणना और परिसीमन के बाद लागू होगा और यह कब की जाएगी इसकी जानकारी नहीं है। आप सपना दिखातें हैं लेकिन सपने को साकार करने के लिए रास्ता नहीं दिखाते।”
मालूम हो कि इस विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम के इस विधेयक को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया था। यह परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू होगा और इसलिए 2024 में अगले लोकसभा चुनाव के दौरान इसके लागू होने की संभावना नहीं है।
बीते साल दिसंबर में सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है। इसके अलावा 10 राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी शामिल हैं।