पटना/ जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा पार्टी के 31 जुलाई की दिल्ली में हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत मौजूदा पार्टी अध्यक्ष आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन जाने के बाद संगठन से पदमुक्त हो सकते हैं।
सबकुछ ठीक ठाक रहा तो उपेन्द्र कुशवाहा को कुर्सी पाने में कोई परेशानी नही होगी कुशवाहा अपनी पार्टी रालोसपा का विलय कर जदयू में यानी घर वापसी की थी। पार्टी में शामिल होने के अवसर पर सीएम नीतीश कुमार, ललन सिंह, सहित सभी बड़े नेताओं ने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया था, तभी तय हो गया था कि कुशवाहा को पार्टी बड़ी भूमिका सौंपने की तैयारी कर चुकी है।
जदयू में शामिल होते ही उन्हें राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया फिर राज्यपाल के मनोनयन कोटे से विधान पार्षद और इसके बाद विधान परिषद की महत्वपूर्ण पर्यटन विकास कमिटी का चेयरमैन बनाया गया। इतनी द्रुत गति से किसी भी राजनीतिज्ञ पर कोई भी पार्टी मेहरवान नही होती कुशवाहा इसके अपवाद है 24 स्ट्रैंड रोड का मंत्री वाला सुसज्जित बंगला आवंटित किया जाना संयोग नही हो सकता, फिर 18 जुलाई को राज्य कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक में सीएम नीतीश ने कुशवाहा की तारीफों के पुल बांधे और आरसीपी का यह कहना कि पार्टी चाहेगी तो वे राष्ट्रीय अध्यक्ष और मंत्री दोनो ही भूमिकाएं निभाएंगे नही तो संगठन की जिम्मेवारी योग्य के हाथों सौंप देंगे। तभी संकेत स्पष्ट हो गया था और अब जबकि बिना किसी पूर्व निर्धारित एजेंडे के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में आहूत हो रही है तो उसका लक्ष्य स्पष्ट है कि आरसीपी इस्तीफा देंगे और उपेन्द्र कुशवाहा की ताजपोशी हो जाएगी।
यदि कोई विध्न पार्टी के कद्दावर सांसद ललन सिंह ने नही पैदा की तो क्योंकि मंत्रिमंडल में शामिल न हो पाने के जबरदस्त छटपटाहट उनके मन में है। वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं सम्भव है वो भी अध्यक्ष की रेस में खुद खड़े हो जाएं तो फिर कुशवाहा की राह में रोड़े अटक जाएंगे मतलब उपेन्द्र ललन की भिड़ंत हुई तो फिर विवाद से बचने के लिये खुद नीतीश बीच का रास्ता निकाल राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर पुनः विराजमान हो जाएं। हालांकि ऐसी परिस्थिति आ ही जाएगी कोई जरूरी नहीं पार्टी नेताओं का दावा है कि ऐसा कुछ होने की रत्ती भर गुंजाईश ना के बराबर है।
पार्टी मुखिया नीतीश कुमार खुद चाहते हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी संभाले कुशवाहा संगठन चलाने में माहिर है उनकी योग्यता पात्रता और अनुभव से पार्टी को देशभर में विस्तार करने और संगठन को सशक्त करने में मदद मिलेगी वैसे जदयू लवकुश समीकरण पर आधारित जदयू में लव यानी नीतीश कुमार सीएम हैं कुश उपेन्द्र कुशवाहा की दावेदारी स्वाभाविक बनती है ।इस तरह से लवकुश समाज पर फिर से जदयू अपनी मजबूत पकड़ बनाने में सफल होता दिख रहा है।