तमिलनाडु आईपीएस अधिकारियों के एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर हिरासत में हिंसा के आरोपी एएसपी बलवीर सिंह के खिलाफ “मीडिया ट्रायल” किए जाने की निंदा की है। एसोसिएशन ने दावा किया कि मीडिया “चयनात्मक तरीके” से इस मुद्दे को कवर कर रहा है और सबूतों, गवाहों, जांच एजेंसियों और जनता को प्रभावित करने के लिए निहित स्वार्थों को सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा है।
आईपीएस अधिकारियों के एसोसिएशन ने कहा कि इस मुद्दे पर “पक्षपाती और पूर्व-न्यायिक रिपोर्टिंग” जांच पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
पुलिस हिरासत में यातना के मामलों में अभी तक निचले स्तर के इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों के नाम आते रहे हैं, लेकिन तमिलनाडु के के मामले में आईपीएस का नाम आया है।
मालूम हो कि अलग-अलग मामलों में हिरासत में लिए गए कई लोगों ने एएसपी बलवीर सिंह पर हिरासत में प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। निलंबित आईपीएस अधिकारी अम्बासमुद्रम में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) थे। उनके ऊपर सरौता का उपयोग करके संदिग्धों के दांत निकालने, उनके अंडकोष को कुचलने और इस तरह की कई और यातनाएं देने का आरोप लगाया गया था।
I met four #CustodialTorture victims today. One of them is Vetha Narayanan (49), an auto driver. He alleged ASP, Ambasamudram removed his tooth &damaged his ear with cutting plier in husband and wife issue in Vikramasingapuram police station. 👇@India_NHRC@tnpoliceoffl… https://t.co/kdfQZW35hC pic.twitter.com/eY9gZ49qdE
— Thinakaran Rajamani (@thinak_) March 27, 2023
आईपीएस एसोसिएशन का बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु पुलिस में अधिकारियों के एक वर्ग द्वारा बलवीर सिंह को बचाने और ढाल देने की कोशिश पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस बीच मदुरै स्थित एक मानवाधिकार संगठन ‘पीपुल्स वॉच’ ने हिरासत में हिंसा के आरोपी निलंबित आईपीएस अधिकारी बलवीर सिंह के लिए तमिलनाडु आईपीएस ऑफिसर्स एसोसिएशन के समर्थन की कड़ी निंदा की है। ‘पीपुल्स वॉच’ ने सवाल किया कि क्या तमिलनाडु के सभी आईपीएस अधिकारी इस राय से सहमत हैं कि बलवीर सिंह को ‘मीडिया ट्रायल’ के अधीन किया जा रहा है।
मालूम हो कि बीते दिनों नेशनल कैंपेन अगेंस्ट टॉर्चर की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2019 के दौरान भारत में हिरासत में 1,731 लोगों की मौत हुईं। इस रिपोर्ट ने द हिंदू के एक संपादकीय को कोट करते हुए लिखा है कि अफसोस की बात है कि पुलिस अधिकारी व्यक्तिगत दुश्मनी निपटाने के लिए अपनी शक्ति और अधिकार का उपयोग करते हैं।