केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह संभव है कि कश्मीर का नाम हिंदू धर्म में पूज्य ऋषि कश्यप के नाम पर रखा गया हो। दिल्ली में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख थ्रू द एजेस नामक पुस्तक के विमोचन के दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा, “हम सभी जानते हैं कि कश्मीर को कश्यप की भूमि के रूप में जाना जाता है। यह संभव है कि कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर रखा गया हो।”
उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हम कश्मीर के सांस्कृतिक गौरव को हासिल करेंगे।”
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां भू-राजनीतिक सीमाएं नहीं बल्कि सांस्कृतिक सीमाएं हैं। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य, सिल्क रूट और कश्मीर में हेमिश मठ का उल्लेख दर्शाता है कि यह भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि लद्दाख में नष्ट किए गए मंदिरों और कश्मीर में संस्कृत के उपयोग का उल्लेख दर्शाता है कि घाटी का भारत के साथ “अटूट बंधन” है।
अमित शाह ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में पर्यटन, व्यापार और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं से राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार के समय में कश्मीर में पथराव की घटनाएं और बंद भी खत्म हो चुके हैं, जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता का माहौल बन रहा है।
गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की ओर इशारा करते हुए कहा कि सुरक्षा बलों के समन्वय से आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर टूट चुकी है और आतंकवादियों के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है।
शाह ने आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने कश्मीर में भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के मनोबल को ऊंचा किया है। अब राज्य में शांति और विकास का नया दौर शुरू हो चुका है, और यह बदलाव लंबे समय तक बना रहेगा।
शाह ने संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए की आलोचना की, जो जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार प्रदान करते थे, और कहा कि ये प्रावधान “देश को एकजुट होने से रोकते हैं।”
शाह ने कहा, “धारा 370 और 35A हमारे देश के साथ कश्मीर को एकरूप होने से रोकने वाले प्रावधान थे। प्रधानमंत्री मोदी के दृढ़ संकल्प ने धारा 370 को समाप्त कर दिया। इससे देश के बाकी हिस्सों के साथ कश्मीर का विकास का अध्याय शुरू हुआ। हमने न केवल आतंकवाद को नियंत्रित किया है, बल्कि मोदी सरकार ने आतंक के इको-सिस्टम को भी घाटी से पूरी तरह समाप्त करने का काम किया है।”
उन्होंने कहा, “संविधान सभा में इन प्रावधानों पर बहुमत नहीं था, यही वजह है कि उन्हें उस समय अस्थायी बना दिया गया था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इन दूषित प्रावधानों को हटा दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर में विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।”
अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था, जिससे उसे देश के भीतर स्वायत्तता की एक हद तक अनुमति मिलती थी, जबकि अनुच्छेद 35A एक कानूनी प्रावधान था जो पूर्ववर्ती राज्य को यह परिभाषित करने की शक्ति देता था कि कौन “स्थायी निवासी” है, और इन निवासियों को विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करता था। अगस्त 2019 में केंद्र ने दोनों प्रावधानों को निरस्त कर दिया था।
शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने कश्मीरियों के बीच “अलगाववाद के बीज बोए” और कहा कि इसके हटने के बाद घाटी में आतंकवाद में कमी आई है।