राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर से ‘अखंड भारत’ की वकालत की है और दावा किया कि आने वाले वर्षों में यह एक वास्तविकता होगी। नागपुर में एक कार्यक्रम में एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि वह ठीक-ठीक नहीं बता सकते कि अखंड भारत कब अस्तित्व में आएगा।
RSS प्रमुख ने कहा, “लेकिन अगर आप इसके लिए काम करते रहेंगे, तो आप बूढ़े होने से पहले इसे साकार होता हुआ देखेंगे। क्योंकि हालात ऐसे बन रहे हैं कि जो लोग भारत से अलग हो गए, उन्हें लगता है कि उन्होंने गलती की है। उन्हें लगता है कि ‘हमें फिर से भारत होना चाहिए था।’ उन्हें लगता है कि भारत बनने के लिए उन्हें नक्शे पर मौजूद रेखाओं को मिटाना होगा, लेकिन यह वैसा नहीं है। भारत होने का अर्थ भारत की प्रकृति (“स्वभाव”) को स्वीकार करना है।”
#WATCH | Nagpur, Maharashtra: On 'Akhand Bharat', RSS chief Mohan Bhagwat says, "…Those who separated from Bharat feel they have made a mistake…Bharat hona yani Bharat ke swabhav ko svikar karna…" pic.twitter.com/zc7kj1KU4Q
— ANI (@ANI) September 6, 2023
आरएसएस प्रमुख का यह बयान नाम बदलने की बहस के बीच आया है जो जी20 रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र के सामने आने के बाद शुरू हुआ, जिसमें द्रौपदी मुर्मू को ‘भारत का राष्ट्रपति’ बताया गया था।
इसके बाद से विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मोदी सरकार इंडिया को छोड़कर देश के नाम के रूप में सिर्फ भारत के साथ रहने की योजना बना रही है। कांग्रेस ने दावा किया कि ‘इंडिया’ नाम के समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के गठबंधन ने भाजपा को चिंतित कर दिया है जो अब इंडिया को छोड़कर केवल भारत को देश के नाम के रूप में रखने की कोशिश कर रही है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते मोहन भागवत ने इंडिया की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल की जोरदार वकालत की थी।
आरएसएस प्रमुख ने 1 सितंबर को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “हमारे देश का नाम सदियों से भारत रहा है। भाषा कोई भी हो, नाम एक ही है।”
उन्होंने कहा था, “हमारा देश भारत है और हमें ‘इंडिया’ शब्द का प्रयोग बंद कर सभी व्यवहारिक क्षेत्रों में ‘भारत’ का प्रयोग शुरू करना होगा, तभी बदलाव आएगा। हमें अपने देश को भारत कहना होगा और दूसरों को भी समझाना होगा।”