भिलाई: राजभाषा हिंदी के इस्तेमाल का प्रचार करने वाला सार्वजनिक उपक्रम भिलाई इस्पात संयंत्र व्यवहारिक रूप से हिंदी के पालन से बचता है। यहां तक कि फरियादियों को भी हिंदी की प्रति के लिए भटकना पड़ता है। ऐसे ही मामले में एक फरियादी ने राजभाषा हिंदी के सम्मान के लिए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय तक गुहार लगाई और अंतत: न्याय मिला।
माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने इस मामले में भिलाई स्टील प्लांट मैनेजमेंट को निर्देश दिया है कि वह चाही गई प्रति का हिंदी अनुवाद उपलब्ध कराए। याचिकाकर्ता आरपी शर्मा ने इसे राजभाषा हिंदी के अनुपालन में एक बड़ी पहल बताते हुए कहा है कि इस फैसले से भिलाई स्टील प्लांट मैनेजमेंट की कथनी और करनी का फर्क साफ हो गया है।
उन्होंने कहा है कि आए दिन राजभाषा हिंदी के नाम पर आयोजनों में लाखों रूपए फूंक देने वाला भिलाई स्टील प्लांट व्यवहारिक रूप से हिंदी का कितना इस्तेमाल कर रहा है, इसे माननीय उच्च न्यायालय के फैसले ने प्रमाणित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान एचएससीएल कालोनी रूआबांधा निवासी आरपी शर्मा के विरुद्ध भिलाई स्टील प्लांट संपदा न्यायालय में बेदखली का मामला लंबित है। जिसमें आर पी शर्मा ने माननीय संपदा अधिकारी बीएसपी द्वारा अंग्रेजी में प्रस्तुत बेदखली प्रकरण की हिंदी अनुदित प्रति चाही थी। जिसके लिए आर पी शर्मा ने 24 दिसंबर 2020 को बाकायदा मैनेजमेंट को लिखित में अनुरोध किया था। लेकिन माननीय संपदा न्यायालय ने आर पी शर्मा के इस आवेदन को 14 जनवरी 2021 को खारिज कर अनर्गल टिप्पणी करते हुए हिंदी अनुवाद देने से इनकार कर दिया था।
इस पर शर्मा ने पूरे मामले की शिकायत भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) की चेयरमैन, निदेशक, राजभाषा केंद्रीय गृह मंत्रालय, राजभाषा प्रमुख व निदेशक प्रभारी भिलाई स्टील प्लांट और संपदा अधिकारी भिलाई स्टील प्लांट से 18 जनवरी 2021 को की थी।
इसके बावजूद कोई पहल नहीं होने पर आर पी शर्मा ने अपने हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. शैलेष आहूजा और संपदा न्यायालय का मामला देख रहे अधिवक्ता जमील अहमद के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में 25 जनवरी 2021 को सेल-बीएसपी के विरुद्ध वाद दाखिल किया था।
इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने 12 फरवरी 2021 को अपना फैसला सुनाया। जिसमें माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि-ह्यह्यउत्तरवादी को यह निर्देशित किया जाता है कि संपदा अधिकारी के समक्ष मूल वाद की हिंदी में अनुवादित प्रति और अनुलग्नकों (एनेक्सर्स) सहित आगामी पेशी तिथि पर या कोई बढ़ाई गई पेशी तिथि पर प्रस्तुत करें। आगे यह भी बताया जाता है कि याचिकाकर्ता संपदा अधिकारी के समक्ष लंबित कार्यवाही में अनावश्यक स्थगन/विलम्ब नहीं करेगा, यथासंभव शीघ्र निष्कर्ष निकाला जाए।
इस फैसले पर संतोष जताते हुए फरियादी आर पी शर्मा ने कहा है कि उन्हें माननीय उच्च न्यायालय से न्याय मिला। अब बीएसपी मैनेजमेंट को हिंदी अनुवाद की प्रति देनी होगी। उन्होंने कहा कि यह राजभाषा हिंदी का सम्मान बनाए रखने के प्रति उनका एक छोटा सा प्रयास था।