राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार के महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) वाले महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में खटास आ गई है। पवार का दावा है कि उन्हें एनसीपी के 53 में से 40 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। जहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अजित पवार और अन्य एनसीपी विधायकों का अपनी सरकार में स्वागत किया, वहीं अनुभवी शरद पवार ने पार्टी लाइन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की कसम खाई।
इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि भाजपा की “वॉशिंग मशीन” ने अपना काम फिर से शुरू कर दिया है क्योंकि इनमें से कई नेता भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे थे और अब उन्हें “क्लीन चिट” मिल गई है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “स्पष्ट रूप से भाजपा की वॉशिंग मशीन ने अपना काम फिर से शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हुए कई नए लोगों पर ईडी, सीबीआई और आयकर अधिकारियों के साथ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। अब उन सभी को क्लीन चिट मिल गई है। महाराष्ट्र को BJP के चंगुल से मुक्त कराने के लिए कांग्रेस अपनी कोशिशें और तेज़ करेगी।”
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आम आदमी पार्टी ने एक पोस्टर जारी कर बीजेपी पर निशाना साधा है। आप के पोस्टर में लिखा है- “वॉशिंग पाउडर भाजापा” और साथ ही अजित पवार, छगन भुजबल सहित अन्य नेता जो महाराष्ट्र में भाजपा में शामिल हो गए हैं, उनके फोटो पोस्टर पर छपे हैं।
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कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को शरद पवार से फोन पर बात की और महाराष्ट्र की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने अपना समर्थन दिया है। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने भी शरद पवार से बात की थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पुष्टि की कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित देश भर के कई नेताओं ने शरद पवार को फोन किया और अपना समर्थन दिया।
महाराष्ट्र में हुई सियासी हलचल का असर अब विपक्ष की रणनीति पर भी आ गया है। 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में तय की गई विपक्षी महाजुटान की बैठक को टाल दिया गया है। जेडीयू के सीनियर नेता केसी त्यागी ने बैठक रद्द होने की बात कंफर्म की है। उन्होंने कहा है कि बैठक फिलहाल रद्द कर दी गई है। नई तारीख का ऐलान बाद में किया जाएगा। संभावना है कि संसद का मानसून सत्र खत्म होने के बाद बैठक होगी। वैसे माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा और कर्नाटक विधानसभा की मॉनसून सत्र बैठक होने का कारण इस मीटिंग को टाल दिया गया है। बिहार विधानसभा का मानसून सत्र 10 से 24 जुलाई तक रहने वाला है। सूत्रों के मुताबिक जेडीयू ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से बैठक स्थगित करने का अनुरोध किया था, क्योंकि नीतीश और तेजस्वी विधानसभा सत्र में व्यस्त रहेंगे।
राजद सांसद मनोज झा ने कहा, “विपक्ष की अगली बैठक या तो विलंबित हो सकती है या 2-4 दिन आगे बढ़ सकती है। अभी ऐसी कोई अस्थायी तारीख नहीं है लेकिन संभवतः बैठक मानसून सत्र शुरू होने से पहले होगी।”
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दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने इस घटनाक्रम पर मोदी सरकार से सवाल करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा, “कल तक जिनको भ्रष्टाचारी बोलते थे, उन पर CBI/ED की रेड करते थे, आज उन्हें अपनी सरकार में शामिल कर लिया? शर्म नहीं आयी प्रधान मंत्री जी? तो जब प्रधान मंत्री जी कहते हैं – एक भी भ्रष्टाचारी को नहीं छोड़ूँगा, उनका मतलब होता है – सबको अपनी पार्टी में शामिल कर लूँगा।”
