राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देश की सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं। नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग (आरएसएस कैडरों के लिए अधिकारी प्रशिक्षण शिविर) के विदाई समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को देश की एकता और अखंडता को बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए। भागवत ने कहा कि कुछ ताकतें भारत की छवि खराब करना चाहती हैं।
#WATCH जैसे गर्मी में वर्षा कि बौछारे सुखद लगती है वैसे ही स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद इस प्रकार कि सुखद भावनाओं का अनुभव हम जैसे कर रहे है, वैसे चिंतित करने वाला दृश्य भी हमें परिस्थिति मे मिल रहा है। इसी समय देश में कितने जगह कितने प्रकार के कलह मचे है, भाषा, पंथ, संप्रदायों,… pic.twitter.com/3mbD7hvAtk
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 1, 2023
उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और बाद में कोविड-19 महामारी के दौरान सभी देशों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया और साथ ही कहा कि भारत को इस साल जी20 की अध्यक्षता मिली है और “इस गौरव को महसूस किया जा सकता है।”
भागवत ने कहा कि हमारे समाज में धर्म और पंथ से जुड़े कई विवाद हैं। उन्होंने कहा- “हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन हम आपस में लड़ रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि हम एक देश हैं।”
भागवत ने कहा कि “सभी को भारत की एकता और अखंडता बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए। और अगर कोई कमी है तो हम सभी को उन पर काम करना चाहिए।’ भागवत ने कहा, कुछ धर्म भारत के बाहर के थे और “हमारे उनके साथ युद्ध हुए थे। लेकिन बाहरी लोग चले गए हैं। अब हर कोई अंदरूनी है। फिर भी, यहां (बाहरी लोगों के) प्रभाव में लोग हैं और वे हमारे लोग हैं … इसे समझना होगा।”
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि, ‘अगर उनकी सोच में कोई कमी है तो सुधारना हमारी जिम्मेदारी है।’
#WATCH पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ, स्पेन से मंगोलिया तक छा गया। धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को परस्त किया। तो अपने कार्य क्षेत्र में इस्लाम सिकुड़ गया। सबने सब बदल दिया। अब विदेशी तो यहां से चले गए लेकिन इस्लाम की पूजा कहां सुरक्षित चलती है, यहीं… pic.twitter.com/uBdULvYKY0
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उन्होंने कहा, “बाहरी लोग चले गए हैं, लेकिन इस्लाम का अभ्यास यहां सदियों से सुरक्षित है। कुछ लोग इस धारणा का समर्थन करते हैं कि अतीत में भारत में कोई जातिगत भेदभाव नहीं था। भागवत ने कहा, यह स्वीकार करना होगा कि “हमारे देश में अन्याय (जाति व्यवस्था के कारण) हुआ है।”
संघ प्रमुख ने कहा, “हम अपने पूर्वजों का गौरव लेकर चलते हैं, लेकिन हमें कर्ज (उनकी गलतियों का) भी चुकाना है।”