अहमदाबाद की एक अदालत ने 2002 में हुए नरोदा गाम नरसंहार मामले में 21 साल बाद गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। गोधरा ट्रेन आगजनी की घटना के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गांव में 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस से अयोध्या से लौट रहे 57 कारसेवकों को गोधरा में एक ट्रेन के डिब्बे में जिंदा जला दिया गया, जिसके कारण राज्य भर में विरोध प्रदर्शन हुए। ट्रेन के डिब्बे में कारसेवकों की मौत के एक दिन बाद, विश्व हिंदू परिषद द्वारा गुजरात में बंद का आह्वान किया गया था।
कथित तौर पर गुजरात की तत्कालीन मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी के नेतृत्व में हथियारबंद लोगों का एक बड़ा समूह अहमदाबाद के नरोदा पाटिया गांव में इकट्ठा हुए और घरों पर हमला करना शुरू कर दिया। कई घरों में आग लगा दी गई और निवासियों पर हमला किया गया। इलाके में पथराव और आगजनी की भी सूचना मिली थी और नरोदा गांव में दंगों के दौरान 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
नरोदा गाम नरसंहार मामले में कुल 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था और आईपीसी की धारा 302, 307, 143, 147, 148, 129 बी, 153 के तहत मामला दर्ज किया गया था। ट्रायल के दौरान अठारह लोगों की मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2008 में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया और मामले की जांच सौंपी गई। मामले की सुनवाई 2009 में शुरू हुई थी। मामले में 187 लोगों से पूछताछ की गई जबकि 57 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए। करीब 13 साल तक इस मामले की सुनवाई छह जजों ने की।
माया कोडनानी, जो तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार में मंत्री थीं, पर एक दिन पहले नरोदा गांव पर हमला करने के लिए एक भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया था। 2012 में अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने 32 लोगों को हिंसा में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया, जिनमें माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी शामिल थे। कोडनानी को 28 साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जबकि बजरंगी को उम्रकैद की सजा मिली थी।
अपने बचाव में माया कोडनानी ने कहा कि जिस दिन नरोदा पर हमला हुआ उस दिन सुबह वह गुजरात विधानसभा में थीं। उसने यह भी कहा कि 28 फरवरी को वह गोधरा ट्रेन नरसंहार में मारे गए कारसेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल गई थी। जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी कि कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था।
सितंबर 2017 में केंद्रीय गृह मंत्री (वर्तमान में) अमित शाह माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए। अमित शाह ने अदालत में कहा कि 28 फरवरी को सुबह करीब 7:15 बजे वह गुजरात विधानसभा के लिए निकले थे क्योंकि कार्यवाही सुबह 8:30 बजे शुरू होनी थी और उन्होंने माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में सुबह 8.40 बजे देखा था। उन्होंने कहा कि, मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हास्पिटल पहुंचने के पहले वह कहां थीं। इसके बाद 11 बजे से लेकर 11.30 बजे के आसपास उन्हें अहमदाबाद के सोला सिविल हास्पिटल में देखा।
बता दें कि 2018 में गुजरात उच्च न्यायालय ने नरोदा गाम नरसंहार मामले में माया कोडनानी को बरी कर दिया, क्योंकि उनके खिलाफ आरोप स्थापित नहीं किए जा सके।