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि एनसीपी नेताओं के शामिल होने से पता चलता है कि शिंदे के सेना गुट और बीजेपी के बीच दरार है। उन्होंने कहा, आज भी हम विपक्ष में हैं। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) का गठबंधन अभी भी जारी है। NCP में शरद पवार के साथ कितने लोग हैं, इस बारे में हमें जानकारी नहीं है। अब शरद पवार को तय करना है कि उनके साथ जितने विधायक हैं, वे क्या चाहते है?….हमारा गठबंधन जारी है।“
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, “NCP का एक बड़ा तबका NDA में शामिल हुआ है। NCP के 53 विधायक थे, अगर 37 से ज़्यादा विधायक अजीत पवार के साथ जाते हैं तो दल-बदल कानून से वे बच सकते हैं और अगर अजीत पवार के पास 35 से कम विधायक रह जाएंगे तो उनका निलंबन होना तय है। जो शिवसेना के समय हुआ था वहीं होगा लेकिन यह आंकड़ा कल तक सामने आएगा, जैसा कि शरद पवार ने बताया कि उन्हें कई विधायकों ने फोन पर बताया है कि उनसे झांसा देकर दस्तखत करवाए गए हैं।“
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महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले, “बीजेपी केंद्र में सत्ता में है और इसका दुरुपयोग कर रही है। बीजेपी ‘ऑपरेशन लोटस’ चला रही है…देश की राजनीति को बर्बाद कर रही है…बीजेपी सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है, वे या तो ईडी और सीबीआई का उपयोग करके अन्य दलों के सदस्यों को डराते हैं या फिर उन्हें पैसे की पेशकश करेंगे…महाराष्ट्र के लोग इसकी निंदा कर रहे हैं और बीजेपी इस राज्य में कभी भी सत्ता में वापस नहीं आएगी।”
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर ट्विटर पर प्रतिक्रिया दी। हिंदी में पोस्ट किए गए एक ट्वीट में, गहलोत ने लिखा, “महाराष्ट्र में आज जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है वो दिखाता है कि धनबल एवं केन्द्रीय एजेंसियों के दम पर भाजपा विपक्षी पार्टियों को खत्म कर देना चाहती है। इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है। कल तक श्री अजीत पंवार सहित जिन नेताओं पर भाजपा भ्रष्टाचार के आरोप लगाती थी उन सभी को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। भाजपा विपक्षी पार्टियों के एक साथ आने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही घबरायी हुई है जिसके कारण केन्द्रीय एजेंसियों से दबाव डालकर क्षेत्रीय दलों को तोड़ रही है। भाजपा कितना भी कुप्रयास कर ले, जनता ने तय कर लिया है कि लोकतंत्र की हत्या के इन प्रयासों को नाकाम कर समय आने पर अनुकूल जवाब देगी।”
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “महाराष्ट्र में पहले शिवसेना को तोड़ा गया और अब NCP को। पहले डबल इंजन की सरकार थी अब ट्रिपल इंजन हो गई। यह सरकार नहीं ऑटो रिक्शा हो गई है, तीन चक्के वाली। मैंने देखा की शपथ ग्रहण में फडणवीस और पवार दोनों एक तरफ बैठे मुस्कुरा रहे हैं और दूसरी तरफ शिंदे बैठे हैं जिनका चेहरा उतरा हुआ है। आज की घटना आने वाले समय में होने वाले घटनाक्रम का संकेत दे रही है। शरद पवार ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं।”
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि महाराष्ट्र में जिन विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा रही है, वे ”भ्रष्ट हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा “किसी भी कीमत पर सत्ता चाहने वाले राजनीतिक अवसरवादियों” से बनी है और उन्हें वैचारिक गठबंधन के बारे में बात नहीं करनी चाहिए।
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उन्होंने कहा, “सिद्धांतों को धिक्कार है, बीजेपी को देश में वैचारिक गठबंधन के बारे में बात करने वाली आखिरी पार्टी होनी चाहिए। वे सिर्फ राजनीतिक अवसरवादी हैं जो किसी भी कीमत पर सत्ता चाहते हैं। महाराष्ट्र में नवीनतम विकास के साथ, वे विधायक जो भ्रष्ट थे और जेल गए थे मंत्री पद की शपथ ली जा रही है!”
