शिक्षा के मंदिर को जब अपराध के लिए इस्तेमाल किया जाने लगे तो ये सम्मानित पेशा भी कलंकित और रक्तरंजित हो जाता है। ऐसे में सवाल उठना लाज़िमी है। बनारसी सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनैतिक रण बनारस से 2024 की शर्मनाक जीत में भी जनता के साथ युवा और प्रौढ़ भाजपा नेताओं का योगदान भी किसी से छुपा नहीं। 11 साल से बनारस चर्चा का केंद्र बना हुआ है। लेकिन कुछ ऐसी चर्चा भी है। जिसको दबाने की भरपूर कोशिश जारी है। पार्टी के स्वयं घोषित कार्यकर्ता कैसे पिछले 11 सालों से बनारस को दलाली और जिस्मफरोशी का बड़ा अड्डा बना बैठे है। इसका उदाहरण है, शिक्षा के नाम पर अपराध को पालने पोसने वाला महादेव महाविद्यालय। कॉलेज की आड़ में पहले ही गांव के लोगों की जमीन को अपने लंगोटिया यार अनिल राजभर और योगी के मंत्रियों की बदौलत जबरन राजस्व फर्ज़ीवाड़ा करके कब्ज़ा कर लिया गया है। कब्जे के बाद बनाई गई इमारत में विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा को कमरा दिया गया अपना कार्यालय चलाने के लिए ताकि कॉलेज की काली करतूतों पर कभी कारवाई हो तो बचने का रास्ता सत्ता का डर दिखा कर कायम रहे। अनिल राजभर का नाम उस क्षेत्र के चर्चित भू माफिया के तौर पर दर्ज है।अब किसी सामान्य कॉलेज और स्कूल में तो ऐसे आचरण को अनुमति नहीं मिलती लेकिन यहाँ तो पूरी यूनिवर्सिटी चल रही है। जहाँ हत्या कैसे की जाये, ( सौरभ यादव, हत्याकांड) पुलिस को कैसे सेट किया जाये की ट्रेनिंग देने के साथ यहाँ पढ़ने वाली बच्चियों की आबरू भी सुरक्षित नहीं। कुछ साल पहले पड़ोस के मुगलसराय जिसका नाम बदल कर अब (दीन दयाल उपाध्याय) कर दिया गया है, की एक लड़की के साथ इसके प्रबंधक अजय सिंह के द्वारा किया गया अनैतिक कार्य पुलिस की रिकॉर्ड में दर्ज है।
हमारे समाज में शिक्षा को बड़ी इज्जत से देखा जाता है। इसे भविष्य सुधारने और दिशा देने का एक रास्ता दिखाने वाला माना गया है। लेकिन क्या हो जब उसी शिक्षा का इस्तेमाल करके दलाली, मानव तस्करी, (खासतौर पर लड़कियों और बच्चों की ) होने के साथ जिस्मफरोशी और हत्या जैसे जघन्य अपराध होने लगे ??? उसी गंगा किनारे बनारस से एक विशेष रिपोर्ट…..
तक्षकपोस्ट की इस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा है, कैसे बनारस में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नाम पर भाजपा के स्थानीय दलाल अपनी रोटी सेंक रहे है। जिनका संघ या भाजपा से जुड़ाव 2014 के बाद हुआ। ये मासूम लड़कियों को अपनी हवस मिटाने के साथ अपने किये अपराधों से बचने के लिए एक सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर रहे है। हमारे पास मौजूद सबूत और दस्तावेज इस मामले की हकीकत बताने के लिए काफी है। इसको आसानी से समझने के लिए 10 फरवरी वर्ष 2022 में आपको ले चलते है। रसूख और सत्ता के घमंड में चूर शिक्षाजगत के सफेदपोश अपराधियों के द्वारा समाजसेवी और शिक्षाविद विभूति भूषण सिंह की हत्या करवा दी गई। हत्या करने वाले और करवाने वाले भाजपा के नाम पर अपनी नाजायज कारनामों की दुकान चला रहे थे। विभूति भूषण की हत्या वाराणसी का “सोनागाछी” कहे जाने वाले महादेव महाविद्यालय, की आड़ में चल रहे जिस्मफरोशी के अवैध धंधे (जिसकी पुष्टि पुलिस के रिकॉर्ड में पैसों के बल पर दबाई गई खबरों और नाम छुपाने की चश्मदीदों की जुबानी से तस्दीक किया जा सकता है) और राजस्व के गंभीर फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद की गई जिसमें जिला प्रशासन के साथ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार का सहयोग से मिलकर हुई। अपराध के इस नैक्सस को जिला पुलिस के कुछ बिकाऊ और अपराधी मानसिकता के वर्दीधारियों का भी सहयोग मिला। शबाब और कबाब के साथ नारंगी पानी बेहिसाब परोसा गया।
