इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को वाराणसी अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि सर्वेक्षण तुरंत फिर से शुरू हो सकता है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एएसआई सर्वेक्षण न्याय हित में जरूरी है और इसे कुछ शर्तों के तहत किया जाना जरूरी है।
Allahabad High Court allows the Archaeological Survey of India to conduct a survey of the Gyanvapi mosque complex in Varanasi pic.twitter.com/ONYJhAipeJ
— ANI (@ANI) August 3, 2023
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद HC द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वेक्षण की अनुमति देने पर कहा, “मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। मुझे विश्वास है कि एएसआई सर्वेक्षण के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी और ज्ञानवापी मुद्दा सुलझ जाएगा।”
#WATCH | I welcome this verdict. I am confident that the truth will come out after the ASI survey and Gyanvapi issue will be resolved: UP Deputy CM Keshav Prasad Maurya on Allahabad HC allowing ASI survey of Gyanvapi mosque complex pic.twitter.com/g6MioucQtz
— ANI (@ANI) August 3, 2023
इस मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, “इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण शुरू हो सकता है। उच्च न्यायालय ने सत्र अदालत के आदेश को बरकरार रखा है।”
#WATCH | Allahabad HC has said that ASI survey of Gyanvapi mosque complex to start. Sessions court order upheld by HC: Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side in Gyanvapi survey case pic.twitter.com/mnQJrTzS09
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मालूम हो कि अदालत ने 27 जुलाई को एएसआई सर्वेक्षण के खिलाफ एक याचिका पर अपना फैसला 3 अगस्त तक सुरक्षित रख लिया था। 21 जुलाई को वाराणसी की एक अदालत ने एएसआई को यह निर्धारित करने के लिए खुदाई सहित सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया कि क्या मस्जिद उस स्थान पर बनाई गई थी जहां पहले एक मंदिर मौजूद था। एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वेक्षण शुरू किया था, लेकिन मस्जिद समिति के संपर्क करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही घंटों के भीतर इस पर रोक लगा दी थी, जिससे समिति को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का समय मिल गया।
मस्जिद समिति के वकील ने आशंका व्यक्त की थी कि सर्वेक्षण और खुदाई से संरचना को नुकसान होगा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि सर्वेक्षण किसी भी तरह से संरचना में बदलाव नहीं करेगा।
इस बीच वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में “हिंदू चिन्हों और प्रतीकों” की सुरक्षा की मांग को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक नई याचिका दायर की गई है। यह याचिका ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक राखी सिंह ने दायर की है। जनहित याचिका के मुताबिक, कहा गया है कि जब तक श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक परिसर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए और ज्ञानवापी परिसर में पाए जाने वाले हिंदू प्रतीकों की सुरक्षा के आदेश दिए जाएं। मामले की सुनवाई 7 अगस्त को तय की गई है।
इस बीच, इंतजामिया मस्जिद कमेटी के सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा कि उन्हें अभी तक नई याचिका की प्रति नहीं मिली है। उन्होंने कहा, “एक बार हमें याचिका की प्रति मिल जाएगी तो हमारी कानूनी टीम उसका जवाब तैयार करेगी।”
ज्ञानवापी मस्जिद तब सुर्खियों में आई जब महिलाओं के एक समूह ने मस्जिद परिसर में एक हिंदू देवता की अनुमति के लिए वाराणसी की निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि यहां पहले एक मंदिर हुआ करता था। अदालत ने इस याचिका के आधार पर 2022 में परिसर के वीडियो सर्वेक्षण का आदेश दिया। सर्वेक्षण के दौरान, एक संरचना की खोज की गई जिसके बारे में याचिकाकर्ताओं का दावा था कि वह एक ‘शिवलिंग’ है। लेकिन मस्जिद प्रबंधन समिति ने कहा कि संरचना ‘वज़ुखाना’ में एक फव्वारे का हिस्सा थी, जो पानी से भरा क्षेत्र है जहां लोग प्रार्थना करने से पहले अपने हाथ और पैर धोते हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कथित ‘शिवलिंग’ क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया। सितंबर 2022 में, वाराणसी जिला न्यायालय ने मस्जिद समिति की एक चुनौती को खारिज कर दिया, जिसमें तर्क दिया गया था कि परिसर के अंदर हिंदू देवताओं की पूजा करने का महिलाओं का अनुरोध स्वीकार्य नहीं था।