न्यूज एजेंसी एएनआई ने मंगलवार को सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि संसद का शीतकालीन सत्र अपने तय वक़्त- 29 दिसंबर से एक सप्ताह पहले ही खत्म हो सकता है। एएनआई ने बीजेपी बिजनेस एडवाइजरी काउंसिल की बैठक का हवाला देते हुए सूत्रों के हवाले से बताया है कि “लोकसभा की हाल ही में संपन्न व्यापार सलाहकार परिषद (बीएसी) की बैठक में सर्वसम्मति से संसद के शीतकालीन सत्र को 23 दिसंबर 2022 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया”।
In the just concluded Business Advisory Council (BAC) meeting of Lok Sabha, it was unanimously decided to adjourn the winter session of Parliament sine die on 23 December 2022: Sources
— ANI (@ANI) December 20, 2022
सूत्रों की अगर मानें तो 19 दिसंबर 2022 को कई सांसदों ने सरकार और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से क्रिसमस और नए साल के जश्न का जिक्र करते हुए शीतकालीन सत्र को जल्दी समाप्त करने की मांग की थी। इस बैठक में पार्टियों के भी सांसद मौजूद थे।
मालूम हो कि साल 2020 से अब तक 6 संसद सत्रों को तय समय से एक हफ्ता पहले खत्म किया गया है। 2020 में कोरोना महामारी की वजह से संसद का बजट सत्र बाधित हुआ था, जो निर्धारित 3 अप्रैल के बजाय 23 मार्च, 2000 को ही खत्म हो गया था। उसके बाद आयोजित किए गए सभी छह संसद सत्रों को अलग अलग कारणों से निर्धारित समय से पहले स्थगित कर दिया गया। इन सत्रों को स्थगित करने की अलग लग वजहें रही जैसे कि- कभी चुनाव की वजह से स्थगित करना पड़ा तो कभी सांसदों के अनुरोध का हवाला दिया गया। पिछले दो सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गए थे। इस समय चल रहे शीतकालीन सत्र में चीन मुद्दा बना हुआ है। और इस बार ये कहा जा रहा है कि क्रिसमस और नए साल के जश्न का हवाला देकर विपक्ष और सत्ता पक्ष संसद का शीतकालीन सत्र एक हफ्ता पहले ही खत्म कराना चाहते हैं।
संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर, 2022 को शुरू हुआ था और 29 दिसंबर तक सत्र का चलना प्रस्तावित है। 9 दिसंबर को तवांग में चीनी सेना और भारतीय सेना में झड़प हुई। सरकार ने इस मसले पर 13 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों में बयान दिया। लेकिन विपक्ष ने इस पर चर्चा और पीएम मोदी के बयान की मांग की। तब से लेकर अब तक संसद में चीन पर चर्चा नहीं हो सकीय है। 13 दिसंबर से कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के सांसद बार-बार चीन पर चर्चा का नोटिस दे रहे हैं लेकिन उन नोटिसों को लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के उपसभापति खारिज कर दे रहे हैं। इस वजह से शीतकालीन सत्र में हंगामा और बार-बार स्थगन देखने को लगातार मिल रहा है। पिछले एक हफ्ते से संसद की शुरुआत ही चीन पर बयान को लेकर हो रही है लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं है।
बता दें कि एलएसी के टकराव को लेकर अब सदन में विपक्ष सरकार से सीधे भिड़ने की तैयारी में है. इसकी एक वजह यह है कि संसद सत्र 23 दिसंबर को ही खत्म किए जाने की संभावना है. चीन मुद्दा संसद के चालू सप्ताह की कार्यसूची में भी शामिल नहीं है। ऐसे में विपक्षी दल आक्रामक तेवर अपनाते हुए बहस का दबाव बनाने का आखिरी चाल चलेंगे। चीन की घटना पर कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस और आप पार्टी भी संयुक्त रणनीति पर सहमत दिख रही है।