बनारस के साथ पूर्वांचल के बहुचर्चित हत्याकांड के तौर पर उभरा विभूति भूषण सिंह हत्याकांड भाजपा नेताओं के अलावा भू- माफियाआड़ और शिक्षा माफियाओं के साथ विश्वविद्यालय के गठजोड़ का नतीजा है। 2002 में कागज़ों पर खुला महादेव महाविद्यालय आज तक फ़र्ज़ी तरीके से बिना जमीन के चल रहा है। 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी शिकायतों को सही पाते हुये इसके कूटरचित दस्तावेजों पर चल रहे बीएड को फाइनल नोटिस इशू किया था। भाजपा राज में भू- माफिया तो खासतौर पर विवादित जमीनों को कब्ज़ा करने में बदनाम है। इसलिए भाजपा नेताओं का पसंदीदा अड्डा और भाजपा के ही संरक्षण में लड़कीबाज़ी और हत्या जैसे जघन्य अपराध की पाठशाला महादेव महाविद्यालय को बनाया गया है। क्योंकि शिक्षा के नाम पर किसी को शक ना हो और काली करतूतें छुपी रहे। ऐसे ही कुछ खुलासे होने के बाद विभूति की हत्या हुई। लड़कियों की भविष्य को देखते हुये कुछ दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किये जा रहे।
महादेव महाविद्यालय के प्रबंधक अजय सिंह को विभूति भूषण सिंह की हत्या में नामजद FIR से बचाने के लिए भाजपा जिलाध्यक्ष और योगी के मंत्री अनिल राजभर और युवावाहिनी के अम्बरीष सिंह भोला के साठगांठ से कॉलेज की लड़कियों का इस्तेमाल करते हुये स्थानीय लोगों पर फ़र्ज़ी पुलिसिया कारवाई की गई। हालिया लोकसभा चुनाव में अपनी सीट गवा बैठे केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय को पापा कहने वाली कार्यकर्ता और जिला मंत्री मीना तिवारी को, आगे करते हुये महज 5 लाख रुपये अदा करके अजय सिंह को बचाने के लिए फ़र्ज़ी FIR वरिष्ठ पत्रकार और विभूति भूषण सिंह हत्याकांड की अहम गवाह पर चौबेपुर थाने में करवाई गई। अजय सिंह समेत अन्य 5 लोग इस हत्याकांड में नामजद आरोपी है। जिसमें कॉलेज के कर्मचारी पीयूष पटेल, अवनीश, विनोद, सीमा सहित पार्थ सिंह चिन्हित है।
इतना ही नही योगी के लाडले कबीना मंत्री अनिल राजभर के साथ कई लड़कियों की तस्वीर वायरल है। खोजबीन करने पर भाजपा के जिला मंत्री मीना तिवारी और जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा समेत छुटभैये दलालों की एक लंबी लिस्ट मिली जो अजय सिंह के साथ जिस्म के धंधे में बराबर के भागीदार है। ये भी पता लगा कि महादेव महाविद्यालय कई वर्षों से लड़कियों की ट्रैफिकिंग में भी शामिल है। भोली भाली और मासूम लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाते हुये हर शनिवार और रविवार को कॉलेज प्रबंधन की तरफ से शहर के नेताओं, पुलिस अधिकारी और जिला प्रशासन के पास फ़ाइल निकलवाने के लिए भेजा जाता है। इतना ही नहीं मृतक विभूति भूषण सिंह की हत्या में CBCID के अधिकारी के पास भी पैसे और कमसिन लड़कियों के बदले बचाने का सौदा मंत्री अनिल राजभर के द्वारा किया गया था। यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार के पति भी मालिश का शौख रखते है। शैक्षणिक महासंघ और अन्य संघ के उपक्रम और भाजपा के लोग इसके राजदार है। अपराध के दामन से निकल कर कीचड़ में कमल खिलाने वाले स्थानीय माफियाओं के साथ अजय सिंह की पार्टनरशिप सभी अटकलों पर विराम लगाने के लिए काफी है। कैसे क्षेत्र की गरीबों की जमीन पर कब्ज़ा और लड़कियों के साथ मनमानी और खरीद फरोख्त कॉलेज की आड़ में फल-फूल रहा है।