संजय राउत के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल करना एकनाथ शिंदे के सीएम के रूप में अंत की शुरुआत है। राउत ने कहा, “यह (शपथ ग्रहण समारोह) एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद खोने की शुरुआत है। उनके विधायक सदन के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे। इसके बाद भी सत्ता में बने रहने के लिए, अजीत पवार और एनसीपी विधायक सरकार में शामिल हो गए हैं। लोग इस खेल को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
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राउत ने आगे कहा- “यह बदलाव नहीं बल्कि बदले का दौर है। एकनाथ शिंदे का चेहरा आपने देखा? अजीत पवार का कैबिनेट में प्रवेश होने का मतलब है एकनाथ शिंदे जा रहे हैं। अब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे।”
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और विशेष सलाहकार केसी त्यागी ने कहा, “एनसीपी के विभाजन से महाराष्ट्र की राजनीति पर असर पड़ सकता है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता पर इसका असर नहीं पड़ेगा।”
कपिल सिब्बल ने कहा, “मुझे लगता है कि यह लोकतंत्र की जननी है जिसके बारे में मोदीजी अमेरिकी कांग्रेस को अपने संबोधन में बात कर रहे थे।”
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समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “महाराष्ट्र भाजपा के लिए एक नई प्रयोगशाला बन गया है। भाजपा किसी भी तरह से सरकार में रहना चाहती है।”
NCP प्रमुख शरद पवार ने कहा, “दो दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने NCP के बारे कहा था कि एनसीपी खत्म हो चुकी पार्टी है। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों का जिक्र किया। मुझे खुशी है कि मेरे कुछ साथियों ने शपथ ली है। उनका सरकार(महाराष्ट्र) में शामिल होने से यह स्पष्ट है कि वे सभी आरोप मुक्त हो गए हैं। सभी को उनके द्वारा लगाए गए आरोपों से मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद। मैंने 6 जुलाई को सभी नेताओं की एक बैठक बुलाई थी जहां कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी थी और पार्टी के भीतर कुछ बदलाव किए जाने थे लेकिन उससे पहले ही कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया है।”
वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, “पटना में विपक्ष की बैठक हुई और बैठक में शरद पवार जिसे लेकर आए थे प्रफुल्ल पटेल को वे आज भाजपा से जाकर मिल गए। इसके बावजूद भी कांग्रेस सेक्युलरिज्म का सर्टिफिकेट बांटती है। कांग्रेस अपने गिरेबान में झांककर देखें कि उन्होंने कैसे-कैसे धोखे दिए हैं। आज मीडिया में हर विपक्ष पार्टी का नेता रो रहा है हैं कि भाजपा ने NCP को तोड़ दिया। आज 40 विधायक चले गए तो ग़लत है और बिहार में हमारे 4 विधायकों को आपने खरीद लिया तो वह सही है? तुम करो तो अच्छा और दूसरे करें तो ग़लत?”
बता दें कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के लिए अगले साल चुनाव होने हैं। सूत्रों के अनुसार अजित पवार को एनसीपी के 40 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा में शरद पवार की पार्टी के 53 विधायक हैं। दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए अजित पवार को कम से कम 36 विधायकों की जरूरत है। हालाँकि, NCP के पास अभी भी संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत सभी बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए कदम उठाने की शक्ति है। उपरोक्त आंकड़ों के अनुसार, महाविकास अघाड़ी, जिसके पास महाराष्ट्र विधानसभा में 121 सीटें थीं, अब घटकर 81 रह गई हैं (अजित पवार 40 विधायकों के समर्थन का दावा करते हैं)। एनसीपी के इस बड़े विद्रोह के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसके पास 165 सीटें थीं, अब महाराष्ट्र विधानसभा में 205 सीटें हासिल करने में कामयाब है। बाकी दो सीटें असदुद्दीन औवेसी की AIMIM के पास हैं।