भारत के पिछले सात बरस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का रामबाण देश में सबसे ज्यादा करीब 16 करोड़ की आबादी के सूबा उत्तर प्रदेश की विधान सभा के कुछेक माह में निर्धारित चुनाव में काम आएगा ये सही-सही कहना अभी संभव नहीं है क्योंकि अब तक इसके कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा भी नहीं हुई है।
मोदी जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ और उनकी पार्टी भाजपा ही नहीं बल्कि आरएसएस भी ये चुनाव हर हाल में जीतने के लिए लालायित हैं। उनकी ये लालसा स्वाभाविक ही है. अस्वाभाविक बात इस चुनाव को जीतने के लिए उनकी व्यक्तिगत ही नहीं सांगठनिक और सरकारी स्तर की तैयारी है.क्यो और कैसे ? इसका उत्तर हम इस अलहदा हफ्तेवार कालम #चुनाव-चर्चा के आज के इस अंक से शुरु विशेष सिरीज ‘ काउंटडाउन यूपी पोल्स 2022 ‘ में ढूंढने की कोशिश करेगे। लेकिन पहले हालिया उपचुनाव और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की खबरों का संक्षिप्त विश्लेषण बेहतर होगा।
उपचुनाव के नतीजे
उत्तर प्रदेश समेत 13 राज्यों में हालिया उपचुनावों के नतीजों से साफ संकेत हैं देश की अवाम भाजपा के खिलाफ है। भाजपा,30 विधानसभा और तीन लोकसभा सीटों पर हुए इन उपचुनावों में लोकसभा की केवल एक सीट जीत सकी। वह विधान सभा की सात छोड़ सभी पर हार गई। कांग्रेस के हाथ विधानसभा की आठ और लोकसभा की एक सीट आई।
भाजपा कार्यकारिणी
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हालिया बैठक से साफ संकेत मिल गए कि आरएसएस ने मोदी जी और योगी जी को चुनाव तैयारी की परेड हिन्दुत्व मंत्र का जाप कर तेजी से बढ़ाने कह दिया है। कोरोना कोविड महामारी से निपटने के वास्ते सरकार द्वारा लागू लॉक डाउन के कारण ये बैठक पिछले करीब दो बरस से सशरीर नहीं हो सकी थी और इसलिए वे डिजिटल रूप में ही आयोजित करनी पड़ी। हालिया बैठक के बारे में प्रेस ब्रीफिंग करने के मोर्चा पर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पंचायत राज मंत्री भूपेंद्र यादव को तैनात किया गया था।
बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमत पर कुछ लगाम लगाने के लिए उसके उत्पाद शुल्क में कमी करने सरकार के कदम के लिए मोदी जी की सराहना की गई। गौरतलब है कि ये प्रस्ताव योगी जी द्वारा पेश कराया गया।
मौजूदा विधानसभा कार्यकाल
यूपी विधानसभा चुनाव 14 मार्च 2022 से पहले कराने हैं। उस दिन मौजूदा 17वीं विधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा। कुल 403 सीटो की विधान सभा में 23 अप्रैल 2021की विधमान स्थिति के अनुसार भाजपा के 304, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के 49 ,पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 18, अपना दल(सोनेलाल गुट ) के 9,कांग्रेस के 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4, निर्दलीय 3, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजित सिँह के राष्ट्रीय लोक दल और ‘ निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल ‘ के एक–एक सदस्य हैं.एक मनोनीत सदस्य हैं. तीन सीट अभी रिक्त है। योगी जी 19 मार्च 1917 को प्रदेश के 22वे मुख्यमंत्री बने थे।
चुनावी बेचैनी
इन चुनावो को लेकर मोदी जी और योगी जी ही नहीं पूरी भाजपा और आरएसएस बल्कि सभी चुनावी सियासी दलो और अवाम के बीच भी खास तरह की बेचैनी है। आरएसएस के मुख्यालय नागपुर और भारत की राजधानी नई दिल्ली से लेकर यूपी की राजधानी लखनऊ तक आला नेताओ को एक फिक्र घेरे है। फिक्र यही है कि कहीं वे यूपी चुनाव और फिर उसके बाद 17वी लोकसभा के 2024 में निर्धारित चुनाव भी हार न जाए। लेकिन आरएसएस हल्को से छन कर बाहर निकली ये बात भी हवा में है कि बहुत फिक्र करने की जरुरत नहीं है। मोदी जी ने पुख्ता चुनावी इंतजाम कर लिया है। उनसे 11 जून 2021 को भेंट करने नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय गये योगी जी को भी समझा दिया गया कि चुनाव जीतने के लिये शुरू की जा चुकी जमीनी तैयारी में कोई कोर-कसर नहीं रहे। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को लखनऊ से ही कमान सम्भालने कहा गया है. वह आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के बाद सबसे आला पदा धिकारी हैं।
