नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी के पॉल देश की स्वास्थ्य चिंताओं को लेकर अक्सर सुर्ख़ियों में रहते हैं। कोरोना संक्रमण के बाद तो स्वास्थ्य मामलों में उनके बयान देश के स्वास्थ्य मंत्री से भी कहीं मात्रा में दिखाई देते हैं। देश की शीर्ष नीति निर्धारण संस्था के एक सदस्य का स्वास्थ्य के मामलों में चिंतित होना अच्छी बात है लेकिन कई बार ऐसा भी लगता है कि यह सब तबसे होने लगा है जब से योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग की स्थापना की गई है। योजना आयोग में उसके उपाध्यक्ष के अलावा और भी सदस्य इस तरह अपने विषय को लेकर कभी इस तरह अपने विचार व्यक्त नहीं करता था। योजना आयोग का अध्यक्ष तो आज के नीति आयोग की तरह देश का प्रधान मंत्री ही हुआ करता था लेकिन प्रधान मंत्री बहुत कम ही योजना आयोग की हैसियत से सामने आया करते थे , सारे काम उपाध्यक्ष ही किया करते थे, और वही उसके कार्यकारी अध्यक्ष , मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रशासकीय मुखिया हुआ करते थे लेकिन नीति आयोग में अब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उपाध्यक्ष और आधा दर्जन से ज्यादा पदेन सदस्यों के साथ ही एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी ( सीईओ अमिताभ कान्त )भी हैं।
पदेन सदस्यों में – गृह मंत्री अमित शाह , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर के साथ ही डॉक्टर वी के पॉल के नाम महत्वपूर्ण हैं। नीति आयोग के सदस्य के रूप में श्री पॉल जितने मुखर हैं उतना तो कोई केन्द्रीय मंत्री भी नहीं है इससे लगता है कि डॉक्टर पॉल विशेष कृपा के पात्र हैं। इस पृष्ठभूमि में यह जानना जरूरी भी हो जाता है कि नीति आयोग और योजना आयोग में आखिर बुनियादी अंतर है ?
याद होगा कि 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने और देश का प्रधान मंत्री बनने के बाद स्वतंत्रता दिवस को लालकिले की प्राचीर से दिए अपने पहले भाषण में नरेन्द्र मोदी ने देश से एक वायदा किया था कि योजना आयोग के स्थान पर शीघ्र ही एक नई शीर्ष नीति नियामक संस्था की स्थापन की जायेगी जो कई मायनों में योजना आयोग से अलग होगा। नीति आयोग वही संस्था है जो योजना आयोग के स्थान पर पर 1 जनवरी 2015 को स्थापित की गई थी। इस संस्था का यह हिंदी भाषा के उस शब्द नीति पर आधारित नहीं है जिसका मतलब अंगरेजी के शब्द पालिसी का समानार्थी है।
इसके विपरीत नीति आयोग का नीति शब्द अंगरेजी नाम की एक संस्था नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांस्फोर्मिंग इंडिया ( National Institution for Transforming India ) का संक्षेप में लिया गयाNITI( नीति ) शब्द है जिसका नीति या पालिसी से उतना मतलब नहीं है जितना विकास के बदलते प्रतिमानों से हैं . नाम के शब्द के साथ ही इस संस्थान की प्रकृति , स्वरुप , कार्यविधि और प्रशासनिक संरचना में भी बदलाव किया गया है। नीति आयोग नामक संस्थान की योजना आयोग नामक जिस संस्थान के स्थान पर स्थापना की गई है ,उसे पूर्ववर्ती सोवियत संघ की तर्ज पर आजाद भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु की पहल पर एक परामर्श दात्री संसथान के रूप में 15 मार्च 1950 को की गई थी। तब योजना आयोग को देश के पूंजीगत और मानव संसाधनों का अनुमान लगाने और योजना के विभिन्न चरणों का निर्धारण करने के साथ ही प्राथमिकता के आधार पर संसाधनों के आवंटन का प्रस्ताव देने के दो ख़ास काम सौंपे गए थे। इसके विपरीत योजना आयोग के गठन के 65 साल बाद नीति आयोग की स्थापना देश की विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण मार्गदर्शक एवं रणनीतिक इनपुट प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।
दोनों संस्थाओं में बुनियादी अंतर यही है कि योजना आयोग का काम केवल सरकार को नीतिगत सुझाव भर देने का था जबकि नीति आयोग एक कार्यकारी संस्थान के रूप में बदलते भारत की हर गतिविधि का सक्रिय गवाह है। नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को बनाया गया था। नीति आयोग की स्थापना के समय ही यह तय हो गया था कि यह संस्थान सरकार के एक “थिंक टैंक” की तरह काम करेगा और नीतिगत मामलों में केंद्र और राज्यों को परामर्श देगा। इस संस्थान की स्थापना का एक बड़ा मकसद यह भी है कि केंद्र के दो मंत्रालयों के बीच आपसी सहयोग और मजबूत बने तथा केंद्र – राज्य सम्बन्ध भी और मजबूत बने, ताकि नीतियों को लागू करने की धीमी गति को तेज किया जा सके। नीति आयोग के कामों को मोटे तौर पर राष्ट्रीय लक्ष्यों के आलोक में राज्यों की सक्रिए भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकता क्षेत्रों और रणनीति का साझा दृष्टिकोण विकसित करने ,निरंतर आधार पर राज्यों के साथ संरचित समर्थन पहलों और तंत्रों के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और इस तथ्य को स्वीकार करने कि एक मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण करता है ,गांव के स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने और सरकार के उच्च स्तर पर उत्तरोत्तर इसके लिए एक तंत्र विकसितकरने के साथ ही रणनीतिक और दीर्धकालिक नीति एवं कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने जैसे अनेक महत्वपूर्ण विकास परक कामों को देखा जा सकता है।