प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार में गौतम अडानी के साथ मिले हुए हैं और उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में रिश्वत मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उद्योगपति की गिरफ्तारी की मांग की। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि अडानी 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले और कई अन्य में शामिल होने के बावजूद, स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं क्योंकि उन्हें पीएम मोदी द्वारा संरक्षित किया जा रहा है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “अब यह अमेरिका में बिल्कुल स्पष्ट और स्थापित हो चुका है कि अडानी ने भारतीय कानून और अमेरिकी कानून दोनों को तोड़ा है। अमेरिका में उन पर अभियोग लगाया गया है। मुझे आश्चर्य हो रहा है कि अडानी इस देश में एक स्वतंत्र व्यक्ति की तरह क्यों घूम रहे हैं। मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया गया है। अडानी ने जाहिर तौर पर 2000 करोड़ रुपये का एक घोटाला किया है और संभवतः कई अन्य घोटाले किए हैं, लेकिन वह बेखौफ घूम रहे हैं। हम इसे बार-बार दोहरा रहे हैं। यह इस बात की पुष्टि है कि हम क्या कह रहे हैं – प्रधानमंत्री अडानी को बचा रहे हैं और प्रधानमंत्री अडानी के साथ भ्रष्टाचार में शामिल हैं।”
कांग्रेस सांसद ने कहा, “अमेरिका में उन्होंने क्राइम किया है 2 हजार करोड़ रुपये का स्कैम है। मगर हिंदुस्तान में अडानी जी का कोई कुछ नहीं कर सकता है. अडानी जी को अऱेस्ट होना चाहिए। माधुरी बुच को हटाया जाना चाहिए और उनकी जांच होनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी इस व्यक्ति को 100 फीसदी बचा रहे हैं। ये व्यक्ति बीजेपी को पूरी तरह सपोर्ट करते हैं। हमारी जेपीसी की मांग है। हम कहना चाहते हैं कि अडानी जी को अरेस्ट किया जाना चाहिए।”
अडानी ग्रुप के चेयरपर्सन पर गांधी का हमला तब हुआ जब अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी और उनके भतीजे को कथित तौर पर राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को 2,029 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के लिए दोषी ठहराया। रिश्वत का भुगतान कथित तौर पर 2020 और 2024 के बीच किया गया था।
यह पूछे जाने पर कि ‘क्या वह अमेरिकी अभियोजकों द्वारा कथित सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट रिश्वत मामले में गौतम अडानी और अन्य पर आरोप लगाने का मुद्दा संसद में उठाएंगे’, राहुल गांधी ने कहा, “हम इस मुद्दे को उठा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इस मुद्दे को उठाऊं। पीएम मोदी 100% इस आदमी की रक्षा कर रहे हैं। इस आदमी ने भ्रष्टाचार के जरिए भारत की संपत्ति हासिल की है। वह भाजपा को समर्थन देते हैं, हम इसे दोहराएंगे। जेपीसी हमारी मांग है लेकिन हम चाहते हैं कि अडानी को गिरफ्तार किया जाए। लेकिन हम जानते हैं कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री अडानी का समर्थन करते हैं, वह उनके संरक्षक हैं।”
इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाना उस मांग को सही ठहराता है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जनवरी 2023 से विभिन्न मोदानी घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) जांच के लिए कर रही है। कांग्रेस ने हम अडानी के हैं कौन (HAHK) श्रृंखला में इन घोटालों के विभिन्न पहलुओं और प्रधानमंत्री एवं उनके पसंदीदा पूंजीपति के बीच के घनिष्ठ संबंधों को उजागर करते हुए 100 सवाल पूछे थे। इन सवालों के जवाब आज तक नहीं दिए गए हैं।”
रमेश ने कहा, “अब न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम S अडानी, सागर R अडानी और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ लगाए गए गंभीर आरोप से अडानी की आपराधिक गतिविधियों के बारे में और अधिक चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं। इसमें कहा गया है कि उन्होंने 2020 और 2024 के बीच भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (2,100 करोड़ रुपए) से अधिक की रिश्वत दी। रिश्वत का भुगतान “भारत सरकार के सोलर पावर प्लांट्स के प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए किया गया था, जिससे टैक्स के बाद $2 बिलियन (16,800 करोड़ रुपए) से अधिक मुनाफा होने का अनुमान था।” इसमें आरोप लगाया गया है कि “कई मौकों पर, गौतम S अडानी ने रिश्वत की स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाक़ात की” और इसका इलेक्ट्रॉनिक और सेलुलर फोन सबूत होने का दावा किया गया है।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “ये सब प्रधानमंत्री के स्पष्ट संरक्षण और कुछ नहीं होगा वाली सोच के साथ की गई धोखाधड़ी और अपराधों के एक लंबे रिकॉर्ड के अनुरूप है। तथ्य यह है कि अडानी की उचित जांच करने के लिए विदेशी अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया गया है, इससे पता चलता है कि कैसे भारतीय संस्थानों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया है, और कैसे लालची और सत्ता के भूखे नेताओं ने दशकों के संस्थागत विकास को बर्बाद कर दिया है। इस ख़ुलासे के बाद SEBI की नाकामी भी एक बार फ़िर से सामने आती है, जो अडानी ग्रुप द्वारा प्रतिभूतियों और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रहा है और ग्रुप को उसके निवेश के स्रोत, शेल कंपनियों, आदि के लिए ज़िम्मेदार ठहराने में पूरी तरह से विफल रहा है।”
रमेश ने आगे कहा, “आगे का सही रास्ता यही है कि अडानी महाघोटाले में प्रतिभूति कानून के उल्लंघनों की जांच को पूरा करने के लिए एक नए और विश्वसनीय SEBI प्रमुख को नियुक्त किया जाए, और इसकी पूरी जांच के लिए तुरंत एक JPC का गठन किया जाए। कांग्रेस लगातार अडानी ग्रुप के लेन-देन की जांच के लिए JPC गठन की मांग करती रही है। क्योंकि इनके लेन-देन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में एकाधिकार बढ़ रहा है और साथ ही, हमारे पड़ोस में विदेश नीति के लिए विशेष रूप से बड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं।”
मालूम हो कि कांग्रेस और गांधी कई चुनावी रैलियों में बीजेपी पर हमला करने के लिए पीएम मोदी और अडानी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते रहे हैं।
रायबरेली के सांसद ने संकेत दिया कि वह इस मुद्दे को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में उठाएंगे और अदानी समूह के लेनदेन की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की अपनी मांग दोहराई।