योगी जी कुछेक माह के अंतराल के बाद बुलावा पर मोदी जी से भेंट
करने लखनऊ से नई दिल्ली पहुंचे तो उन्होने ये साफ संदेश दे दिया जिस रास्ता से वे आये उस पर मोदी जी का नही बल्कि जनवरी 2018 से कायम उनका अपना राज है।
योगी जी का राजकीय विमान लखनऊ से दिल्ली के बगल में, यूपी के बडे उपनगर नोएडा के ‘ हिंडन एयरपोर्ट ‘ पर 10 जून को उतरा। इसे नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ड्दा के बतौर वैकल्पिक एयरपोर्ट अर्से से विकसित किया जा रहा है. योगी जी हिंडन एयरपोर्ट से मोटर वाहन से सीधे नई दिल्ली में विदेसी दूतावास बहुल चाणक्यापुरी में उत्तर प्रदेश भवन पहुंचे। यह विधिक रूप से केंद्र सरकार नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की सम्पदा है।
उन्होने दिल्ली पहुचने के दिन ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी सरकारी कोठी पर क़रीब डेढ़ घंटे गुफत्गू की। योगी जी ने अगले दिन मोदी जी से करीब सवा घंटे बातचीत की। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यछ जगत प्रकाश नड्डा भी मौजूद थे। बताया जाता है भाजपा के रणनीतिकारो ने चुनावी पंडितो की कम्पनियो के सर्वे और प्रदेश, देश की खुफिया एजेंसियो से सरकार को मिले आंकलन के आधार पर यूपी चुनाव के लिये बहुस्तरीय नई कार्ययोजना तैयार कर ली है।
मोदी जी अब ‘ मास्क ‘ नहीं
यूपी चुनाव में भाजपा का चेहरा हर हमेशा भगवा चोगाधारी योगी जी ही रहेंगे। भाजपा चुनाव प्रचार में पिछले सात बरस से मोदी जी के एकमेव चेहरे का इस्तेमाल करती आई है.उसे धीरे-धीरे हटा लिया जायेगा। सम्भव है निर्वाचन आयोग को भाजपा के ‘ स्टार प्रचारको ‘की सौंपी जाने वाली अधिकृत सूचि में मोदी जी का नाम नहीं दिया जायेगा. चुनाव कार्यक्रम की गजट अधिसूचना जारी होने के बाद निर्वाचन आयोग के पास पंजीकृत हर राजनीतिक पार्टी को अपने प्रचारको की सूची देनी पडती है।
ये बात, असम, पश्चिम बंगाल, केरल ,तमिलनाडु और पुडुचेरी समेत 5 विधान सभा के चुनाव के नतीजो के मद्देनजर भी तय की गई है। इन चुनावो में असम और पुडुचेरी के सिवा सब जगह भाजपा और उसके गठबंधन में शामिल दलो की भी मिट्टी पलीद हो गई।
बंगाल की तीन बार से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मिल
की स्थापना करने वाले मुकुल रॉय विधान सभा चुनाव के बाद हाल में टीएमसी लौट आये हैं। इससे साफ हो गया बंगाल में मोदी जी का कोई जादु नहीं रह गया है। कयास हैं कि भाजपा के जीते विधायको में से करीब 50 टीएमसी की तरफ खिसकने की जुगत में हैं. इस बार के चुनाव से पहले टीएमसी के 34 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।
चुनाव के लिये मोदी जी की फिल्डिंग
मोदी सरकार ने योगी जी और मोदी जी की भेंट से दो दिन पहले 9 जून को निर्वाचन आयोग के तीसरे आयुक्त के रिक्त पर 1984 बैच के आईएएस अफसर रहे अनूप चंद पांडेय की नियुक्ति कर सबको चौंका दिया। वह उत्तर प्रदेश के ही हैं और उसका मुख्य सचिव रह चुके हैं.चौंकाने की बात ये है कि आयोग के तीनो आयुक्त अभी यूपी के ही हैं। आयोग के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब उसके सभी आयुक्त एक ही राज्य के हो।
13 अप्रैल 2021 को 24 वे मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने सुशील चंन्द्रा भारतीय राजस्व सेवा के 1980 बैच के हैं और उत्तर प्रदेश के ही हैं। आयोग के एक सितंबर 2020 से आयुक्त राजीव कुमार भी उत्तर प्रदेश के ही हैं। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1984 बैच के हैं और झारखंड कैडर के अधिकारी रहे हैं।
ये तो रही यूपी के नये चुनाव के लिये बैचैन मोदी सरकार की ‘ फिल्डिंग और अम्पायरिंग ‘ की चर्चा। अगले अंक में हम इस चुनाव को जीतने के लिये बैचैन मोदी जी के एक और ‘ शगूफा ‘ की विस्तार से चर्चा करेंगे जो उत्तर प्रदेश का विभाजन कर कुछेक छोटे छोटे नये राज्य गठित करने के अभी तक आधिकारिक तौर पर अपुष्ट प्रस्ताव की है। ऐन चुनाव के मौके पर इस तरह के प्रस्ताब को हड्बड गड्बड गोदी मीडिया के जरिये अवाम के बीच जोर शोर से उछाला जाना मोदी जी ही नहीं, उनकी सरकार और पार्टी की भी बैचैनी दर्शाता हैं।