रविवार 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर के किसान प्रदर्शन के दौरान चलती गाडी से रौंद डाले गए किसानों की हत्या के जुर्म में केन्द्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्र के बेटे आशीष मिश्र को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया। यह गिरफ्तारी तो होनी ही थी लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस गिरफ्तारी के बाद अदालत में यह प्रमाणित हो सकेगा किलखीमपुर के इस हत्याकांड के लिए वह शख्स जिम्मेदार है।
जिसे इस घटना के एक सप्ताह बाद शनिवार 9 अक्टूबर 2021 को उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम ( एसआईटी ) ने 12 घंटे की गहन पूछताछ के बाद अधिकृत और औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था। यह सवाल इसलिए पैदा होता है क्योंकि घटना के बाद उस स्थल से तमाम सबूत तो काफी पहले ही ख़त्म किये जा चुके थे और गिरफ्तारी में एक हफ्ते का समय लगाने के साथ ही पुलिस ने उस स्थल की कोई सुरक्षा भी नहीं की थी। यही सवाल तो सर्वोच्च अदालत ने भी उठाये हैं।
ये गिरफ्तारी तो होनी ही थी क्योंकि जब देश की सर्वोच्च अदालत इस बात का संज्ञान ले चुकी थी कि गाड़ी से रौंद डालने की जिस वीभत्स घटना को होते हुए मौके पर मौजूद एकदोन लोगों ने अपनी आँखों से देखा है और सभी को यह पता है की गाड़ी किसकी है और उस वक़्त कौन उसे चला रहा था तब ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार तो करना ही था लेकिन राज्य पुलिस अभियुक्त को बचा रही थी क्योंकि कथित अभियुक्त एक केन्द्रीय मंत्री का बेटा है। सरकार इस गिरफ्तारी को लेकर कितनी गंभीर थी इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद पुलिस कथित अभियुक्त को गिरफ्तार करने के बजाय उसे पूछताछ के लिए सामन भेजती है। पुलिस के पहले समय को तो कथित अभियुक्त बीमार होने का बहाना बना कर हवा में उडा देता है। पर जब चारों तरफ से पड़ते दबाब के चलते उसे दूसरा सामान भेजना पड़ता है और उसे किसी तरह यह भरोसा दे दिया जाता है कि पूछताछ के बाद उसे गिरफतार नहीं किया जाएगा तब आशीष नाम का यह अभियुक्त पिछले दरवाजे से लखीमपुर खीरी स्थित पुलिस लाइन के उस ऑफिस में पहुँचता है जहाँ उससे पूछताछ होनी है।
पूछताछ के दौर में अभियुक्त को पूरे समय वीआईपी की तरह सम्मान दिया जाता है। उसे वातानुकूलित कमरे में गद्देदार कुर्सी में बैठा कर पूछताछ की जाती है। इसके बाद भी जब वो सवाल जवाब के दौर में अपनी ही उस बात के सबूत नहीं दे पाता कि हादसे के वक़्त वो वहाँ नहीं था तो फिर पुलिस को उसे गिरफ्तार करना ही था। गौरतलब है कि विगत तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को शनिवार को करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था और उसी दिन आधी रात के बाद उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे पुलिस उप महानिरीक्षक (मुख्यालय) उपेंद्र अग्रवाल ने शनिवार रात लगभग 11 बजे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की जानकारी दी थी ।
अग्रवाल ने बताया, ‘‘मिश्रा ने पुलिस के सवालों का उचित जवाब नहीं दिया और जांच में सहयोग नहीं किया। वह सही बातें नहीं बताना चाह रहे हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया।’’ आशीष मिश्रा की शनिवार देर रात चिकित्सीय जांच कराई गई और आधी रात के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में पेश किया गया। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) एसपी यादव ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आशीष को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लखीमपुर खीरी जिला जेल भेज दिया है। यादव ने बताया कि आशीष की पुलिस रिमांड के लिए अर्जी दी गयी थी और अदालत ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इससे एक दिन पहले मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई पर गहरी नाराजगी प्रकट की थी। तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी की हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में आशीष और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या समेत अन्य संबंधित धाराओं में तिकुनिया थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
घटना के बाद आशीष पर आरोप लगा कि वह उन वाहनों में से एक में सवार था जिसने गत रविवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे पर प्रदर्शन कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था, जिसके बाद प्राथमिकी में उसका नाम जोड़ा गया। आशीष पूर्वान्ह लगभग 11 बजे एसआईटी के समक्ष पेश हुआ। उसे शुक्रवार को पुलिस ने दूसरा नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए शनिवार पूर्वान्ह 11 बजे तक पेश होने को कहा था। आशीष शुक्रवार को लखीमपुर खीरी में पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ था, इसलिए उसके घर के बाहर दूसरा नोटिस चस्पा किया गया था।’ गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में गत रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध करने के दौरान हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस प्रकरण में करीब सात दिन बाद आशीष मिश्रा के साथ ही अन्य दो की गिरफ्तारी के बाद अब सभी की निगाह पुलिस की अगली कार्रवाई पर है। खीरी प्रक्ररण पर कानूनी कार्रवाई के साथ – साथ देश और प्रदेश की जनता को इस घटना की राजनीतिक प्रतिक्रिया का भी बड़ी बेसब्री से इन्तजार है।
विपक्ष ने तो इसे अगले विधानसभा चुनाव के एक मुद्दे के रूप में अपना हथियार बना ही लिया है अटकलों के दौर में यह भी कहा जा रहा है कि केंद्र और प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के केन्द्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व में भी इस मुद्दे को लेकर आपस में गाँठ बन गयी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पार्टी के केंद्र सरकार में उच्च पदों पर आसीन जो महत्वपूर्ण लोग राज्य सरकार के मुखिया से नाराज हैं उन्होंने ही लखीमपुर की बिसात बिछाई थी अब पासा पलट गया है और केन्द्रीय नेतृत्व के कुछ लोगों को सबक सिखाने के लिए गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई तो होनी ही थी। एसआईटी प्रमुख उपेंद्र अग्रवाल के मुताबिक, लखीमपुर हिंसा के मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है। मोनू से पहले आशीष पांडेय और लवकुश राणा को सात अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।