मणिपुर सरकार के एक आदेश के बाद बिष्णुपुर में मोइरांग लमखाई चौकी पर तैनात असम राइफल्स के जवानों की जगह पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों को लगा दिया गया है। यह अधिसूचना मैतेई समुदाय की महिलाओं के कई समूहों (मीरा पैबिस) द्वारा चौकी से असम राइफल्स को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के बाद जारी किया गया। महिला समूहों ने सोमवार को इंफाल पश्चिम जिले के होदाम लीराक और क्वाकीथेल और इंफाल पूर्व के अंगोम लीकाई और खुरई इलाकों में एक सड़क को अवरुद्ध कर दिया था। महिलाओं ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से असम राइफल्स के कर्मियों को हटाने की मांग की थी और इनके ऊपर आंदोलन के दौरान क्रूरता का आरोप लगाया था।
Government of #Manipur orders Central Reserve Police Force (CRPF) to replace Assam Rifles along the Bishnupur to Kangvai Road stretch with immediate effect. pic.twitter.com/7IFd9zz4Wa
— Pooja Mehta (@pooja_news) August 8, 2023
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) एल कैलुन द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, “बिष्णुपुर से कांगवई रोड पर मोइरांग लमखाई में चेकपॉइंट को 9 एआर के स्थान पर स्थानीय पुलिस और 128 बीएन सीआरपीएफ को तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक तैनात किया गया है।”
यह चेकपोस्ट चुराचांदपुर-बिष्णुपुर सीमा पर स्थित है। ये वो क्षेत्र है जहां 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अक्सर झड़पें देखी गई हैं। हाल ही में, 5 अगस्त को तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी। मृतक कथित तौर पर क्वाक्टा क्षेत्र के मैतेई समुदाय से थे। हिंसा की ताज़ा घटनाओं में कुकी समुदाय के कई घर भी जला दिए गए थे।
असम राइफल्स के खिलाफ मणिपुर में महिलाओं का एक समूह लंबे वक्त से प्रदर्शन कर रहा था। इस समूह का नाम है- मीरा पैबिस। मीरा पैबिस यानी मशाल लेकर चलने वाली महिलाएं। इन्हें मदर्स ऑफ मणिपुर भी कहा जाता है। असम राइफल्स के खिलाफ प्रदर्शन ने उनके 17 साल पुराने जख्म हरे कर दिए जब 12 मीरा पैबिस ने अफस्पा के खिलाफ निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन किया था।
2004 में असम राइफल्स के जवानों पर थांगजाम मनोरमा नाम की युवती से रेप का आरोप लगा था। तब मीरा पैबिस ने अफस्पा के विरोध में निर्वस्त्र होकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। उस प्रदर्शन की तस्वीरों ने पूरे देश- दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। 15 जुलाई 2004 को, मणिपुर की 12 महिलाओं ने मनोरमा थांगजाम की हत्या के विरोध में इंफाल में ऐतिहासिक कांगला किले (तब असम राइफल्स मुख्यालय) के सामने अपने कपड़े उतारकर प्रदर्शन किया था। उनके हाथ में बैनर थे जिसमें लिखा था कि भारतीय सेना हमारा रेप करती है।
मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उन पर 6 अगस्त को क्वाक्टा शहर में हुई हिंसा के दौरान बिष्णुपुर पुलिस कर्मियों को रोकने का आरोप लगाया गया है। शिकायत में कहा गया है कि “9वीं एआर के कर्मियों के इस तरह के अहंकारी कृत्य ने आरोपी कुकी उग्रवादियों को सुरक्षित क्षेत्र में भागने का मौका दिया।”
#ManipurPolice have registered a suo motu #FIR against personnel of #AssamRifles, accusing them of obstructing #Bishnupur police personnel during #violence that rocked the town of Kwakta on August 6.
The complaint states that “such arrogant act of the personnel of 9th AR gave a… pic.twitter.com/g6uIS4XYjZ
— The Indian Express (@IndianExpress) August 8, 2023
इसके अलावा, सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस के बीच बहस होती दिख रही है। कथित तौर पर असम राइफल्स ने अपनी कैस्पर वैन खड़ी करके पुलिस के रास्ते में भी बाधा डाली थी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने असम राइफल्स के खिलाफ मणिपुर पुलिस द्वारा दायर एक मामले का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की तीखी बयानबाजी से यह स्पष्ट होता है कि राज्य और केंद्र में भाजपा सरकार के बीच अविश्वास बढ़ रहा है, और पूछा कि कब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्रवाई करेंगे?
This is the FIR filed by Manipur Police against Assam Rifles. The accompanying shrill rhetoric from the Manipur CM and those who surround him makes it clear that there’s growing mistrust between the BJP government in the State and the BJP government in the Centre?
Is this not… https://t.co/jy6JU3GSeT pic.twitter.com/E80KuJ7VJt
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 9, 2023
मणिपुर पुलिस के मुताबिक, असम राइफल्स के जवानों ने ऑपरेशन में बाधा डालकर कुकी उग्रवादियों के भागने का रास्ता साफ कर दिया। इस बीच, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम में सुबह 5 बजे से दोपहर 2 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। थौबल जिले के लिए सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक और काकचिंग के लिए सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक छूट रहेगी। 3 मई को मणिपुर में जातीय झड़पें शुरू होने के बाद से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।