केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को कानून मंत्री ने संसद में सुप्रीम कोर्ट को नसीहत दी थी कि “सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए, बल्कि संवैधानिक मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।” केंद्रीय कानून मंत्री की इस टिप्पणी के बाद अब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार को करारा जवाब दिया है।
"No case is small for the Supreme Court. If we do not act in matters of personal liberty and grant relief, then what are we doing here?", says CJI DY Chandrachud while hearing a case.#SupremeCourtOfIndia pic.twitter.com/B42kGf36tF
— Live Law (@LiveLawIndia) December 16, 2022
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई भी केस छोटा नहीं होता। एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी करते हुए सीजेआई ने कहा, “अगर हम किसी की निजी स्वतंत्रता और राहत को कायम रखने के लिए कुछ नहीं कर सकते तो फिर हम यहां क्या कर रहे हैं?”
चीफ जस्टिस ने ये टिप्पणी बिजली चोरी के मामले में लंबी सजा काट चुके एक व्यक्ति की रिहाई का आदेश देते हुए किया. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना है तो हम यहां किस लिए हैं? अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और हम इस व्यक्ति की रिहाई का आदेश नहीं देते हैं तो हम यहां किस लिए हैं। तब हम संविधान के अनुच्छेद 136 का उल्लंघन कर रहे हैं।”
बिजली चोरी के मामले में 7 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हापुड़ के रहने वाले इकराम के मामले पर सुनवाई करते हुए CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा ने हैरानी जताई। जब याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 7 साल जेल में रह चुका है तो दोनों जस्टिस चौंक गए। पीठ ने कहा, “निचली अदालत और हाई कोर्ट ने एक छोटे अपराध को हत्या जैसा मामला बना दिया।”
CJI ने कहा,”इसलिए सुप्रीम कोर्ट की जरूरत है। उन्होंने टिपण्णी की – “जब आप यहां बैठते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता और कोई मामला बहुत बड़ा नहीं होता। क्योंकि हम यहां अंतरात्मा की पुकार और नागरिकों की स्वतंत्रता की पुकार का जवाब देने के लिए हैं। यही यहां कारण है। यह बंद मामला नहीं हैं।” जब आप यहां बैठते हैं और आधी रात को रौशनी जलाते हैं तो आपको एहसास होता है कि हर रोज कोई न कोई मामला ऐसा ही होता है।”
सीजेआई ने कहा कि सर्दी की छुट्टियों में कोई भी बेंच काम नहीं करेगी। मालूम हो कि ग्रीष्म अवकाश के दौरान सुप्रीम कोर्ट वेकेशन बेंच का गठन करता है जो गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए उपलब्ध होती है। लेकिन सीजेआई ने साफ कर दिया कि 2 जनवरी 2023 तक कोई भी बेंच काम नहीं करेगी।
बता दें कि कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बीते दिनों अदालतों में लंबित केसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर तीखा वार किया था। उनका कहना था कि सरकार कोर्ट के कामों में दखल नहीं देना चाहती लेकिन पांच करोड़ केस देश की विभिन्न अदालतों में पेडिंग हैं। सरकार की चिंता उनको लेकर है।