गाजियाबाद: मौसम में मंगलवार देर शाम आए बदलाव ने गाजीपुर बार्डर पर डटे किसानों की मुश्किलें बढा दीं, लेकिन साढ़े तीन माह से दिल्ली की सरहद पर डटे किसानों की चेहरे पर कोई शिकन दिखाई नहीं दे रहा। दरअसल तेज हवाओं के साथ हुई बरसात ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर लगाए गए कई टैंट उखाड़ दिए। बरसात के चलते किसानों के बिस्तर भी भीग गए, लेकिन किसान हार मानने को तैयार नहीं हैं।
बुधवार तड़के ही किसान अपने तंबुओं को फिर से ठीक करने में लग गए, बरसात में भीग गए गद्दे और लिहाफ भी एक्सप्रेस-वे के डिवाइडरों पर सूखते नजर आए। किसान फिर से अपने घरौंदों को पिरौने में लगे हुए थे, इसलिए बुधवार को मंच संचालन भी देर से शुरू हो पाया। किसानों का कहना था कि मौसम के साथ कुछ परेशानियां तो आती ही हैं, हमें इन परेशानियों के आने से दिक्कत नहीं आती। खेतों में भी तो हमारे साथ यही होता। यह हमारा रोज का काम है। किसानों का कहना था कि कितनी बरसात और अंधड़ आएं, हम बार्डर से तब तक नहीं हटने वाले जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती।
आंधी और बारिश से उखड़े टेंटो को बनाते नजर आए
बुधवार को किसान दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार रात आई तेज आंधी और बारिश से उखड़ गए तंबुओं को संभालते नजर आए। जिसके कारण बुधवार को आंदोलन का मंच संचालन भी देर से शुरू हो सका। बुधवार को भी रोजाना की तरह 11 किसान 24 घंटे के क्रमिक अनशन पर बैठे। यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर बुधवार को किसान आंदोलन का 103वां दिन था। कुछ दिन पहले हवादार बनाए गए टैंट मंगलवार देर शाम आए अंधड़ में एक दर्जन से अधिक टेंट उखड़ गए। इस दौरान कई टेंटो के तिरपाल फटने के साथ टेंट में की गई बिजली व्यवस्था भी खराब हो गई। जिसे किसान बुधवार को दिन भर दोबारा खड़ा करने में जुटे रहे। मंच संचालक ओमपाल मलिक ने बताया कि आंधी के समय किसान एहतियान बड़े मजबूत टेंटो और ट्रालियों में चले गए थे। जिसके कारण कोई हताहत नहीं हुआ है।
पाठशाला का टेंट भी उखड़ा
आंदोलन स्थल पर एक जनवरी, 2021 से चल रही पाठशाला का भी टेंट भी मंगलवार की रात आई आंधी में उखड़ गया। जिसके कारण बुधवार को गरीब बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़े। किसान नेता जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि बार्डर पर खराब मौसम को देखते हुए वॉटर प्रूफ और मजबूत टेंटो की संख्या बढ़ाई जाएगी। जिससे खराब मौसम में किसानों को कोई परेशानी न होने पाए।