आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ NEET ही नहीं, बल्कि 2019 के बाद से 19 भारतीय राज्यों में कम से कम 64 अन्य प्रमुख परीक्षाएं, क्वेश्चन पेपर लीक की घटनाओं से प्रभावित हुई हैं। इस डाटा को सार्वजनिक रिकॉर्ड और मीडिया रिपोर्टों से प्राप्त किया गया है। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी)-यूजी 2024 के प्रश्न पत्र के लीक होने के अलावा, चार अन्य अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाएं पेपर लीक से घिरी हुई हैं। ये हैं: 2021 में सैनिकों की भर्ती के लिए भारतीय सेना की सामान्य प्रवेश परीक्षा, केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) 2023, एनईईटी-यूजी 2021, और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन्स 2021।
हाल के वर्षों में पेपर लीक –
2019 – 9
2020 – 12
2021 – 17
2022 – 11
2023 – 12
2024 (30 जून तक) – 5
परीक्षा रद्द/स्थगित – 34
भर्ती परीक्षा – 40
गैर भर्ती परीक्षा – 25
उत्तर प्रदेश से अधिकतम आठ मामले सामने आए। राजस्थान और महाराष्ट्र सात पेपर लीक मामलों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। उसके बाद बिहार (6) और गुजरात और मध्य प्रदेश में चार-चार घटनाएं सामने आई हैं। हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 1 जनवरी, 2019 से 25 जून, 2024 के बीच पेपर लीक के तीन-तीन मामले देखे गए।
दिल्ली, मणिपुर और तेलंगाना में पेपर लीक के दो-दो मामले सामने आए, जबकि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और नागालैंड को पेपर लीक के एक-एक मामले से जूझना पड़ा।
कुल संख्या में से इस विश्लेषण में शामिल 45 परीक्षाएं सरकारी विभागों में विभिन्न भूमिकाओं के लिए उम्मीदवारों की भर्ती के लिए आयोजित की गईं थीं, और उनमें से कम से कम 27 या तो रद्द कर दी गईं या स्थगित कर दी गईं। गैर-भर्ती परीक्षाओं में से कम से कम 17 राज्य बोर्डों और विश्वविद्यालयों से संबंधित हैं।
विश्लेषण से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान पेपर लीक के कारण तीन लाख से अधिक सरकारी पदों को भरने के लिए परीक्षाएं रद्द कर दी गईं।
इसका प्रभाव कई प्रकार की परीक्षाओं पर पड़ा है, जिनमें राजस्थान और उत्तर प्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा, असम, राजस्थान, कर्नाटक और जम्मू और कश्मीर में पुलिस भर्ती परीक्षा, उत्तराखंड में वन भर्ती परीक्षा और तेलंगाना गुजरात, और राजस्थान में जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षा शामिल हैं।
इस साल NEET-UG परीक्षा में बड़े पैमाने पर गलत कामों का आरोप लगाते हुए छात्रों द्वारा कई शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू करने के बाद पेपर लीक के खतरे ने देश का ध्यान आकर्षित किया। ये मामला 67 छात्रों द्वारा पूर्ण अंक हासिल करने के बाद सामने आया।
कई जांचों से पता चला है कि पेपर लीक एक स्थापित बहु-राज्य गिरोह में बदल गया है। अपराधी अभ्यर्थियों को पहले से प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने के लिए लाखों रुपये वसूलते हैं।
हाल ही के एक स्टिंग ऑपरेशन में बिजेंद्र गुप्ता – जो कथित तौर पर कई पेपर लीक में शामिल रहा – ने पेपर लीक उद्योग के संचालन में अंतर्दृष्टि साझा की। उसने यह भी बताया कि प्रश्न पत्रों के परिवहन के दौरान बक्से कैसे टूट जाते हैं और ब्लैकलिस्टेड कंपनियां कैसे टेंडर हासिल करने में कामयाब हो जाती हैं।