सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है जिसका उद्देश्य आम और राज्य चुनाव एक साथ कराना है। यह कदम उन रिपोर्टों के एक दिन बाद आया है जिसमें कहा गया था कि सरकार 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल पेश कर सकती है।
The Central government announced the setting up of a high-level panel to study the proposal of 'one nation, one election'. Former president #RamNathKovind will head the panel and submit a report on the proposal.
The move comes a day after the government announced a special… pic.twitter.com/VJ3AGUNWgi
— IANS (@ians_india) September 1, 2023
पैनल के सदस्यों पर एक अधिसूचना बाद में जारी की जाएगी। पैनल के गठन से लोकसभा चुनाव को आगे बढ़ाने की संभावना बढ़ गई है ताकि उन्हें विधानसभा चुनावों के साथ आयोजित किया जा सके।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर कमिटी के गठन के बाद इस पर नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्ष में गठित कमिटी के इस नोटिफिकेशन में वन नेशन, वन इलेक्शन की शर्तें और मियाद का जिक्र होगा।
भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने आज दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द से उनके आवास पर मुलाकात की।
Visuals of BJP chief JP Nadda meeting former President Ram Nath Kovind at the latter's residence in Delhi earlier today. pic.twitter.com/SadjiLU6DV
— Press Trust of India (@PTI_News) September 1, 2023
सूत्रों ने बताया कि रामनाथ कोविंद के विशेषज्ञों से बात करने की उम्मीद है और वह इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से भी सलाह ले सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति इस अभ्यास की व्यवहार्यता और तंत्र का भी पता लगाएंगे कि देश एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कैसे करा सकता है, जैसा कि 1967 तक होता था।
एक राष्ट्र, एक चुनाव के मामले पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत ने कहा, “2015 में सरकार ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या ऐसे चुनाव दोबारा कराना संभव है तो चुनाव आयोग ने सरकार को बताया कि कुछ संशोधन के बाद ये संभव हो सकता है। संशोधन कराना सरकार की जिम्मेदारी है।”
#WATCH | 'One Nation, One Election', Former Chief Election Commissioner OP Rawat says, "…There is one difficulty in the present situation & that is to make amendment in the constitution & law. It is the government's responsibility to make those amendments through the… pic.twitter.com/H8TzafCGQN
— ANI (@ANI) September 1, 2023
पूर्व कानून सचिव पीके मल्होत्रा कहते हैं, “एक राष्ट्र, एक चुनाव का मुद्दा पहली बार नहीं उठाया जा रहा है। इस पर पहले भी बहस हो चुकी है। हमारे प्रधानमंत्री ने भी समय-समय पर कहा है कि अब समय आ गया है जब हमें इस मुद्दे की फिर से जांच करनी चाहिए और देखना चाहिए कि देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव हो। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा और समाधान निकाला जाएगा।”
#WATCH | On a panel led by former President Ram Nath Kovind to study 'One Nation, One Election', Former Law Secretary PK Malhotra says, "One Nation, One Election is not being raised for the first time. It has been debated earlier also…Our PM has also from time to time said that… pic.twitter.com/BU33Ct3rac
— ANI (@ANI) September 1, 2023
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “वन नेशन वन इलेक्शन एक अभिनंदनीय प्रयास है। हमें ये जानकर प्रसन्नता है कि वन नेशन वन इलेक्शन के लिए जो कमेटी बनी है उसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को बनाया गया है। इस अभिनव पहल के लिए मैं उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। ये आज की आवश्यकता है। बार-बार चुनाव विकास कार्यों में बाधा पैदा करती है। चुनाव की प्रक्रिया को कम से कम 1.5 महीने का समय लगता है। इसके लिए आवश्यक है कि लोकसभा विधानसभा और अन्य सभी प्रकार के चुनावों का हम एक साथ आयोजन करें।”
#WATCH | Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath on 'One Nation, One Election'
"It is a praiseworthy effort. On behalf of the people of UP, I express gratitude towards the PM for this. 'One nation, one election' is the necessity of the day. During the process of elections, development… pic.twitter.com/pM6mYdSz3S
— ANI (@ANI) September 1, 2023
एक राष्ट्र, एक चुनाव पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, “यह केवल संविधान में संशोधन से संभव नहीं है, इसके लिए राज्यों को स्वीकृति देनी होगी। जो भाजपा शासित राज्य हैं- जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र वहां उन्हें बस एक प्रस्ताव पारित करना है और विधानसभा भंग हो जाएगी…”
#WATCH | On 'One nation, One election', former Madhya Pradesh CM and Congress leader Kamal Nath says "For this, not just an amendment in the Constitution but also approval of states is also needed. In BJP-ruled states like Haryana and Maharashtra, they can decide and pass a… pic.twitter.com/USVa07ZXOG
— ANI (@ANI) September 1, 2023
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, लोकतांत्रिक प्रक्रिया नियमों और परंपराओ से चलती है… लेकिन अपना कार्यकाल पूरा कर चुके राष्ट्रपति सरकार के प्रति जवाबदेह हो या सरकार द्वारा गठित किसी कमेटी के अध्यक्ष बने हो ऐसा मुझे याद नहीं आता है। आखिर क्यों?
#WATCH | On the appointment of former President Ram Nath Kovind as chairman of 'One Nation One Election' committee, Congress MP Pramod Tiwari says, "I am seeing this for the first time that a former President has been made chairman of a committee formed by govt. Former Chief… pic.twitter.com/g0qMlv8dIp
— ANI (@ANI) September 1, 2023
वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, अभी तो समिति बनी है, इतना घबराने की बात क्या है? समिति की रिपोर्ट आएगी, फिर पब्लिक डोमेन में चर्चा होगी। संसद में चर्चा होगी। घबराने की बात क्या है?…बस समिति बनाई गई है, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह कल से ही हो जाएगा।”
क्या है एक राष्ट्र एक चुनाव?
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने से है। इसका मतलब यह है कि पूरे भारत में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे – संभवतः मतदान एक ही समय के आसपास होगा।
2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने निरंतर चुनाव चक्र के कारण होने वाले वित्तीय बोझ और चुनावों के दौरान विकास कार्यों में बाधा का हवाला दिया।
कोविंद ने भी मोदी के विचार को दोहराया था और 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद इस विचार के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था।
मालूम हो कि केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। इस बार यह पांच दिनों का पूर्ण सत्र होगा और दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग होगी जैसा कि आमतौर पर सत्र के दौरान होता है। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और सचिव को संसद के विशेष सत्र के दौरान दिल्ली में रहने के लिए कहा गया है।