वाराणसी: शहर के बहुचर्चित कॉलेज प्रबंधक विभूति भूषण सिंह की 1 वर्ष पूर्व हुई हत्या में परिजनों के प्रयास और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की सिफारिश के बाद CBCID जांच चल रही हैं। लेकिन भाजपा के कुछ कैबिनेट मंत्री और जिला मंत्री समेत काशी क्षेत्र के नये नवेले MLC बने जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा की अभियुक्तों के लिए इतनी वफादारी है, कि भाजपा के नियमों को तोड़ कर भारतीय दंड संहिता 302, 506, 120B के नामजदों और जांच के घेरे में संदिग्ध शहर के कॉलेज प्रबंधक अजय सिंह, सीमा सिंह, पार्थ सिंह, अवनीश सिंह, विनोद सिंह और पीयूष पटेल को बचाने की जुगत में रोज़ नये कीर्तिमान बना रहे है। ताकि पार्टी की आड़ में जांच को प्रभावित किया जा सकें। कुछ ही दिनों पहले आरोपियों के लिए निजी क्षेत्र की मार्केटिंग कंपनी की तर्ज़ पर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर बाकायदा पर्सनल PR के तहत एक टीशर्ट में दिखे जिस पर आरोपियों के लिए बाकायदा संदेश अंकित दिखा पूरे शिवपुर विधानसभा में आखिर मंत्री की इस जगह से क्या विशेष लगाव है….
दरअसल विभूति भूषण सिंह की हत्या राजस्व के बड़े और चौकाने वाले एक फर्जीवाड़े पर हुई उसका कारण इसी आरोपी की कॉलेज की जमीन का फर्ज़ीवाड़ा और शासन से सपा के दौर में फ़र्ज़ी तरीके से मान्यता लेकर कॉलेज चलाने का इतिहास शामिल है। तक्षकपोस्ट के पास सबूत के तौर पर कई ऐसे दस्तावेज मौजूद है जिनमें कूटरचित और सरकार की तरह से कार्यवाही के सबूत शामिल है।
लेकिन अनिल राजभर और हंसराज विश्वकर्मा की मिली भगत और जुगलबंदी कुछ ऐसी है, कि इनकी अपनी जेब और जरूरतें पूरी होती रहे। सूत्रों का कहना है कि विभूति भूषण सिंह की हत्या की डील 7 करोड़ रुपये में हुई थीं। जिसमें राजभर ने आरोपियों को बचाने के लिए भरपूर मदद की इस बार फिर 2024 के चुनाव के पहले की डील 5 करोड़ में तय हुई है।
जिसकी पुष्टि हालिया मंत्रियों की गतिविधियों को देख कर आराम से लगाया जा सकता है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति सरकारी एजेंसी के आ जाने के बाद उसको प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा लेकिन यहां तमाम तरीके से आरोपियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से काम किये जा रहे है। इस बाबत सवाल पूछने पर चंदौली के सांसद और महेंद्रनाथ पांडेय का कहना था मुझे पार्टी के नाम पर बुलाया गया है, लेकिन बाद में मीडिया में आई तस्वीरों में ये साफ देखा गया कि आरोपी अजय सिंह उनके साथ बड़े कम्फ़र्टेबल होकर तस्वीरों में मुस्कुरा रहा है। इसे क्या कहा जाये??
दूसरी तरफ कल DLW में एक गुप्त बैठक हुई जिसमें पार्टी के नेताओं के साथ आरोपी अजय सिंह और उवके परिवार के सदस्य मौजूद थे। और बाकायदा महादेव महाविद्यालय प्रबंधक अजय सिंह की तरफ से बाजारू औरतों और कॉलेज की लड़कियों को पार्टी के लोगों को परोसा गया मकसद साफ था किसी भी तरह से खुद को बचाना। इस मीटिंग में दिलीप पटेल, हंसराज विश्वकर्मा और अनिल राजभर के साथ अन्य लोग मौजूद थे। अजय सिंह की तरह से 38 हज़ार कीमत की घड़ियां बांटी गई।
मुख्यमंत्री के सोमवार बनारस आगमन के तहत उनके सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी ने भेंट लेने से इनकार कर दिया। अनिल राजभर ने ये आश्वाशन दिया कि किसी भी कीमत पर अजय सिंह की ब्रांडिंग और PR को आगे बढ़ाना है, और उनके कॉलेज की खबर बाकायदा अखबारों में छपनी चाहिए। ताकि उसके बल पर जांच को प्रभावित किया जा सकें गौरतलब है कि CBCID टीम को पहले ये प्रभावित कर चुके थे जिनकी आशंका परिजनों ने पहले जताई थी, उसके बाद अब दूसरी टीम को जांच सौपी गई है।
मुख्यमंत्री के कल होने वाले कार्यक्रम के लिए एयरपोर्ट पर जिन लोगों को मुख्यमंत्री को लेने जाना है उस लिस्ट में हँसराज विश्कर्मा और अनिल राजभर की सहमति से अजय सिंह का नाम भी मुहर लगा कर जिलाधिकारी को भेजा हैं, देखा जाये तो ये पार्टी के साथ गद्दारी और मुख्यमंत्री की आंतरिक सुरक्षा में सेंध है। एक व्यक्ति जो फ्रॉड का मास्टरमाइंड और हत्या का आरोपी है उसको प्रोटोकॉल तोड़ कर मुख्यमंत्री के पास क्यों ले जाया जा रहा है। क्या भाजपा और आरएसएस के आड़ में इस हत्या को प्रोटेक्शन दिया जा रहा है।
इस बाबत जानकारी के लिए भाजपा कार्यालय और दिलीप पटेल के नो पर कॉल करने पर बात नहीं हो सकी।