सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी विभव कुमार को कड़ी फटकार लगाई और उनके आचरण पर सवाल उठाए। अदालत ने हमले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि हम “स्तब्ध” है और एक “गुंडे” ने आवास में प्रवेश किया और मालीवाल पर हमला किया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की तीन न्यायाधीशों की पीठ कुमार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश को चुनौती देने वाली जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने उन्हें मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था। मई में दिल्ली की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पीठ ने कहा, “क्या मुख्यमंत्री का बंगला एक निजी आवास है? क्या ऐसे गुंडों को रखने के लिए उस कार्यालय की आवश्यकता है? क्या ऐसा ही होता है? हम हैरान हैं। सवाल यह है कि यह कैसे हुआ।”
पीठ ने कहा कि मालीवाल ने कुमार से उन पर हमला बंद करने को कहा था लेकिन उन्होंने ऐसा करना जारी रखा।
कुमार को उनके आचरण के लिए फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “वह (अपने बारे में) क्या सोचते हैं? क्या उनके दिमाग में कोई शक्ति है? आपने ऐसा दिखाया जैसे कोई गुंडा परिसर में घुस गया हो। क्या बिभव कुमार को इसमें कोई शर्म है? स्वाति मालीवाल एक युवा महिला हैं।
अदालत ने कहा, “आप पूर्व सचिव थे, अगर पीड़िता को वहां रहने का कोई अधिकार नहीं था, तो आपको भी वहां रहने का कोई अधिकार नहीं था। क्या आपको लगता है कि उस कमरे में मौजूद किसी भी व्यक्ति में बिभव के खिलाफ कुछ भी कहने की हिम्मत होगी?”
मामले की सुनवाई के दौरान बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसे मामले में सेशंस कोर्ट को जमानत देनी चाहिए थी। सिंघवी ने कहा कि MLC रिपोर्ट में साधारण चोट को गैर-खतरनाक बताया गया है। आरोपों से बिल्कुल उलट रिपोर्ट है।
जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने मामले पर हैरानी जताई कहा- यदि स्वाति मालीवाल घटना के तुरंत बाद 112 पर कॉल कर रही है, तो इससे क्या पता चलता है? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मुख्यमंत्री का कार्यालय निजी आवास है? हम स्तब्ध हैं, जिस तरीके से इस मामले से निपटा गया। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 112 पर कॉल करने से यह बात झुठलाती है कि मामला मनगढ़ंत है। सिंघवी ने कहा कि आज सवाल यह है कि क्या बिभव जमानत के हकदार है। आक्षेपित आदेश के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हां, हम जमानत के सवाल की जांच कर रहे हैं। सिंघवी ने कहा कि दो फैसलों में कहा गया है कि आरोपी छेड़छाड़ कर सकता है, लेकिन वह सबूतों से छेड़छाड़ कैसे कर सकता है? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम अदालत में पढ़ना नहीं चाहते, लेकिन आरोप देखना चाहते हैं। सिंघवी ने कहा कि दिल्ली पुलिस और एलजी ने मेरी एफआईआर उसी दिन दर्ज नहीं की।
जिस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा कि 13 मई को क्या वह सीएम के सचिव थे? या पूर्व सचिव?सिंघवी ने कहा कि मेरे ऊपर कैट का मामला चल रहा है, मैं राजनीतिक सचिव था, मैंने नियुक्तियां संभालीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह संस्करण आपने घटना के बाद प्राप्त किया है। सिंघवी ने कहा कि यह घटना के बाद ही हो सकता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे कोई गुंडा घर में घुस गया हो। उन्हें शर्म नहीं आई, यह एक महिला है। हम सुपारी लेकर हत्यारों को भी जमानत देते हैं, लेकिन इस मामले में, किस तरह की नैतिक प्रतिबद्धता है? कोर्ट ने कहा कि वह उस समय एक विशेष स्थिति में थी। क्या आपको लगता है कि कोई उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत करेगा?
जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि बिभव कब से हिरासत में है? सिंघवी ने कहा कि 75 दिन से सिंघवी ने कहा कि मित्रवत LG के तहत मित्रवत पुलिस के सहयोग से स्वाति मालीवाल ने 3 दिन बाद FIR कराई।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये आपके आंतरिक राजनीतिक मामले हैं, हम चिंतित नहीं हैं।
कुमार पर 13 मई को दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास पर मालीवाल पर हमला करने का आरोप है।
कुमार की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। 7 अगस्त को अदालत इस मामले में अगला सुनवाई करेगा।
कुमार ने उच्च न्यायालय के समक्ष कहा था कि उन्हें पहले ही अनुचित कारावास भुगतना पड़ा है और वह 25 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रहे हैं। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि मालीवाल की कथित चोटों को मेडिको-लीगल केस रिपोर्ट में गलत बताया गया है, जो उनके बयान की पुष्टि नहीं करता है।
मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, मालीवाल ने आरोप लगाया कि कैसे कुमार ने उसे सात से आठ बार थप्पड़ मारा और बार-बार उनके पेट में लात मारी। एफआईआर में कहा गया है कि उन्होंने उसे यह भी बताया थे कि हमले के दौरान वह पीरियड्स से गुजर रहीं थीं।
कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले तीस हजारी कोर्ट ने कुमार को 7 जून को जमानत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। ऐसी आशंका है कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। बिभव कुमार की पहली जमानत याचिका 27 मई को एक अन्य सत्र अदालत ने खारिज कर दी थी। उनके खिलाफ प्राथमिकी 16 मई को दर्ज की गई थी।