वाराणसी: प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं ने कुलपति रजिस्ट्रार एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अपराहन 2:00 बजे कुलपति से बातचीत की इस दौरान छात्रों ने फेल किए गए छात्रों को पास कराने की मांग रखी। जिसपर कुलपति और रजिस्ट्रार का रैवैया ढुलमुल रहा।कुलपति और रजिस्ट्रार नरम रवैये से और मामलें को सपाट नजरिये से देखकर छोड़ देने की वजह से विश्विद्यालय में लगातार लोगों का मनोबल बढ़ता जा रहा हैं।
छात्रों की मांग थीं, फेल छात्रों को पास करवाने के साथ दोषियों पर सख्त कारवाई होनी चाहिए, जिसे कुलपति और रजिस्ट्रार के द्वारा बार- बार टाला जा रहा था, इसी कारण आज बातचीत में समझौते की गुंजाइश खत्म होने के बाद छात्रों ने विरोध स्वरूप मुख्य प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया।
जिसके कारण कुलपति ,रजिस्ट्रार ,शिक्षक कर्मचारी लगभग 2 घंटे तक प्रशासनिक भवन में कैद रहे। छात्रों की मांग है कि बहुत से विभागों में जानबूझकर छात्र छात्राओं को फेल किया गया है, जिससे छात्रों में आक्रोश है इसी बात को लेकर आज छात्र प्रतिनिधिओ ने कुलपति रजिस्ट्रार एवं प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत की पेशकश रखी थीं।
प्राप्त सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय का माहौल खराब करने के लिए पूर्व कुलपति के करीबी कुछ शिक्षक माहौल को खराब करना चाहते हैं, इसी कारण बहुत से विभागों में छात्र-छात्राओं को जानबूझकर फेल किया गया है ।फेल किए गए थे छात्राओं में ज्यादातर साइंस संकाय, म्यूजिक, पत्रकारिता एवं अन्य विभाग के छात्र हैं।
सूत्रों ने बताया कि यह सिर्फ मुख केंपस ही नहीं गंगापुर परिसर एवं एनटीपीसी परिसर के भी छात्र छात्राओं को जानबूझकर फेल किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों के ढुलमुल रवैया के कारण छात्र छात्राएं असमंजस में है, कि मुझे अगले साल किसी कक्षा में एडमिशन मिलेगा या नहीं। विश्वविद्यालय के मुखिया प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी के सामने यह बहुत बड़ी समस्या है, कि आए दिन छात्रों का प्रदर्शन चलता रहता है, लेकिन कुछ शिक्षक इन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से आए दिन कुछ न कुछ चाल चलते आ रहे है।
आज की घटना उस वक्त घटी जब प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी के बुलावे पर प्रवेश समिति की बैठक चल रही थी। इस कारण बहुत से विभागाध्यक्ष, विभाग के शिक्षक जो वेरिफिकेशन के लिए नियुक्त किये गए है। उन शिक्षकों का भी काफी संख्या में जमावड़ा था, क्योंकि 21 अक्टूबर से 26 अक्टूबर 2021तक सभी विभागों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के दाखिले के लिए वेरिफिकेशन का कार्य होना सुनिश्चित है। जिसके कारण विश्वविद्यालय में इन दिनों पठन-पाठन कार्य बंद कर दिया गया है ।और सिर्फ वेरिफिकेशन का कार्य किया जा रहा है।
आपको बता दें की यह पहली बार नहीं हुआ है की इतने संख्या में छात्र-छात्राओं को फेल किया गया हो इसके पूर्व कुलपति प्रोफेसर अवध राम के कार्यकाल में इस तरह की घटना हुई थी। जिसमें ललित कला विभाग के 50 छात्र- छात्राओं में 36 छात्र-छात्राओं को फेल कर दिया गया था, और उस समय भी छात्र-छात्राओं ने बवाल काटा था। लेकिन कुलपति ने कठोर कार्रवाई करते हुए प्रोफेसर मंजुला चतुर्वेदी को 3 साल तक डीवायर कर दिया गया था उसके बाद विश्वविद्यालय में इस तरह की घटना बहुत कम देखने को मिली।
लेकिन इन दिनों इस तरह की घटनाओं में तेजी आई है। जो विश्वविद्यालय के लिए अच्छे संकेत नहीं है वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी को भी कुछ इस तरह का ही कदम उठाना पड़ेगा। जिससे विश्वविद्यालय का माहौल शिक्षाप्रद बने और छात्र-छात्राओं का शिक्षकों के प्रति संवेदना बनी रहे।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय के कुलानुशासक के लाख समझाने के बाद भी छात्रों में कोई फर्क नहीं पड़ा ,उल्टे उनको आक्रोश का सामना करना पड़ा। वही चीफ प्रॉक्टर कुलपति रजिस्ट्रार को मक्खन लगाने पर आमादा रहे। बाहर हाल ऐसे कुलानुशासक को रहने क्या क्या फायदा जो छात्र कुलानुशासन का बात ना माने और सिर्फ कुलानुशासक अधिकारियों के चापलूसी करते रहे।