नई दिल्ली/ जयपुर: मानसून में हुई बारिश से कोयला खदानों में पानी भर जाने के कारण पूरे उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से कोयला उपलब्धता के संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने 7 अक्टूबर को मुख्यमंत्री निवास पर वीसी के माध्यम से आयोजित बैठक में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कोयला खदानों में पानी भरने से उपजे इस संकट के कारण प्रदेश में थर्मल पॉवर प्लांट्स की कुछ इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं। ऎसे में आमजन को बिजली बचत के लिए जागरूक किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि बिजली संकट के कारण ग्रिड में बिजली की कमी है। पवन ऊर्जा प्लांट्स से भी स्थापित क्षमता से कम बिजली मिल रही है। देश में गहराये कोयला संकट एवं पर्याप्त कोयला नहीं मिलने से थर्मल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन क्षमता में आई कमी के बारे में आमजन को जागरूक किया जाए ताकि बिजली की बचत के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी आगामी दिनों में बिजली की मांग एवं उपलब्धता के आधार पर आपूर्ति के संबंध में कार्य योजना बनाएं। विद्युत संकट को देखते हुए उन्होंने उपभोक्ताओं से बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा विभाग के अधिकारी छत्तीसगढ़ जाकर वहां स्थित कोल ब्लॉक्स मेंं कोयले की वर्तमान उपलब्धता एवं प्रदेश की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कोयला उपलब्ध हो इसकी निरन्तर मॉनिटरिंग करें। उन्होंने केन्द्रीय अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में कोयला रैक की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा ताकि हमारे थर्मल पॉवर प्लांट्स का सुचारू संचालन हो सके। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को जरूरत के अनुसार बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए थर्मल पॉवर प्लांट्स का कार्यशील रहना जरूरी है।
बैठक में ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से बातचीत के दौरान उनसे प्रदेश को आवंटित कोटे के अनुरूप कोयला प्रतिदिन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। डॉ. कल्ला ने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने केन्द्रीय कोयला मंत्री एवं कोयले की उपलब्धता की मॉनिटरिंग के लिए बनाए उप-समूह से चर्चा कर राजस्थान को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया है।
चेयरमैन डिस्कॉम्स श्री भास्कर ए सावंत ने बिजली आपूर्ति की वर्तमान स्थिति पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि मौसम में हुए परिवर्तन से गर्मी एवं उमस बढ़ी है। ऎसे में दोपहर 3 बजे बाद बिजली की मांग काफी बढ़ गई है। आज की स्थिति में प्रतिदिन औसत मांग 12500 मेगावाट की है, जबकि औसत उपलब्धता 8500 मेगावाट ही है। प्रदेश में 4 अक्टूबर के बाद से बिजली का उपभोग बढ़ा है, लेकिन थर्मल पॉवर प्लांट्स के पूरी क्षमता से काम नहीं करने के कारण उपलब्धता घट रही है। मांग एवं उपलब्धता में प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात्रि 12 बजे तक 2500 मेगावाट से अधिक का अंतर आ गया है। ऎसे में पिछले दो दिन से मजबूरीवश रोस्टर से बिजली कटौती की जा रही है। जिन क्षेत्रों में कटौती हो रही है, उसके बारे में लोगों को समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
श्री सावंत ने बताया कि कोल इंडिया लि. की सब्सिडिरी इकाइयों एनसीएल एवं एसईसीएल द्वारा प्रदेश की जरूरतों की अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। प्रतिदिन करीब 11 रैक कोयले की आवश्यकता के मुकाबले अभी 7.50 रैक कोयला मिल रहा है। इसका असर थर्मल पॉवर प्लांट्स की क्षमता पर पड़ा है। सूरतगढ़ थर्मल पॉवर प्लांट में 1250 मेगावाट प्रतिदिन उत्पादन कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि राजस्थान को एक अक्टूबर से एनसीएल द्वारा 5 रैक प्रतिदिन एवं एसईसीएल द्वारा 2 रैक प्रतिदिन आवंटित की गई हैं। 1 से 5 अक्टूबर तक एनसीएल द्वारा औसतन 4 रैक प्रतिदिन एवं एसईसीएल द्वारा प्रतिदिन आधी रैक से भी कम रवाना की गई हैं।
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी श्री आर के शर्मा ने बताया कि बारिश देरी से होने के कारण कोयला खदानों में पानी भरना कोयला उत्पादन कम होने की मुख्य वजह है। उन्होंने बताया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम द्वारा एसईसीएल से 3800 मीट्रिक टन यानी एक रैक कोयला प्रतिदिन सड़क एवं रेलमार्ग के माध्यम से उठाया जा रहा है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा श्री सुबोध अग्रवाल, जयपुर डिस्कॉम के एमडी श्री नवीन अरोड़ा, जोधपुर डिस्कॉम, अजमेर डिस्कॉम के एमडी सहित ऊर्जा विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।