चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के लिए नामों के तीसरे सेट के आने के एक दिन बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन के इस कदम से वास्तविकता नहीं बदलेगी। चीन ने इन जगहों को “तिब्बत के दक्षिणी भाग ज़ंगनान” के रूप में संदर्भित किया है। विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे पर जोर देने के चीन के प्रयास की निंदा की और ट्विटर पर कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग रहा है और रहेगा। आविष्कृत नामों को असाइन करने का प्रयास इस वास्तविकता को नहीं बदलेगा’।
केंद्रीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हमने ऐसी खबरें देखी हैं। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह का प्रयास किया है। हम इसे सिरे से खारिज करते हैं।’
Our response to media queries regarding the renaming of places in Arunachal Pradesh by China:https://t.co/JcMQoaTzK6 pic.twitter.com/CKBzK36H1K
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) April 4, 2023
चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने चीनी, तिब्बती और पिनयिन वर्णों में मानकीकृत नाम जारी किए थे। मंत्रालय ने जिन 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी किए, उनमें 2 भूमि क्षेत्रों, 2 आवासीय क्षेत्रों, 5 पर्वत चोटियों और 2 नदियों सहित सटीक निर्देशांक भी दिए गए हैं। इसके अलावा, स्थानों के नाम और उनके अधीनस्थ प्रशासनिक जिलों की श्रेणी सूचीबद्ध की गई है। चीन की सरकार द्वारा संचालित ग्लोबल टाइम्स ने बताया है कि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी अरुणाचल प्रदेश के लिए मानकीकृत भौगोलिक नामों का यह तीसरा बैच है।
मालूम हो कि चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी। वो अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है।
बता दें कि चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे। 2021 में जब चीन ने नाम बदले थे तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दिसंबर 2021 में कहा था, ‘यह पहली बार नहीं है जब चीन ने नाम बदलने जैसी चीजें की हैं। अरुणाचल हमेशा भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। अपने मन से कोई भी नाम बना कर उसे बदलना इस तथ्य को बदल नहीं सकता।’