सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में संशोधन से संबंधित एक नई याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति दे दी है। याचिका को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को चुनौती देने वाले मामले को सूचीबद्ध करेगा, जो राजनीतिक दलों को बेनामी फंडिंग की अनुमति देता है।
Supreme Court agrees to hear a fresh plea filed relating to Centre amending the electoral bonds scheme to allow their sale for 15 extra days during the “year of general elections to the legislative assembly of States and Union territories with legislature”. pic.twitter.com/0kkEBkLT2p
— ANI (@ANI) November 14, 2022
वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप चौधरी द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि नई अधिसूचना ने विधायिका वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के आम चुनावों के वर्ष में चुनावी बांड की बिक्री के लिए 15 दिनों की अतिरिक्त अवधि प्रदान करने के लिए योजना में संशोधन किया है। चौधरी ने कहा, “वे योजना के खिलाफ अधिसूचना जारी कर रहे हैं। यह अधिसूचना पूरी तरह से अवैध है।” CJI चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, “हम इसे सूचीबद्ध करेंगे, मामला सामने आएगा।”
चौधरी ने अपनी याचिका में कहा है कि इलेक्टोरल बांड के खिलाफ दायर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में काफी लंबे समय से लंबित हैं इसलिए इसपर जल्द सुनवाई की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) नामक एनजीओ ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और तमिलनाडु में चुनाव के दौरान इलेक्टोरल बांड के जरिये राजनीतिक दलों को अवैध फंडिंग को बढ़ावा मिलने की आशंका है।
बताते चलें कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बांड पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे इलेक्टोरल बांड के जरिये मिले चंदे की जानकारी निर्वाचन आयोग को दें।
क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड?
इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र होता है जिसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक के किसी भी शाखा से खरीद सकती है। ये बॉन्ड नागरिक या कॉर्पोरेट अपनी पसंद के हिसाब से किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को डोनेट कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति या फिर पार्टी इन बॉन्ड को डिजिटल फॉर्म में या फिर चेक के रूप में खरीद सकते हैं। ये बॉन्ड बैंक नोटों के समान होते हैं, जो मांग पर वाहक को देने होते हैं।
ये बॉन्ड हर तिमाही के पहले 10 दिन खरीदे जा सकते हैं। अप्रैल, जनवरी, जुलाई और अक्टूबर के शुरुआती 10 दिन सरकार द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के समय तय किए गए हैं। लोक सभा चुनाव के समय अलग से 30 दिन का समय भी सरकार तय कर सकती है।
इलेक्टोरल बॉन्ड की पेशकश साल 2017 में फाइनेंशियल बिल के साथ की गई थी. 29 जनवरी, 2018 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA गवर्नमेंट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम 2018 को अधिसूचित किया था।