सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मलयालम समाचार चैनल मीडियावन पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रसारण प्रतिबंध के खिलाफ फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने चैनल चलाने वाली कंपनी द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका में यह आदेश पारित किया। इस याचिका में सुरक्षा मंजूरी के अभाव में चैनल के प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत नहीं करने के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फैसले को बरकरार रखने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने अपने फैसले में कहा, “सरकार नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा की दलील का इस्तेमाल कर रही है। उसका यह रुख कानून के शासन के लिहाज से गलत है।”
पीठ ने कहा कि किसी चैनल के लाइसेंस का नवीनीकरण न करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंध है और इसे केवल अनुच्छेद 19(2) के आधार पर ही लगाया जा सकता है। पीठ ने आगे कहा कि चैनल के शेयरधारकों का जमात-ए-इस्लामी हिंद से कथित जुड़ाव चैनल के अधिकारों को प्रतिबंधित करने का वैध आधार नहीं है। किसी भी सूरत में इस तरह के लिंक को दिखाने के लिए कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है।
शीर्ष अदालत ने यह भी आगाह किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे हवा में नहीं किए जा सकते हैं और इसके समर्थन में भौतिक तथ्य होने चाहिए। इसमें कहा गया है कि यदि कम प्रतिबंधात्मक साधन उपलब्ध हैं और अपनाए जा सकते हैं तो सीलबंद कवर प्रक्रिया नहीं अपनाई जानी चाहिए।
बेंच ने कहा- “सीलबंद कवर प्रक्रिया को नुकसान को कवर करने के लिए पेश नहीं किया जा सकता, जो सार्वजनिक प्रतिरक्षा कार्यवाही द्वारा उपचार नहीं किया जा सकता है … प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को तब बाहर रखा जा सकता है जब राष्ट्रीय सुरक्षा के हित अधिक हो जाते हैं। लेकिन प्रकटीकरण से प्रतिरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती है … मुहरबंद कवर प्रक्रिया यह नैसर्गिक न्याय और खुले न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।”
पीठ ने मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर चैनल के लिए नवीनीकरण लाइसेंस जारी करने का निर्देश देते हुए कहा, “इस बात पर कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि निर्णय लेने में उच्च न्यायालय का क्या महत्व है।”
इससे पहले 15 मार्च 2022 को कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें चैनल को अंतिम निर्णय तक अपना संचालन जारी रखने की अनुमति दी गई थी।