देश भर के कई शहरों में टमाटर की कीमतें 90 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई हैं और इसका असर लाखों परिवारों पर पड़ने की संभावना है। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, टमाटर की कीमत दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे महानगरों सहित कई शहरों में 90 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई है।
दरअसल कई कारकों के कारण यह मूल्य वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भीषण गर्मी की स्थिति ने टमाटर की आपूर्ति और उत्पादन को बाधित कर दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में उच्च तापमान के कारण टमाटर की आवक में 35% की कमी आई है।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे प्रमुख उपभोग केंद्रों में आपूर्ति कम हो गई।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मूल्य निगरानी प्रभाग के अनुसार, 9 जुलाई को टमाटर की औसत खुदरा कीमत 59.87 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो एक महीने पहले 35 रुपये थी। ये 70% से अधिक की वृद्धि दर्शाती है। अमेज़ॅन फ्रेश, स्विगी और ज़ेप्टो जैसी लोकप्रिय डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर, देश के कई हिस्सों में टमाटर की कीमतें 80-90 रुपये पर चल रही है।
सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस (सीईडीए) के अनुसार, 5 जुलाई तक पूरे भारत में टमाटर की औसत कीमतें 59.88 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं, जो मई से ऊपर की ओर ही जारी है। उत्तर भारत में, टमाटर खुदरा बिक्री लगभग 50 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि उत्तर पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में कीमतें क्रमशः 71 रुपये, 60.5 रुपये और 60 रुपये हैं।
सब्जियों की कीमतें आमतौर पर मानसून के महीनों के दौरान बढ़ जाती हैं क्योंकि बारिश से कटाई और पैकेजिंग सहित कटाई प्रभावित होती है। पिछले साल, भारी बारिश और बाढ़ के कारण कुछ बाजारों में टमाटर की कीमतें 350 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गईं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, टमाटर, प्याज और आलू (टॉप) की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण जून में घर पर बनी शाकाहारी थाली तैयार करने की लागत 10% बढ़ गई।
रिपोर्ट के अनुसार, टमाटर की कीमतें 30%, प्याज की कीमतें 46% और आलू की कीमतें 59% (सभी वार्षिक आधार पर) बढ़ गईं। सब्जियों की कीमतों में यह उछाल मुख्य रूप से आपूर्ति को प्रभावित करने वाले प्रतिकूल कारकों के कारण हुआ है।
भले ही मई में मुद्रास्फीति घटकर 4.75% हो गई, लेकिन इससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को ज्यादा राहत नहीं मिली है। आरबीआई का लक्ष्य मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य तक कम करना है, लेकिन बढ़ती खाद्य कीमतों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 जून को चेतावनी दी थी कि अत्यधिक गर्मी और कम जलाशय स्तर के कारण सब्जियों और फलों की ग्रीष्मकालीन फसल पर और दबाव पड़ सकता है।
मई में खाद्य मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 8.69% बढ़ी, जो अप्रैल के 8.70% से थोड़ी कम है। नवंबर 2023 से खाद्य कीमतें लगातार 8% से अधिक की वार्षिक दर से बढ़ी हैं। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण थोक मुद्रास्फीति 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42% थी, जो पिछले महीने 23.60% थी। प्याज की महंगाई दर 58.05% थी, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05% थी। मई में दालों की महंगाई दर बढ़कर 21.95% हो गई।