पिछले सप्ताह झाँसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने से घायल हुए तीन और बच्चों की मौत हो गई है, जिससे मरने वालों की संख्या 15 हो गई है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नरेंद्र सेंगर ने इसकी पुष्टि की और कहा कि पिछले 24 घंटों के दौरान बीमारी के कारण तीन शिशुओं की मौत हो गई।इनमें से एक शिशु वह था जो शुक्रवार को आग लगने की घटना के 36 घंटे बाद अपनी मां से मिला था।
15 नवंबर की रात अस्पताल के एनआईसीयू वार्ड में अप्रत्याशित रूप से आग लग गई, जहां 49 बच्चों का इलाज चल रहा था। 39 बच्चों को तो बचा लिया गया, लेकिन 10 की दम घुटने या जलने से दर्दनाक मौत हो गई।
डॉ. सेंगर ने कहा, “शुक्रवार को आग में कुल 39 बच्चों को बचाया गया। 10 बच्चों की जलने से मौत हो गई। बचाए गए लोगों में से अब तक पांच बच्चों की बीमारी के कारण मौत हो गई है। तीन बच्चों की आज मौत हो गई।”
उन्होंने कहा, “उनकी जलने की चोटों का मौतों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें जलने की कोई चोट नहीं थी। उन पर किसी भी तरह के धुएं का प्रभाव नहीं था। आज जो बच्चे मरे, उनकी मौत बीमारी के कारण हुई।”
तीनों शिशुओं के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में लगी भीषण आग में कम से कम 10 बच्चों की जान चली गई थी और 16 अन्य घायल हो गए थे।
जिला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार ने सुझाव दिया कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है।
साथ ही प्रारंभिक जांच में पता चला कि अग्निशामक सिलेंडर पर फिलिंग की तारीख 2019 और एक्सपायरी 2020 अंकित थी। आग लगने के बाद फायर अलार्म भी नहीं बजा।
शुक्रवार रात करीब 10.30 बजे वार्ड में आग लगने से अस्पताल में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। आग बुझाने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया। विजुअल्स से पता चला कि जिस वार्ड में नवजात शिशुओं को रखा गया था, वहां के उपकरण पूरी तरह जल गए थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक बच्चों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी।