पिछले ढाई महीने से अखबारों में पढ़ने , रेडियो में सुनने और टेलीविज़न में देखने के लिए सबसे पहले एक ही खबर पर ध्यान जाता है कि आज कोरोना महामारी से संक्रमित होने वालों की संख्या कितनी है , बीमारी से कितने लोग ठीक हुए और 24 घंटे के दौरान कितने लोग अपने परिजनों को हमेशा के लिए छोड़ कर बहुत दूर अन्नंत यात्रा पर चले गए। गनीमत है कि पिछले एक पखवाड़े के दौरान ठीक होने वालों की संख्या काफी बढ़ी है जबकि संक्रमित होने वालों और मरने वालों की संख्या काफी कम हुई है। इन पंक्तियों के लिखे जाते समय अखबारी ख़बरों के मुताबिक़ पिछले 24 घंटे के दौरान देश में कोरोना संक्रमण की दर तीन प्रतिशत से भी नीचे 2..98 प्रतिशत थी , इनमें सक्रिय मामले 2. 55 प्रतिशत थे और कोरोना संक्रमण की यह दर पिछले 74 दिनों में सबसे कम बताई गई थी। उस दिन के इस राष्ट्रीय कोरोना आंकड़े के क्रम में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की स्थिति इससे भी बेहतर थी।
इस खबर के हिसाब से शनिवार 19 जून 2021 के दिन दिल्ली में कोरोना से 7 लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की यह संख्या विगत 3 अप्रैल के बाद सबसे कम थी।
3 अप्रैल को दिल्ली में 10 लोग कोरोना से मौत का शिकार हुए थे। शनिवार 19 जून को जारी मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में उस तारीख तक कोरोना के कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 2372 थी और इनमें से 14 79 मरीज दिल्ली के अलग – अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे थे और शेष अपने – अपने घरों में एकांतवास से स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। इसके साथ ही बीते 24 घंटे के दौरान दिल्ली में जिन 75687 कोविड नमूनों की जांच की गई थी उनमें से सिर्फ 0 .18 फीसदी ही पॉजिटिव पाए गए। इस तरह कुल 135 नए केसों की ही दिल्ली में पुष्टि की गई।
दिल्ली के हिसाब से कोरोना के मामले में यह एक उपलब्धि है और लगभग यही स्थिति पूरे देश की भी है। कहना गलत नहीं होगा कि इसी साल अप्रैल के पहले दूसरे सप्ताह में कोरोना की जो दर्दनाक और भयानक स्थिति थी उसके मुकाबले आज हालात काबू में दिखाई देते हैं। अप्रैल के महीने में शुरुआत से
ही जो खतरनाक स्थितियां बनीं थी उनको देखते हुए देश में
अपनी – अपनी स्थानीय जरूरतों को देखते हुए ही अप्रैल के दूसरे पखवाड़े से ही लॉकडाउन की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी थी जिसे 7 जून के बाद से धीरे – धीरे खोलने का सिलसिला शुरू हुआ था .कोरोना के हालात जैसे – जैसे सामान्य होते जा रहे हैं वैसे – वैसे अनलॉक की प्रक्रिया में और छूट भी दी जा रही हैं। अनलॉक का तीसरा हफ्ता आते ही अब बहुत कुछ खुल भी गया है। कोरोना का असर कम हुआ है तो बाजार , ऑफिस , माल तथा दूसरे सार्वजनिक स्थल खुलने भी चाहिए लेकिन दिक्कत खुलने से नहीं है , दिक्कत इस बात से है कि लोग कोरोना के नियमों का पालन न करने में अपनी शान समझते हैं और बिना मास्क लगाए कहीं भी घुमते – फिरते दिखाई देते हैं। ऐसे लोग सामाजिक दूरी की भी परवाह नहीं करते और भीड़ के रूप में हर जगह अपनी मौजूदगी बनाए रखना चाहते हैं। यह अज्ञानता ही नहीं है बल्कि पूरी तरह से लापरवाही बरतने का ही नमूना है।
इसी लापरवाही की वजह से पिछले साल इन्हीं दिनों जब कोरोना की पहली लहर का असर कुछ कम हुआ था, तब लॉकडाउन में कुछ ढील दी गई थी ,उस दौरान लोगों की लापरवाही ने कोरोना की दूसरी लहर के असर को मजबूत बनाया था और बड़े पैमाने पर लोगों की जान गई थीं। पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में संक्रमित होने वाले और संक्रमण का शिकार होकर मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा थी।
कोरोना एक ऐसी बीमारी है जो वायरस के संक्रमण से फैलती है और इसे रोकने का एक ही उपाय है कि लोग आपस में मिलना – जुलना बंद कर दें और बहुत जरूरी हो तो मुंह में मास्क , हाथों में दस्ताने पहनने के साथ ही कम से कम 6 फुट की दूरी बना कर एक – दूसरे से बात करें। घर से बाहर न निकलें और जब निकलें तो मास्क जरूर पहनें। पर लोग ऐसा नहीं करते हैं जिसकी वजह से एक बार पूरी तरह से बाहर हो गया कोरोना फिर – फिर वापसी करता है। दूसरी लहर के दौरान तो काफी लोगों ने टीके लगा कर एक तरह से कोरोना से बचाव का एक और उपाय कर लिया है लेकिन यह उपाय भी नाकाफी है। लापरवाही की वजह से ऐसे उपाय भी धरे रह जाते हैं। इसीलिए सरकार ने एक बार फिर लोगों को आगाह किया है कि कोरोना से बचाव के मामले में किसी तरह की लापरवाही न बरतें वरना कोरोना की तीसरी लहर न केवल जल्दी आ जायेगी बल्कि पहली और दूसरी लहर के मुकाबले कहीं अधिक कहर भी बरपायेगी। इस तरह की एक चेतावनी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने विगत शनिवार 19 जून को जारी की थी। उनका यह कहना है कि कोरोना प्रोटोकोल का पालन न करने और भीड़ को नियंत्रित न करने पर कोरोना की तीसरी लहर के गंभीर परिणाम भोगने पद सकते हैं और लोगों की लापरवाही के चलते यह लहर 6 से 8 हफ्ते के बाद कभी भी आ सकती है। डॉक्टर गुलेरिया को यह चेतावनी इसलिए भी जारी करनी पड़ी क्योंकि कोरोना की पहली और दूसरी लहर का प्रकोप झेलने के बाद अब हर इंसान अन्दर तक हिल गया है . तीसरी लहर कितना नुकसान करेगी इसका अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता इसलिए जैसा बड़े – बुजुर्गों ने भी कहा है कि इलाज से बेहतर है कि रोग की रोकथाम ही कर ली जाए।
रोकथाम रोग के असर करने से पहले ही करनी पड़ती है इसलिए यही वक़्त है जब हम तीसरी लहर से बचाव कर सकते हैं।
कोरोना प्रोटोकोल का पालन करने से इसका सौ फीसदी बचाव हो सकता है , इसकी मिसाल देश के अनेक गाँव , कस्बों और छोटे – छोटे शहरों ने भी दी है जहां बचान के उपायों पर अमल करते हुए ही उनके क्षेत्र में एक भी व्यक्ति कोरोना का शिकार नहीं हुआ। दिल्ली के मुंडका विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला बाहरी दिल्ली इलाके का एक ऐसा ही गाँव है झिमरपुरा जो कोरोना की दोनों लहर में यहाँ के लोगों की सूझ – बूझ की वजह से पूरी तरह सुरक्षित रहा और यहाँ का एक व्यक्ति भी कोरोना का शिकार नहीं हुआ। करीब 2 हजार की आबादी वाले दिल्ली के इस गाँव में भारत के सामान्य गाँव की तरह स्वास्थ्य , शिक्षा , सड़क , पानी और दूसरी जन सुविधाओं का भी अकाल ही है। खेती भी ख़ास नहीं है।
लोग जीविकोपार्जन के लिए गाँव के बाहर दोसरे इलाकों में सब्जियां बेचने का काम करते हैं लेकिन इन लोगों ने कोरोना के कहर को बहुत पहले ही भांप लिया था और अपने बुजुर्गों का कहना मानते हुए खुद को पूरी तरह एकांतवास में ढाल लिया है। गाँव के बाहर जाना तो दूर यहाँ के लोगों ने गाँव के अन्दर भी लोगों से मिलना – जुलना काफी कम कर दिया है जिसकी वजह से कोरोना गाँव तक फाटक नहीं सका। एक हिंदी अखबार में प्रकशित इस आशय की खबर पर गौर करना चाहिए और ऐसे गाँव को सरकार की तरफ से सम्मानित तथा प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए ताकि दूसरे गाँव , कस्बे और शेरोन को भी इस गाँव से प्रेरणा मिल सके . जब एक झिमरपुराऐसा एक आदर्श गाँव हो सकता है तो दूसरा क्यों नहीं .इसी तरह देश का हर गाँव , शहर और क़स्बा इस तरह रोकथाम के उपाय करने लगे तो कोरोना का असर भी अपने आप ही ख़त्म हो जाएगा।